tag:blogger.com,1999:blog-3965671360820508242023-11-15T05:49:27.168-08:00तीखी नज़रदिव्यदृष्टिhttp://www.blogger.com/profile/09888249477901666199noreply@blogger.comBlogger667125tag:blogger.com,1999:blog-396567136082050824.post-51937116819609839172010-09-11T02:27:00.000-07:002010-09-11T02:28:56.765-07:00फिर भी कॉमनवेल्थ को दिल्लीवासी झेलभले मयस्सर हो नहीं लवण-लाकड़ी-तेल<br />फिर भी कॉमनवेल्थ को दिल्लीवासी झेल<br />दिल्लीवासी झेल, खेल का खोटा सिक्का<br />उदर पूर्ति में फेल मगर मस्तक पर टिक्का<br />दिव्यदृष्टि नित धार गुलामी-छवि उर अंतर<br />लवण-लाकड़ी-तेल भले हो नहीं मयस्सरदिव्यदृष्टिhttp://www.blogger.com/profile/09888249477901666199noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-396567136082050824.post-24523118051813877192010-08-09T02:14:00.001-07:002010-08-09T02:14:45.836-07:00कब तक तुम गुमराह करोगी शीला रानीकहीं न कॉमनवेल्थ में कोई फेयर काम<br />लवली भी लगती नहीं कतई सूरत आम<br />कतई सूरत आम सब तरफ मलबा फैला<br />चलना करे मुहाल सड़क पर पानी मैला<br />दिव्यदृष्टि नित सोच-समझ होती हैरानी<br />कब तक तुम गुमराह करोगी शीला रानीदिव्यदृष्टिhttp://www.blogger.com/profile/09888249477901666199noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-396567136082050824.post-44775988307888562982010-06-22T03:25:00.001-07:002010-06-22T03:25:52.748-07:00तत्व प्रज्वनशील तुरत गडकरी हटाएंअगर भाजपा चाहती 'गठबंधन' भरपूर<br />राखे मोदी-वरुण को वह बिहार से दूर<br />वह बिहार से दूर, नियम नीतीश बताएं<br />तत्व प्रज्वनशील तुरत गडकरी हटाएं<br />दिव्यदृष्टि बड़बोलों को हरहाल भगाना<br />नो-एन्ट्री का बोर्ड भले ही पड़े लगानादिव्यदृष्टिhttp://www.blogger.com/profile/09888249477901666199noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-396567136082050824.post-34935699072521361292010-06-19T04:33:00.001-07:002010-06-19T04:33:28.513-07:00कब तक रहे कुंवारा मैया तेरा पुत्तरदौड़-धूप करते बरस बीत गए चालीस<br />नजर नहीं आई मगर कन्या एक नफीस<br />कन्या एक नफीस, टीस मन में है भारी<br />तनहाई में चले किस तरह दुनियादारी?<br />दिव्यदृष्टि सोनिया भवानी दीजे उत्तर<br />कब तक रहे कुंवारा मैया तेरा पुत्तरदिव्यदृष्टिhttp://www.blogger.com/profile/09888249477901666199noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-396567136082050824.post-14981699814873084412010-06-19T04:31:00.000-07:002010-06-19T04:32:06.729-07:00मोदी जी ले जाइये वापस पांच करोड़दिव्यदृष्टि<br />वोट देख नीतीश के उर में उठी मरोड़<br />मोदी जी ले जाइये वापस पांच करोड़<br />वापस पांच करोड़ देखिये तेवर रूखा<br />नहीं चाहिए मदद बाढ़ आये या सूखा<br />दिव्यदृष्टि 'पार्टनर' उचारें बात विषैली<br />उन्हें सुहाये प्यारे केवल सेकुलर थैलीदिव्यदृष्टिhttp://www.blogger.com/profile/09888249477901666199noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-396567136082050824.post-685905471872568812010-06-14T02:59:00.000-07:002010-06-14T03:00:29.784-07:00माना जाता अतिथि को भारत में भगवानमाना जाता अतिथि को भारत में भगवान<br />एंडरसन जी का अत: पार्थ किए सम्मान<br />पार्थ किए सम्मान भक्ति का सूत टटोला<br />तब होकर मजबूर सजाया उड़न खटोला<br />दिव्यदृष्टि उड़ गया फुर्र शव का व्यापारी<br />किंतु रही महफूज 'गैसमय' नीति हमारीदिव्यदृष्टिhttp://www.blogger.com/profile/09888249477901666199noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-396567136082050824.post-86657319353021060512010-06-12T04:45:00.000-07:002010-06-12T04:46:20.932-07:00रोये बेबस बाप देख नयनों का फूलाशैशव में जो आंख के तारे के मानिंद<br />वही जवानी में बना पुत्र मोतियाबिन्द<br />पुत्र मोतियाबिन्द 'मान-मर्यादा' भूला<br />रोये बेबस बाप देख नयनों का फूला<br />दिव्यदृष्टि फरजंद सताए सांझ-सकारे<br />अत: प्रशासन उसे मौत के घाट उतारेदिव्यदृष्टिhttp://www.blogger.com/profile/09888249477901666199noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-396567136082050824.post-1804807670811257262010-06-11T04:40:00.001-07:002010-06-11T04:41:15.735-07:00अर्जुन दादा बोलते थमकर सदा सटीकअर्जुन दादा बोलते थमकर सदा सटीक<br />केवल अपने कथ्य ही मानें हरदम ठीक<br />मानें हरदम ठीक, नजरिया निजी अनूठा<br />'साथी' जो कुछ कहें उसे बतलाएं झूठा<br />दिव्यदृष्टि इसलिए 'सही' अवसर बोलेंगे<br />एंडरसन के 'अतिथि' भेद सगरे खोलेंगेदिव्यदृष्टिhttp://www.blogger.com/profile/09888249477901666199noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-396567136082050824.post-75682181374810773222010-06-10T02:17:00.001-07:002010-06-10T02:17:57.938-07:00भारत में आतंक का हामी पाकिस्तानयह सच्चाई दोस्तो जाने सकल जहान<br />भारत में आतंक का हामी पाकिस्तान<br />हामी पाकिस्तान बीज कटुता के बोए<br />उग्रवाद की फसल बढ़ा मस्ती में सोए<br />दिव्यदृष्टि 'सींचे' उसको आईएसआई<br />जाने सकल जहान दोस्तो यह सच्चाई।दिव्यदृष्टिhttp://www.blogger.com/profile/09888249477901666199noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-396567136082050824.post-74705847146456454892010-06-09T04:04:00.001-07:002010-06-09T04:04:42.550-07:00पुलिस तक्षकों में बढ़ा काम वासना रोगरक्षक की वर्दी पहन भक्षक बनते लोग<br />पुलिस तक्षकों में बढ़ा काम वासना रोग<br />काम वासना रोग, भोग में वृद्धि निरन्तर<br />पद की गरिमा घटी हुई निष्ठा छू-मंतर<br />दिव्यदृष्टि कद-मद में करते गुंडागर्दी<br />भक्षक बनते लोग पहन रक्षक की वर्दीदिव्यदृष्टिhttp://www.blogger.com/profile/09888249477901666199noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-396567136082050824.post-32262742985742276412010-06-08T03:42:00.001-07:002010-06-08T03:42:42.956-07:00तुलसी बाबा कह गए दोषी नहीं समर्थतुलसी बाबा कह गए दोषी नहीं समर्थ<br />एंडरसन पर इसलिए शोर मचाना व्यर्थ<br />शोर मचाना व्यर्थ इंडियन बकरी खाए<br />फिर अमेरिकी बाघ रोज हम पर गुर्राए<br />दिव्यदृष्टि चाहे वह कर दे खून खराबा<br />दोषी नहीं समर्थ कह गए तुलसी बाबादिव्यदृष्टिhttp://www.blogger.com/profile/09888249477901666199noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-396567136082050824.post-85876249970466783502010-06-07T05:51:00.001-07:002010-06-07T05:51:41.416-07:00निगल हजारों जिन्दगी गैस गई भोपालनिगल हजारों जिन्दगी गैस गई भोपाल<br />कितनों के जन्मे कई लूले-लंगड़े लाल<br />लूले-लंगड़े लाल, दर्द से भर कर आहें<br />रहे मांगते 'न्याय' नित्य फैला कर बाहें<br />दिव्यदृष्टि इस भांति सदी बीती चौथाई<br />किन्तु दंड की गूंज नहीं पड़ रही सुनाईदिव्यदृष्टिhttp://www.blogger.com/profile/09888249477901666199noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-396567136082050824.post-25903309819953059582010-06-05T01:21:00.001-07:002010-06-05T01:21:55.110-07:00बेमतलब अखबार उन्हें संलिप्त बताएंकामधेनु-पय से धुला है सारा परिवार<br />खूब सफाई दे रहे जमकर शरद पवार<br />जमकर शरद पवार इरादा नेक जताएं<br />बेमतलब अखबार उन्हें संलिप्त बताएं<br />दिव्यदृष्टि जिसके दम से सेंटर में सत्ता<br />आईपीएल में चाहेगा वह क्यों 'पत्ता'दिव्यदृष्टिhttp://www.blogger.com/profile/09888249477901666199noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-396567136082050824.post-69658184433915481292010-06-02T05:09:00.000-07:002010-06-02T05:10:33.925-07:00लालमहल को रौंद कर विहँस रहा तृणमूललालमहल को रौंद कर विहँस रहा तृणमूल<br />लेफ्ट हैंड में जा चुभा सख्त-सियासी-सूल<br />सख्त-सियासी-सूल, 'पीर' बढ़ रही निरंतर<br />चली कोलकाता में ममता लोकल जमकर<br />दिव्यदृष्टि बुद्धा बाबा बिलखें पल-पल को<br />विहँस रहा तृणमूल रौंद कर लालमहल कोदिव्यदृष्टिhttp://www.blogger.com/profile/09888249477901666199noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-396567136082050824.post-79752074112709513342010-05-31T06:28:00.000-07:002010-05-31T06:29:05.177-07:00दिया सड़क पर मौत का नारी को उपहारदिया सड़क पर मौत का नारी को उपहार<br />फिर उसके शव पर रहे लोग चलाते कार<br />लोग चलाते कार, कहें इसको 'मनमानी'<br />या हो गया समाप्त सभी नयनों का पानी<br />दिव्यदृष्टि हे राम जमाना कहे फड़क कर<br />नारी को उपहार मौत का दिया सड़क परदिव्यदृष्टिhttp://www.blogger.com/profile/09888249477901666199noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-396567136082050824.post-38325610473214555112010-05-29T06:24:00.000-07:002010-05-29T06:25:19.033-07:00झुकता उनके कृत्य से मानवता का भाललेकर झंडा लाल जो करें धरा को लाल<br />झुकता उनके कृत्य से मानवता का भाल<br />मानवता का भाल चाल है निर्मम शातिर<br />निरपराध मर रहे रेल में विवश मुसाफिर<br />दिव्यदृष्टि अफसोसनाक उनका हथकंडा<br />करें धरा को लाल लाल जो लेकर झंडा<br />बनियागीरी छोड़ कर मनमोहन जी आप<br />नक्सलियों के मर्ज को समझें माई-बाप<br />समझें माई-बाप, योजना 'ठोस' बनायें<br />करके उचित विकास रोग से छुट्टी पायें<br />दिव्यदृष्टि इसलिए बजाएं प्रगति नफीरी<br />मनमोहन जी आप छोड़ कर बनियागीरीदिव्यदृष्टिhttp://www.blogger.com/profile/09888249477901666199noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-396567136082050824.post-11418319689651767992010-05-27T03:17:00.000-07:002010-05-27T03:18:30.816-07:00कायम करो 'मिसाल' उतारें लोग आरतीतकलीफों का बूट से करके काम-तमाम<br />बेटे ने रोशन किया दलित पिता का नाम<br />दलित पिता का नाम लगन से करी पढ़ाई<br />लिए 'इरादा पक्का' वह चढ़ गया चढ़ाई<br />दिव्यदृष्टि की दुआ यही अभिषेक भारती<br />कायम करो 'मिसाल' उतारें लोग आरतीदिव्यदृष्टिhttp://www.blogger.com/profile/09888249477901666199noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-396567136082050824.post-44341731860812866262010-05-27T00:29:00.000-07:002010-05-27T00:30:58.814-07:00कालकोठरी में ताई अब मुझे न रहनाशीला मेरी मौत से करिये नहीं मजाक<br />पड़ा-पड़ा मैं जेल में होता रोज हलाक<br />होता रोज हलाक कष्ट पड़ता है सहना<br />कालकोठरी में ताई अब मुझे न रहना<br />दिव्यदृष्टि है नागवार यह शासन ढीला<br />करिये नहीं मजाक मौत से मेरी शीलादिव्यदृष्टिhttp://www.blogger.com/profile/09888249477901666199noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-396567136082050824.post-70838376776482323122010-05-27T00:27:00.000-07:002010-05-27T00:29:04.164-07:00खूब चली बेशर्म पर अदालती बंदूकसजा बढ़ी राठौर की बंद हो गई हूक<br />खूब चली बेशर्म पर अदालती बंदूक<br />अदालती बंदूक चूक प्रत्यक्ष सुधारी<br />पूरी किया वसूल रही जो शेष उधारी<br />दिव्यदृष्टि जो काम करे नामर्दी वाला<br />बेइज्जत हो इसी तरह वह वर्दी वालादिव्यदृष्टिhttp://www.blogger.com/profile/09888249477901666199noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-396567136082050824.post-83885048614912931632010-05-25T06:27:00.000-07:002010-05-25T06:28:43.607-07:00किसी तरह बेगम उसको हासिल हो जाएसजायाफ्ता कसब की यही आखिरी चाह<br />किसी तरह करवाइए उसका आप निकाह<br />उसका आप निकाह, तमन्ना दिली बताए<br />किसी तरह बेगम उसको हासिल हो जाए<br />दिव्यदृष्टि फिर बचाखुचा जो काम अधूरा<br />करे 'कसाई' का 'वारिस' वह फौरन पूरादिव्यदृष्टिhttp://www.blogger.com/profile/09888249477901666199noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-396567136082050824.post-34499893717271587952010-05-24T03:46:00.001-07:002010-05-24T03:46:52.200-07:00चल गांधी की राह बदन पर लगा लंगोटीघटे साल के अन्त तक महंगाई की आयु<br />तब तक रामगरीब तू खा प्यारे जल वायु<br />खा प्यारे जल वायु छोड़ रोटी का टुकड़ा<br />बन संतोषी जीव सुना मत नाहक दुखड़ा<br />दिव्यदृष्टि मत मार रोज शासन को सोंटी<br />चल गांधी की राह बदन पर लगा लंगोटीदिव्यदृष्टिhttp://www.blogger.com/profile/09888249477901666199noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-396567136082050824.post-8320614595146743902010-05-21T06:35:00.000-07:002010-05-21T06:36:27.623-07:00मन्नू भाई जब तलक चला रहे सरकारमन्नू भाई जब तलक चला रहे सरकार<br />नहीं थमेगी तब तलक महंगाई की मार<br />महंगाई की मार, प्राण पब्लिक के छूटें<br />प्रणव मुखर्जी किन्तु हाथ से दोनों लूटें<br />जमाखोर की दिव्यदृष्टि नित बढ़े कमाई<br />चला रहे सरकार जब तलक मन्नू भाईदिव्यदृष्टिhttp://www.blogger.com/profile/09888249477901666199noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-396567136082050824.post-72945821669333005682010-05-20T03:47:00.001-07:002010-05-20T03:47:49.186-07:00लगा राम की मूर्ति बनें पॉलिटिकल पंडादूर इलेक्शन का अभी दीखे सूत-कपास<br />लेकिन लट्ठमलट्ठ की वरुण अदाएं खास<br />वरुण अदाएं खास, सियासी चादर बुनते<br />'राजनीति की रुई' नित्य नफरत से धुनते<br />दिव्यदृष्टि फिरते हैं 'भगवा' ओढ़ दुशाला<br />लिए 'राम को गोद' चढ़ें सिंहासन लाला<br />राम-लला की कृपा से हों यदि सत्तासीन<br />'माया ठगिनी' के सभी बेर तुरत लें छीन<br />बेर तुरत लें छीन 'गुठलियां' सभी हटाएं<br />यूपी में 'बुतबाजों' को नित धूल चटाएं<br />दिव्यदृष्टि संजयसुत का अब यही अजंडा<br />लगा राम की मूर्ति बनें पॉलिटिकल पंडादिव्यदृष्टिhttp://www.blogger.com/profile/09888249477901666199noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-396567136082050824.post-37493378742792874702010-05-19T02:16:00.000-07:002010-05-19T02:18:37.724-07:00फांसी की फाइल रहीं शीला बैठी दाबफांसी की फाइल रहीं शीला बैठी दाब<br /><span>चार </span> बरस जूं कान पर रेंगी नहीं जनाब<br />रेंगी नहीं जनाब, चिदम्बर ने दी दस्तक<br />तब ठनका मजबूरी में अंटी का मस्तक<br />दिव्यदृष्टि क्या खूब राजनीतिक स्टाइल<br />शीला बैठी रहीं दाब फांसी की फाइलदिव्यदृष्टिhttp://www.blogger.com/profile/09888249477901666199noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-396567136082050824.post-84713742140637225092010-05-17T04:48:00.001-07:002010-05-17T04:48:36.767-07:00भगदड़ में जाये भले मुसाफिरों की जानभगदड़ में जाये भले मुसाफिरों की जान<br />ममता जी देतीं नहीं फिर भी कोई ध्यान<br />फिर भी कोई ध्यान न कतई नेह जतातीं<br />'पैसेंजर-की-ही-गलती' वे स्वयं बतातीं<br />दिव्यदृष्टि हर हाल उन्हें 'तृणमूल' सुहाये<br />मुसाफिरों की जान भले भगदड़ में जायेदिव्यदृष्टिhttp://www.blogger.com/profile/09888249477901666199noreply@blogger.com0