बुधवार, 31 दिसंबर 2008
हो हम पर उपकार न्यू इयर फाइन लाना
नहीं सुनाई पड़े प्रभु उग्रवाद का शोर
उग्रवाद का शोर, न पब्लिक मारी जाए
रहें प्रेम से लोग मुहब्बत भारी आए
तुम्हें अलविदा आठ ठाठ से नाइन
हो हम पर उपकार न्यू इयर फाइन लाना
मंगलवार, 30 दिसंबर 2008
तुम्हें मुबारक साल नया हो आनेवाला
पढ़ पढ़ कर तीखी नज़र रहिये सदा सचेत
रहे हमेशा लबालब भरा ज्ञान का खेत
भरा ज्ञान का खेत, फसल नित बढे विवेकी
खुशियों का खलिहान बढाये मन में नेकी
दिव्यदृष्टि पा सकें लोग दो वक्त निवाला
तुम्हें मुबारक साल नया हो आनेवाला
मिला न अजमल को अगर कोई यहां वकील
कातिल को इंसाफ की तो फिर व्यर्थ दलील
तो फिर व्यर्थ दलील, नियम कमजोर पड़ेगा
अधिवक्ता भयभीत नहीं यदि केस लड़ेगा
दिव्यदृष्टि यदि नहीं चाहते बचे कसाई
फौरन एक वकील उसे दिलवाओ भाई
रविवार, 28 दिसंबर 2008
आया है कश्मीर में फ्रैक्चर्ड मंडेट
आया है कश्मीर में फ्रैक्चर्ड मंडेट
पाई कोई पार्टी वोट नहीं भर पेट
वोट नहीं भर पेट, सोचते सारे लीडर
रहे फेवरिट कैसे यहां सियासी वीदर
दिव्यदृष्टि घाटी में होता हल्ला-गुल्ला
बनें यंग सीएम अपने ओमर अब्दुल्ला
शनिवार, 27 दिसंबर 2008
दुश्मन पर अब और न कतई दया दिखाओ
बच्चों को पढ़वा रहा जो नफरत का पाठ
बढ़े नहीं उस देश का कभी स्वप्न में ठाठ
कभी स्वप्न में ठाठ, झूठ दुनिया से बोले
बने शेखचिल्ली जुल्मी जब भी मुंह खोले
दिव्यदृष्टि ऐसे शातिर को सबक सिखाओ
दुश्मन पर अब और न कतई दया दिखाओ
गुरुवार, 25 दिसंबर 2008
हुई पांचवीं बार अब फिर नीयत नापाक
चार बार भी हारकर कटी न उसकी नाक
हुई पांचवीं बार अब फिर नीयत नापाक
फिर नीयत नापाक, जंग का लिए इरादा
पहुंच गया सरहद पर पाकिस्तानी प्यादा
दिव्यदृष्टि इस बार हिन्द यदि करे चढ़ाई
दुश्मन के सब दांत तोड़ दें फौजी भाई
बुधवार, 24 दिसंबर 2008
कौन करेगा माया जी उसकी भरपाई?
बड़े शौक से जन्मदिन खूब मनाएं आप
मगर न छोड़ें राज्य में लूटमार की छाप
लूटमार की छाप, विधायक डालें डाका
जबरन चौथ वसूली का वे खींचें खाका
दिव्यदृष्टि जिस अभियन्ता ने जान गंवाई
कौन करेगा माया जी उसकी भरपाई?
रहे स्वान की पूंछ सदा टेढ़ी की टेढ़ी
बेशक बारह बरस तक आप ऐंठिए मूंछ
आप ऐंठिए मूंछ पाल कर मन में आशा
किंतु न होगी पूर्ण सिधाई की अभिलाषा
दिव्यदृष्टि यह बात समझ ले वोट नशेड़ी
रहे स्वान की पूंछ सदा टेढ़ी की टेढ़ी
सोमवार, 22 दिसंबर 2008
मंदी से हैं बेअसर हीरो आमिर खान
मंदी से हैं बेअसर हीरो आमिर खान
कहते हैं हज्जाम की खोलेंगे दूकान
खोलेंगे दूकान, तान कर सीना घूमें
सारे राजा रंक रात-दिन चौखट चूमें
दिव्यदृष्टि बेशक पिट जाए फिल्मी धंधा
हज्जामों के घर आए लेकिन हर बंदा
शनिवार, 20 दिसंबर 2008
हुई द्रविड़ पर बहुत जब नुक्ताचीनी थोक
दिए मोहाली टेस्ट में तभी सेंचुरी ठोक
तभी सेंचुरी ठोक, छुड़ाए जम कर छक्के
लोग हुए हैरान सिलेक्टर हक्के-बक्के
दिव्यदृष्टि गोरों को दीखे दिन में तारे
हुई बोलती बंद चुपे आलोचक सारे
गुरुवार, 18 दिसंबर 2008
संसद में भी बोलते अब्दुल ओछे बोल
संसद में भी बोलते अब्दुल ओछे बोल
इसीलिए रहमान का कहीं न कोई मोल
कहीं न कोई मोल, बिना तोले हकलाएं
करें सार्थक नाम अनतुले वह कहलाएं
दिव्यदृष्टि मंत्री होकर भी करते शंका
फूंके उच्च कमान जल्द ही उनकी लंका
बुधवार, 17 दिसंबर 2008
बुश, जाते-जाते लीजिए जूते का उपहार
जाते-जाते लीजिए जूते का उपहार
जूते का उपहार, समझिए इसको चुंबन
मिला न होगा तुम्हें कभी ऐसा अभिनंदन
दिव्यदृष्टि इराकी ' बूट पुलाव ' खाइए
यादगार डिश अमेरिका ले साथ जाइए
मंगलवार, 16 दिसंबर 2008
बेटर टीम इंग्लैंड की किन्तु इंडिया बेस्ट
उसकी झोली में गिरा अत: चेन्नई टेस्ट
अत: चेन्नई टेस्ट, भले ही हारे गोरे फिर
भी उत्तम खेल दिखाए टूरिंग छोरे
दिव्यदृष्टि इसलिए करें हिम्मत अफजाई
करें नहीं अंग्रेज पिटरसन की रुसवाई
सोमवार, 15 दिसंबर 2008
चौथी पारी में रखे वीरू जो बुनियाद
भवन जीत का उसी पर सचिन किए आबाद
सचिन किए आबाद, लगाए गारा गौतम
धुआंधार युवराज हाथ दिखलाए उत्तम
दिव्यदृष्टि हो रही प्रशंसा नर-नारी में
वीरू जो बुनियाद रखे चौथी पारी में
छूटे साफ पटेल क्लीन चिट मिली अमर को
मिली अमर को क्लीन चिट छूटे साफ पटेल
' अपनों' को डाले भला आखिर कौन नकेल
आखिर कौन नकेल, समय पर हाथ दिखाए
तभी सदन में मनमोहन जी बहुमत पाए
लखें डिटेक्टिव दिव्यदृष्टि 'गैरों' के घर को
छूटे साफ पटेल क्लीन चिट मिली अमर को
रविवार, 14 दिसंबर 2008
लगा रहा आतंक की जो भारत में आग
गाएं उसके साथ हम कैसे किरकिट राग
कैसे किरकिट राग, बताए दुनिया हमको
भरा न अब तक घाव भुलाएं कैसे गम को
दिव्यदृष्टि जिस घर में होता मातम भाई
नहीं भूल कर कभी बजाता वह शहनाई
गुरुवार, 11 दिसंबर 2008
किया न कतई चांद ने कोई अनुचित काम
क्यों नाहक हूडा, भजन मचा रहे कोहराम
मचा रहे कोहराम, कर रहे मातमपुर्सी
एक बेदखल करे छीन ले दूजा कुर्सी
दिव्यदृष्टि फिर भी उल्फत की लाज निभाई
इस साहस के लिए कोटिश: उन्हें बधाई
मंगलवार, 9 दिसंबर 2008
फिर भी ढीले पुलिसजन करें न पूरा फर्ज
फिर भी ढीले पुलिसजन करें न पूरा फर्ज
करें न पूरा फर्ज, मर्ज बढ़ता है दिन-दिन
बेशक आतंकी लोगों को मारें गिन-गिन
दिव्यदृष्टि काहिल वर्दी का मान गिराएं
रपट समय पर दर्ज नागरिक भले कराएं
सीएम - इन - वेटिंग पिटे गजब हुई तौहीन
सीएम - इन - वेटिंग पिटे गजब हुई तौहीन
गजब हुई तौहीन , बीन बेसुरी बजाई
इसीलिए वोटर ने खिल्ली खूब उड़ाई
' दिव्यदृष्टि ' कर रहे खुराना मातमपुर्सी
नहीं सके हैं छीन विजय शीला की कुर्सी
शनिवार, 6 दिसंबर 2008
अमरीका ने पाक को मारी जब फटकार
तब जाकर उसने किया मजबूरन स्वीकार
मजबूरन स्वीकार, हमारे ही कुछ गुर्गे
चले गए थे ताज उड़ाने मछली मुर्गे
दिव्यदृष्टि कर बैठे थोड़ी आतिशबाजी
जांच करेंगे उसकी पाकिस्तानी काजी।
शुक्रवार, 5 दिसंबर 2008
भारत में कितना भी हो आतंकी गड़बड़झाला
किंतु जवाबी कदम यहां पर एक न उठनेवाला।
बेगुनाह पब्लिक आए दिन बेशक मारी जाए,
मगर चैन से पांव पसारे सोता है रखवाला।
लोकतंत्र की शवशय्या पर डाल वोट की चादर,
तुच्छ सियासतदान खड़े हैं मुंह पर डाले ताला।
खोजबीन में पता चली है पाकिस्तानी साजिश,
फिर भी उसके ऊपर कोई अस्त्र न चलने वाला।
लश्कर पर पाबंदी की बातें पड़ रहीं सुनाई,
आप इसलिए संयम बरतें और कुछ दिनों लाला।
अगले हमले से पहले तक हिन्द रखे खामोशी,
मनमोहन से साफ कह गईं जरदारी की खाला।
दिव्यदृष्टि अफसोस न कर तू लाचारों के ऊपर,
जनमानस का रोष जल्द ही इन्हें जलाने वाला।
गुरुवार, 4 दिसंबर 2008
कहां खो गए हैं अमर मित्र मुलायम आप
पब्लिक को बतलाइए कुछ तो माई-बाप
कुछ तो माई-बाप , सैकड़ों जान गंवाए
होटल बने मसान मगर तुम नजर न आए
दिव्यदृष्टि है पूछ रहा हर पीड़ित प्राणी
कहां हो गई लुप्त आपकी सेकुलर वाणी
बुधवार, 3 दिसंबर 2008
पाक पड़ोसी ने किया बहुत हमें हैरान
पाक पड़ोसी ने किया बहुत हमें हैरान।
आतंकी का इसलिए मेटें नाम-निशान।।
मनमोहन मिमियाना छोड़ो। उग्रवाद की हड्डी तोड़ो।
पसली एक रहे ना बाकी। ऐसी चले दुष्ट पर चाकी।
जब भी शातिर सेंध लगाए। तभी तमाचा भारी खाए।
अगर नहीं छोड़े हठधर्मी। सबक सिखाएं रक्षाकर्मी।
दुनिया भर में धाक जमेगी। करतूतें नापाक थमेंगीं।
भारतवासी बच्चा-बच्चा। उसे चबा जाएगा कच्चा।
आस्तीन में सांप न पालो। फौरन सारा जहर निकालो।
पड़ें दिखाई जहां जिहादी। वहीं जंग की करो मुनादी।
अकर्मण्यता से बढ़े जनमानस में भ्रान्ति।
अत: जरूरी देश में राष्ट्रवाद की क्रान्ति।।
मंगलवार, 2 दिसंबर 2008
यूं तो बनते मार्क्स के असली वारिस आप
यूं तो बनते मार्क्स के असली वारिस आप
तुच्छ सियासतदान की किन्तु छोड़ते छाप
किन्तु छोड़ते छाप, अच्युतानंदन ओछी
करें अनर्गल बात बिना ही समझी-सोची
दिव्यदृष्टि बलिदानी को कह कुत्ता तनते
असली वारिस आप मार्क्स के यूं तो बनते।
सोमवार, 1 दिसंबर 2008
ताव दिखाएं धरम जी खौल रहा है खून
मिलें जंगजू यदि उन्हें डालें उनको भून
डालें उनको भून , हृदय में भड़कें शोले
मगर साठ घंटे तक वीरू जुबां न खोले
दिव्यदृष्टि अब राका उनको सबक सिखाएं
खौल रहा है खून धरम जी ताव दिखाएं
पहले धकियाए गए दिल्ली में शिवराज
पाटिल फिर मुम्बई में किए गए बेताज
किए गए बेताज , छिनी दोनों की कुर्सी
करें देशमुख वेट मिले कब मातमपुर्सी
दिव्यदृष्टि अतिवादी लीले दो सौ जानें
डिप्टी सीएम मगर उसे मामूली मानें
रविवार, 30 नवंबर 2008
तकिये में सब कुली छिपा बंदूकें सोये
रहे देखते रात भर मारधाड़ का ख्वाब
मारधाड़ का ख्वाब, सीन फिल्मी हो जैसे
कहीं न 'कट' का नाम जंगजू आए कैसे
दिव्यदृष्टि 'मजबूर' रहे जलसा में खोये
तकिये में सब कुली छिपा बंदूकें सोये
गुरुवार, 27 नवंबर 2008
टेस्ट करेगी दुनिया आखिर, कब तक टीस हमारी
बेमतलब ही आए दिन जनता जाती है मारी
हर हमले के बाद जरा-सी जुंबिश पड़े दिखाई,
लेकिन उसके बाद चैन से सोते हैं अधिकारी
लोकतंत्र पर हावी लोकल तंत्र बहुत है भाई,
इसीलिए नाकामयाब होता अमला सरकारी
सेकुलर चोले में फिरते हैं चारो ओर कसाई,
सुनें गोश्त के सौदागर फिर कैसे पीर हमारी
वोट नशेड़ी रक्तपात कर लेते हैं अंगड़ाई,
करें सुरक्षा उनकी चौकस सारे वर्दीधारी
पीस बनाए रखने की बातें पड़ रहीं सुनाई,
हत्यारों पर किंतु करोगे किस दिन गोलीबारी
दिव्यदृष्टि हैं सफल पड़ोसी के नापाक इरादे,
विफल हो गई मनमोहन तेरी सारी सरदारी
सारा खुफिया तंत्र देश का फेल हो गया
पाक पड़ोसी का नहीं बूझ सका षड्यंत्र
बूझ सका षड्यंत्र घुसे होटल में कातिल
गाएं सेकुलर राग मगर मुम्बइया पाटिल
दिव्यदृष्टि मरना बच्चों का खेल हो गया
सारा खुफिया तंत्र देश का फेल हो गया
बुधवार, 26 नवंबर 2008
शीला जी यह है नहीं धर्म युद्ध का दौर
फिर भी मेरे हाल पर आप कीजिए गौर
आप कीजिए गौर, मौर मेरे सिर रखिए
घूमूं केशविहीन प्यार से इसको ढकिए
दिव्यदृष्टि उपकार विजय जौली मानेगा
नहीं आपसे रार पुन: कतई ठानेगा
मंगलवार, 25 नवंबर 2008
मुंगेरी-सा देखते सपना चिरकुट लाल
किसे मिलेगा मंत्रिपद कौन उड़ाए माल
कौन उड़ाए माल , दाल किसकी गिर जाए
बिना पड़े ही वोट उन्हें यह प्रश्न सताए
कौन बने बादाम कौन सूखी बेरी-सा
सपना चिरकुट लाल देखते मुंगेरी-सा
करिए मेरे पक्ष में एक बार मतदान
नम्र निवेदन आपसे श्रीमती-श्रीमान
श्रीमती-श्रीमान , आपकी महिमा गाऊं
पांच वर्ष फिर नहीं आपके द्वारे आऊं
दिव्यदृष्टि इसलिए हमारी झोली भरिए
एक बार मतदान पक्ष में मेरे करिए
रविवार, 23 नवंबर 2008
छीने खूब सीरीज मारकर धोनी धक्का
गीले सारे हो गए विक्ट्री के अरमान
विक्ट्री के अरमान, कांपते फिरते गोरे
उधर जीत का जश्न मनाते हिंदी छोरे
दिव्यदृष्टि लंदन वाले हैं हक्का-बक्का
छीने खूब सीरीज मारकर धोनी धक्का
बुलडोजर लौटाइए मोदी जी चुपचाप
बुलडोजर लौटाइए मोदी जी चुपचाप
मोदी जी चुपचाप, पाप लग जाए वरना
राजनीति में तनिक राम से सीखो डरना
दिव्यदृष्टि यदि साफ सुनेंगे सिंघल वाणी
विहिप समर्थन करे वोट दे हिन्दू प्राणी
शुक्रवार, 21 नवंबर 2008
एटीएस के साथ मिल चली केंद्र ने चाल
गई बैकफुट भाजपा बिखरी उसकी दाल
बिखरी उसकी दाल , सियासी भूख सताए
उग्रवाद का भात भला अब कैसे खाए
दिव्यदृष्टि छिन गई आडवाणी की रोटी
पीएम इन वेटिंग की दीखे किस्मत खोटी
गुरुवार, 20 नवंबर 2008
हुई हार की हैट-ट्रिक पीटरसन बेजार
कान कानपुर में कटे खाई तगड़ी मार
खाई तगड़ी मार, धुरंधर धोनी चमके
खूब उड़ाए धज्जी भज्जी खेले जमके
दिव्यदृष्टि डीएल बाधा भी दूर भगाई
पाई तिहरी जीत दोस्तो तुम्हें बधाई।
बुधवार, 19 नवंबर 2008
सौ में नब्बे नौकरी करें मराठी लोग
महाराष्ट्र की हानि का फिर भी फैले रोग
फिर भी फैले रोग, मुंबई रोज अकारण
करता गुंडा राज रूप नफरत का धारण
दिव्यदृष्टि खुल गई पोल झूठे सब धब्बे
करें मराठी लोग नौकरी सौ में नब्बे
मंगलवार, 18 नवंबर 2008
लीडर के घर बजती शहनाई
महंगे आलू-प्याज हैं महंगे चावल-दाल
महंगे चावल-दाल, रहे बिजली का टोटा
लगा रहे आरोप विकुम* आए बिल मोटा
दिव्यदृष्टि अफसोस जताएं गहराई से
पब्लिक नित बेहाल हो रही महंगाई से
महंगाई बेशक बने जनता पर अभिशाप
नेता पर इसकी मगर नहीं दीखती छाप
नहीं दीखती छाप, पाप सारे धुल जाते
जितना बढ़ता रेट द्वार उतने खुल जाते
दिव्यदृष्टि लीडर के घर बजती शहनाई
जनता पर अभिशाप बने बेशक महंगाई
मुद्दे का टोटा पड़ा परेशान हैं लोग
सभी दलों को खूब ही सता रहा यह रोग
सता रहा यह रोग, कारगर कौन दवाई
किस दुकान पर मिले बताओ हमको भाई
दिव्यदृष्टि हो जाए वरना धंधा खोटा
परेशान हैं लोग पड़ा मुद्दे का टोटा
सोमवार, 17 नवंबर 2008
लगे कांपने फेस देखकर प्लेयर गोरे
उससे ही इंदौर में पिटे पिटरसन खूब
पिटे पिटरसन खूब , मार युवराज लगाए
तीन विकेट सहवाग चार युवी चटकाए
दिव्यदृष्टि फट गए सभी अंग्रेजी बोरे
लगे कांपने फेस देखकर प्लेयर गोरे
शनिवार, 15 नवंबर 2008
पहले कंगारू पिटे फिर गोरे अंग्रेज
पहले कंगारू पिटे फिर गोरे अंग्रेज
फिर गोरे अंग्रेज, मुसीबत माथे आई
हारे पहला मैच किए युवराज धुनाई
दिव्यदृष्टि बरसाए इतने चौके-छक्के
नानी आई याद रह गए हक्के-बक्के
शुक्रवार, 14 नवंबर 2008
और कहेंगे मस्जिद की तौहीन कर रही मधुशाला
पड़ा नहीं था उसका अब तक ऐसे लोगों से पाला
जो मजहब का ठेका लेकर पब्लिक को भरमाएंगे
और कहेंगे मस्जिद की तौहीन कर रही मधुशाला
बात तजुर्बे की कहता हूं तनिक न मन मेरा काला
याद खुदा को करता है वह पी लेता जो भी हाला
दिव्यदृष्टि इसलिए मियांजी आप हमें तो माफ करें
अल्ला-ताला का सजदा करवाती मुझसे मधुशाला
लीडर मंगदे वोट कर डेमोक्रेसी डांस
लीडर मंगदे वोट कर डेमोक्रेसी डांस
डेमोक्रेसी डांस, लगा वादों का ठुमका
लैण वास्ते वोट दिखाएं करतब दुम का
दिव्यदृष्टि का मान भरोसा ताजा सच ले
मिलया तैनू चांस वोटरां आजा नच ले
गुरुवार, 13 नवंबर 2008
गली-गली में आजकल घूम रहे 'सरवंट'
मिस्टर वोटर दीजिए चांस उन्हें पेटंट
चांस उन्हें पेटंट , भले पेमंट लीजिए
पांच साल का लेकिन एग्रीमंट कीजिए
‘ दिव्यदृष्टि ’ फिर गुम हो जाएंगे बदली में
घूम रहे ‘ सरवंट ’ आजकल गली-गली में
बैन लगाकर फिल्म पर महाराष्ट्र सरकार
करती अपने राज का जमकर पक्ष प्रचार
जमकर पक्ष प्रचार , ' देशद्रोही ' को रोके
नफरत फैलाने वालों को मगर न टोके
दिव्यदृष्टि पड़ रही दिखाई उनकी चाकर
महाराष्ट्र सरकार फिल्म पर बैन लगाकर
मंगलवार, 11 नवंबर 2008
बेटा वंचित टिकट से मां को भारी कोप
अपने दल पर ही मढ़ा बिक्री का आरोप
बिक्री का आरोप , आग से खेलीं अल्वा
हुईं सोनिया रुष्ट दिखाया फौरन जलवा
दिव्यदृष्टि छीने सारे सुख सुविधा संचित
मां को भारी कोप टिकट से बेटा वंचित
सोमवार, 10 नवंबर 2008
रिकी पॉन्टिंग के सारे गुर्गे हकलाए
जमी टेस्ट सीरीज़ में हिंदुस्तानी धाक
हिंदुस्तानी धाक , धुरन्धर धोनी छाए
रिकी पॉन्टिंग के सारे गुर्गे हकलाए
दिव्यदृष्टि सारी हसरत मिल गई धूर में
कंगारू की नाक काट ली नागपूर में
रविवार, 9 नवंबर 2008
कहां लता मंगेशकर, सचिन कहां हैं आप
नाहक ही तुम पर लगी सेलिब्रिटी की छाप
सेलिब्रिटी की छाप , शॉटगन सिन्हा बोले
पिटे बिहारी लोग मगर तुम मुंह ना खोले
दिव्यदृष्टि जो बदमाशों की करे न निन्दा
कहलाए वह अधम व्यर्थ है रहना जिन्दा।
सूबेदारी छोड़कर करें देश की बात
सूबेदारी छोड़कर करें देश की बात
वरना होंगे कष्टमय भारत के हालात
भारत के हालात, मात मानवता खाए
नफरत का नासूर दबे फिर नहीं दबाए
दिव्यदृष्टि इसलिए मित्र सारे नर-नारी
करें देश की बात छोड़कर सूबेदारी।
शुक्रवार, 7 नवंबर 2008
टेस्ट क्रिकेट में सचिन की गूंजे तेज दहाड़
टेस्ट क्रिकेट में सचिन की गूंजे तेज दहाड़
गूंजे तेज दहाड़ , कान मानो फट जाए
मुकाबले में बिरला ही कोई डट पाए
दिव्यदृष्टि चालीस शतक का अचरज ऐसा
करतब किया पहाड़ मगर कद राई जैसा
पूरे मन भर सचिन ने दिया सैकड़ा ठोक
टेस्ट क्रिकेट में रास्ता कोई सका न रोक
कोई सका न रोक , बढ़े आगे ही आगे
है माई का लाल कौन पीछे जो भागे
दिव्यदृष्टि देखे दुनिया सब नाप-तोल कर
दिया सैकड़ा ठोक सचिन ने पूरे मन भर
गुरुवार, 6 नवंबर 2008
जान-बूझकर पुलिस ने मारा राहुल राज
निंदनीय है दोस्तो उसका कातिल काज
उसका कातिल काज , मानिए इसको बाबू
अगर चाहती तो कर लेती जीवित काबू
पोस्टमॉर्टम रपट साफ चिल्लाकर बोली
बहुत निकट से उसे गई थी मारी गोली
बुधवार, 5 नवंबर 2008
विजयी बरक हुसैन खूब लेते अंगड़ाई
फैला ओबामेनिया जीत गया अश्वेत
बड़े लड़ाकू रह गए अमरीका में खेत
अमरीका में खेत, पराजय पीड़ा पाई
विजयी बरक हुसैन खूब लेते अंगड़ाई
रिपब्लिकन को दिव्यदृष्टि मारा है धक्का
रचा नया इतिहास इरादा लेकर पक्का
सोमवार, 3 नवंबर 2008
करवाए विस्फोट पहन कर भगवा चोला
निर्दोषों की जान पर करे साध्वी चोट
करे साध्वी चोट , खोट नीयत में भारी
कभी न देखी सुनी आज तक ऐसी नारी
दिव्यदृष्टि जो पब्लिक में रखवाए गोला
करवाए विस्फोट पहन कर भगवा चोला
नहीं दिखाई पड़ेंगे जम्बो जेट के विंग
फाइव डे से हो गए दूर कोटला किंग
दूर कोटला किंग, कुम्बले रेस्ट करेंगे
संन्यासी बन नया जोश, उत्साह भरेंगे
दिव्यदृष्टि जब होगी सेहत की भरपाई
आईपीएल में पड़ जाएं पुन: दिखाई
रविवार, 2 नवंबर 2008
सट्टेबाजों की बहुत चिदम्बरम को फिक्र
आम आदमी का मगर नहीं कीजिए जिक्र
नहीं कीजिए जिक्र, भले भूखा मर जाए
धन्ना सेठों की खातिर पर ब्याज घटाए
दिव्यदृष्टि परवाह किसे है मोहताजों की
चिदम्बरम को फिक्र बहुत सट्टेबाजों की
गुरुवार, 30 अक्टूबर 2008
जिस कंगारू ने किया गौतम को हैरान
उसके कम खींचे गए रेफरी द्वारा कान
रेफरी द्वारा कान, सिर्फ कम हुई दिहाड़ी
हुआ टेस्ट से दूर मगर 'गंभीर' खिलाड़ी
दिव्यदृष्टि यदि सख्त सज़ा पा जाते गोरे
दोहराते फिर नहीं छिछोरी हरकत छोरे
महाराष्ट्र के लोग समझ लें इसको भाई
वे कतई लेते नहीं निर्दोषों की जान
निर्दोषों की जान, नसीहत प्यारी मानें
महापुरुष का नाम नहीं कीचड़ में सानें
दिव्यदृष्टि वरना होगी उनकी रुसवाई
महाराष्ट्र के लोग समझ लें इसको भाई
मोहन बैठे मौन देश दुख झेल रहा है
फिर नफरत के नाग का फन कुचलेगा कौन
फन कुचलेगा कौन सोनिया जी बतलाएं
निरपराध मजदूर कब तलक मारे जाएं
असम परिस्थिति विषम प्रशासन फेल रहा है
मोहन बैठे मौन देश दुख झेल रहा है
शनिवार, 25 अक्टूबर 2008
करें न ऐसा काम कुछ रुष्ट बिहारी मित्र
रेल यात्री की दशा जिससे बने विचित्र
जिससे बने विचित्र , राह में छूटें ' अपने '
मने नहीं त्यौहार ' वतन ' में टूटें सपने
दिव्यदृष्टि हो जाय व्यर्थ अपनों का पैसा
रुष्ट बिहारी मित्र काम कुछ करें न ऐसा
शुक्रवार, 24 अक्टूबर 2008
नहीं सचिन से बढ़कर कोई जग में सच्चा
नुक्ताचीनी का उसे नहीं तनिक अधिकार
नहीं तनिक अधिकार , जरा सच्चाई आंकें
गिरेबान गिलक्रिस्ट आप अपना तो झांकें
दिव्यदृष्टि यह तथ्य जानता है हर बच्चा
नहीं सचिन से बढ़कर कोई जग में सच्चा
शेयर का बाजार जा रहा तल में पल-पल
अभी उबरने के नहीं दीख रहे आसार
दीख रहे आसार, इसलिए मेरी सुनिए
अफरातफरी छोड़ चैन चौतरफा चुनिए
दिव्यदृष्टि बढ़ रहा रोज मंदी का दलदल
शेयर का बाजार जा रहा तल में पल-पल
बुधवार, 22 अक्टूबर 2008
छोड़ दिया है बाइज्जत नफरत का बंदर
निभा दिया सरकार ने राज-काज का धर्म
राज-काज का धर्म रात भर करके अंदर
छोड़ दिया है बाइज्जत नफरत का बंदर
दिव्यदृष्टि अब कितना ही उत्पात मचाए
फिर भी उसको पुलिस न कतई हाथ लगाए
सोमवार, 20 अक्टूबर 2008
हुई करारी हार बहुत रोए कंगारू
याद रहे ताज़िंदगी उनको ऐसी मार
उनको ऐसी मार, हुआ है दूभर जीना
फेल हो गए ग्रेग खूब आ रहा पसीना
टीम इंडिया दिखलाई करतब संहारू
हुई करारी हार बहुत रोए कंगारू
महाराष्ट्र में कर रही नफरत का निर्माण
सेना गुंडा राज की हो कैसे कल्याण
हो कैसे कल्याण, लोग रोते-पछताते
राजद मुखिया लालू मेंटल केस बताते
दिव्यदृष्टि चल गई अगर बदले की लाठी
बच पाएं किस भांति हमारे मित्र मराठी
कंगारू की कनपटी सौरभ ने की लाल
रोए रिकी पॉन्टिंग चली न कोई चाल
चली न कोई चाल फेल सारे हथकंडे
रन बरसा कर गाड़ दिए धोनी ने झंडे
' दिव्यदृष्टि ' जाते-जाते बढ़ रही अमीरी
वाह-वाह क्या खूब चली है दादागीरी
शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2008
हो प्रसन्न सब पायलट नाच रहे भरपूर
हो प्रसन्न सब पायलट नाच रहे भरपूर
नाच रहे भरपूर, उदासी सिर से भागी
भला करें भगवान आत्मा उनकी जागी
दिव्यदृष्टि तू 'राज' काज के देख नजारे
हो गोयल भयभीत राह पर आए प्यारे
गुरुवार, 16 अक्टूबर 2008
नन्हे-मुन्ने ने किया टेस्ट क्रिकेट में टॉप
बड़े-बड़ों पर सचिन ने छोड़ी अपनी छाप
छोड़ी अपनी छाप , प्रशंसक नाचे जम कर
लगे देखने लोग करिश्मा उनका थम कर
दिव्यदृष्टि यह घड़ी मुबारक आखिर आई
दुनिया करे सलाम भेजकर थोक बधाई
बुधवार, 15 अक्टूबर 2008
निवेशकों में मच रहा भारी हाहाकार
निवेशकों में मच रहा भारी हाहाकार
भारी हाहाकार , भाप बन गया रुपैया
दरक रही ' दीनार ' डूबती ' डालर ' नैया
दिव्यदृष्टि इसलिए करें कविताई घर में
शेयर के बाजार गिर रहे दुनिया भर में
गए इलेक्शन मोड में सूबे पूरे पांच
मतदाता अब करेंगे नेताओं की जांच
नेताओं की जांच, मने किसकी दीवाली
झोली किसकी भरे कौन झेले कंगाली
दिव्यदृष्टि सब हाल आपको बतलाएगा
सभी पाठकों से अपनापन जतलाएगा
मंगलवार, 14 अक्टूबर 2008
बेशर्मी से दे रहे फिर भी मधुर दलील
बेशर्मी से दे रहे फिर भी मधुर दलील
फिर भी मधुर दलील दिखाएं ऐसा फैशन
बिगड़ें जिससे बाल नशे का छाए पैशन
दिव्यदृष्टि संकेत नहीं यह अच्छाई के
दृश्य भरे अश्लील नाम पर सच्चाई के।
सोमवार, 13 अक्टूबर 2008
दिखा नहीं पाए सचिन करतब कोई खास
दिखा नहीं पाए सचिन करतब कोई खास
करतब कोई खास रह गए जरा अभागे
निकल न पाए , इसीलिए लारा से आगे
पाते-पाते लक्ष्य बंद हो गया झरोखा
हुई न पूरी आस दे गई किस्मत धोखा
शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2008
कांग्रेस में फील गुड बीजेपी में बैड
बाएं बाजू के सभी कामरेड हैं सैड
कामरेड हैं सैड, कर रहे कानन रोदन
हुई ऐटमी डील मुदित दीखें मनमोहन
दिव्यदृष्टि तू छोड़ नजरिया प्यारे शक्की
बिजली पाकर देश करेगा खूब तरक्की
बूढ़ा है तो क्या हुआ, है तो आखिर शेर
बड़े मेमनों को अभी, कर सकता है ढेर
कर सकता है ढेर, उसे हल्के मत लेना
है काबू में अब भी उसकी अपनी सेना
दिव्यदृष्टि जब पड़े 'सामना' उससे प्यारे
छुटभैयों को दिन में भी दीखेंगे तारे
गुरुवार, 9 अक्टूबर 2008
किंग खान इसलिए करेंगे बिजनेस मोटा
बॉलिवुड भी आजकल नहीं आ रहा रास
नहीं आ रहा रास , पास फिल्मों का टोटा
किंग खान इसलिए करेंगे बिजनेस मोटा
दिव्यदृष्टि मुम्बई उन्हें अब लगती डर्टी
अत: शाह रुख दुबई में बेचें प्रॉपर्टी
मंगलवार, 7 अक्टूबर 2008
मान सहित मैदान करेंगे खाली दादा
अपने सौरव गांगुली प्लेयर निकले खास
प्लेयर निकले खास, जताया नेक इरादा
मान सहित मैदान करेंगे खाली दादा
दिव्यदृष्टि रणनीति चली समझौतावादी
बूझ बोर्ड की मंशा उस पर मुहर लगा दी
भाया 'नैनो' को बहुत मोदी का गुजरात
भाया ' नैनो ' को बहुत मोदी का गुजरात
मोदी का गुजरात , जहां जन्मे थे गांधी
वहां चले सानंद शांति संपति की आंधी
' दिव्यदृष्टि ' दिन-रात बहे दौलत का दरिया
भूल गोधरा लोग बनाएं नया नज़रिया
सोमवार, 6 अक्टूबर 2008
शर्मा का बलिदान कहें फर्जी जजबाती
दीखा दिल्ली में अमर वोट जुटाऊ प्रेम
वोट जुटाऊ प्रेम , पीटते बरबस छाती
शर्मा का बलिदान कहें फर्जी जजबाती
जारी किए बयान जामिया तीरे-तीरे
साफ सियासी फ्रेम हो रहा धीरे-धीरे
शुक्रवार, 3 अक्टूबर 2008
मजबूरन टाटा कहे बाय-बाय बंगाल
नैनो की खातिर रहे नई जगह खंगाल
नई जगह खंगाल, निमंत्रण काफी पाए
चुनें नहीं वह प्रांत जहां हों सनकी साए
दिव्यदृष्टि सह गए रतन अरबों का घाटा
बाय-बाय बंगाल कहे मजबूरन टाटा
ममता के उन्माद ने किया उन्हें मजबूर
इसीलिए टाटा रतन छोड़ चले सिंगूर
छोड़ चले सिंगूर, हृदय में पीड़ा भारी
करे तुषारापात नित्य नखरीली नारी
दिव्यदृष्टि जो सूबा तोड़े नन्हा सपना
उसे भला कैसे बतलाए नैनो अपना
सौरभ, राहुल, सचिन रास्ता छोड़ें भाई
मान सहित मैदान से घर जाएं अब आप
घर जाएं अब आप, कहे बीसीसीआई
सौरभ, राहुल, सचिन रास्ता छोड़ें भाई
दिव्यदृष्टि कम काम करे कुंबले का कंधा
अत: कहें अलविदा खोज लें दीगर धंधा।
गुरुवार, 2 अक्टूबर 2008
60 साल में आज़ादी की यही कमाई
जहां नज़र आए उन्हें दो-दो हिंदुस्तान
दो-दो हिंदुस्तान, एक में बरसे सोना
है दूजा बेहाल, अन्न को तरसे दोना
दिव्यदृष्टि यह दशा अचानक हुई न भाई
60 साल में आज़ादी की यही कमाई
यही सोचकर मिट्टी ढोएं राहुल गांधी
वहीं, दूसरी ओर हैं टूटे हुए मकान
टूटे हुए मकान गरीबी जिनसे झांके
गुरबत का दुख-दर्द कदाचित कोई आंके
दिव्यदृष्टि इक रोज़ प्रगति की आए आंधी
यही सोचकर मिट्टी ढोएं राहुल गांधी
बुधवार, 1 अक्टूबर 2008
नैतिकता को त्याग तब डाकू बने जवान
नैतिकता को त्याग तब डाकू बने जवान
डाकू बने जवान , विजय की इच्छा पाले
धन संग्रह के लिए बैंक में डाका डाले
दिव्यदृष्टि पकड़े जाने पर हुआ खुलासा
लगी हथकड़ी हाथ पड़ गया उलटा पासा
मंगलवार, 30 सितंबर 2008
गली गली गुजरात में विफल हुए जासूस
गली गली गुजरात में विफल हुए जासूस
विफल हुए जासूस ठनकता माथा ठाणे
मरघट माले गांव लगे निर्दोष ठिकाने
दिव्यदृष्टि जो उग्रवाद की लिखें कहानी
धीरज धरकर उन्हें याद करवा दें नानी
गली गली गुजरात में विफल हुए जासूस
गली गली गुजरात में विफल हुए जासूस
विफल हुए जासूस ठनकता माथा ठाणे
मरघट माले गांव लगे निर्दोष ठिकाने
दिव्यदृष्टि जो उग्रवाद की लिखें कहानी
धीरज धरकर उन्हें याद करवा दें नानी
सोमवार, 29 सितंबर 2008
वफा की आप गर उम्मीद करते हैं करीना से ,
हसीनों से मुहब्बत की लिए हसरत नहीं घूमो
अभी बाजाब्ता बेगम नहीं वह आपकी सैफू
के नशे में तुम जरा हजरत नहीं झूमो
वफा की आप गर उम्मीद करते हैं करीना से ,
न वो चूमे किसी को और तुम हरगिज नहीं चूमो
रविवार, 28 सितंबर 2008
मियां बुखारी लीजिए जरा अक्ल से काम
नहीं पुलिस को कीजिए बेमतलब बदनाम
बेमतलब बदनाम , जान पर जो दल खेला
चला रहे क्यों आप बेवजह उस पर ढेला
दिव्यदृष्टि गुमराहों से मत करिए यारी
जरा अक्ल से काम लीजिए मियां बुखारी
गुरुवार, 25 सितंबर 2008
हे बेटा अमिताभ कर्म करना तुम अच्छन
लीक बिना तीनहिं चलें शायर , सिंह , सपूत
शायर , सिंह , सपूत , कह गए बाबा बच्चन
हे बेटा अमिताभ कर्म करना तुम अच्छन
दिव्यदृष्टि प्यारे जब तक संघर्ष करोगे
तब तक अगली पीढ़ी में आदर्श भरोगे
टाटा ने सिंगूर से बिस्तर लिया समेट
ममता बैनर्जी करें अब खेती भरपेट
अब खेती भरपेट , सियासी पौध उगाएं
घर आए तृणमूल उसी को बेशक खाएं
दिव्यदृष्टि सूबे में हो चहुंदिशि कंगाली
यही सोच कर हाथ मले बुद्धा बंगाली
बुधवार, 24 सितंबर 2008
राहुल बाबा शौक से करिए आप विवाह
बहू मगर वह लाइए जिसकी मन में चाह
जिसकी मन में चाह, सोनियाजी को भाए
मन में प्रेम अथाह लिए वह घर में आए
दिव्यदृष्टि दिखलाए अपनापन हमजोली
पाए सबका स्नेह बोल कर हिन्दी बोली।
मंगलवार, 23 सितंबर 2008
हो परमाणु करार तो बढ़े आय की डोर
हो परमाणु करार तो बढ़े आय की डोर
बढ़े आय की डोर, दूर भागे बेकारी
वर्कर ढाई लाख नौकरी पाएं भारी
दिव्यदृष्टि भाए भारत की उनको गाजर
लगा रहे हैं जोर बहुत अमरीकी ताजर
सोमवार, 22 सितंबर 2008
गिनने में मशगूल थे हत्यारे उत अंक
गिनने में मशगूल थे हत्यारे उत अंक
हत्यारे उत अंक, प्रशंसा पाने खातिर
मासूमों की जान ले रहे सारे शातिर
दिव्यदृष्टि भर चुका सब्र का अब पैमाना
बहुत जरूरी है दुष्टों को सबक सिखाना
रविवार, 21 सितंबर 2008
धन्य ज़िंदगी हुई वीरगति बेशक पाए
देशद्रोहियों के बिके दो घंटे में बेर
दो घंटे में बेर, शेर शर्मा बन आए
धन्य ज़िंदगी हुई वीरगति बेशक पाए
दिव्यदृष्टि जो जान लुटाने को हो आतुर
करते लोग सलाम उसे शाबाश बहादुर !
निकल पड़े मनमोहन करने मरहमपट्टी
पहले से उपलब्ध जो , चले उसी से काज
चले उसी से काज , राज पुरजोर करेंगे
दिखे जो सुराख , उसी को जल्द भरेंगे
दिव्यदृष्टि हो पुलिस व्यस्था हट्टीकट्टी
निकल पड़े मनमोहन करने मरहमपट्टी
जो दे अहम सुराग भला हो उसका अल्लाह
भटक रही है दरबदर जैसे फिरे फकीर
जैसे फिरे फकीर भीख की आस लगाए
मांगे सबकी खैर दुआ का हाथ उठाए
दिव्यदृष्टि डडवाल करें वो हरकत लल्ला
जो दे अहम सुराग भला हो उसका अल्ला
सारा दिन बदले मगर गृहमंत्री पोशाक
सारा दिन बदले मगर गृहमंत्री पोशाक
गृहमंत्री पोशाक धाक उनकी है आला
नाहक समझें लोग उन्हें घर का रखवाला
दिव्यदृष्टि जिसके हो ऐसे शौक नवाबी
खाक उठाए सख्त कदम वो शख्स जवाबी
पाटिल के सिर पर गिरी लाठी लालू छाप
ऐसे काहिल शख्स को झेल रहीं क्यों आप
झेल रहीं क्यों आप सोनिया जी समझाएं
बैठे हैं बेकार मुलायम बंधु बुलाएं
दिव्यदृष्टि यदि लगे न माफिक उनका चेहरा
किसी बिहारी को दें गृहमंत्री का सेहरा
फिर भी अब डडवाल बने फिरते हैं हीरो
पुलिस देखती रह गई, हाथ मले सरकार
हाथ मले सरकार, चौकसी निकली जीरो
फिर भी अब डडवाल बने फिरते हैं हीरो
दृव्यदृष्टि डिप्लोमसी का देख छलावा पुख्ता
मिले सुराग, पुलिस करती है दावा
भारत दौरे पर नहीं आएगा सयमंड
लगे फड़कने खबर से भज्जी के भुजदंड
भज्जी के भुजदंड, खोपड़ी उनकी ठनकी
हुआ क्रिकेट से दूर, खिलाड़ी शातिर सनकी
दिव्यदृष्टि यह काम, किए कंगारु चंगा
वरना मंकी से होता दोबारा पंगा।
गुरुवार, 11 सितंबर 2008
किंतु दौड़ में सचिन रह गए पीछे छूटे
आईसीसी ने रखा दोनों के सिर ताज
दोनों के सिर ताज , प्रशंसा भारी लूटे
किंतु दौड़ में सचिन रह गए पीछे छूटे
दिव्यदृष्टि मायूस न होना ' नन्हें ' भाई
चलो चलें दे दें दोनों को खूब बधाई
बुधवार, 10 सितंबर 2008
यहीं मिली पहचान, बोलते बच्चन सादर
कलाकार के रूप में यहीं मिली पहचान
यहीं मिली पहचान , बोलते बच्चन सादर
फिर मेरा परिवार करे क्यों भला निरादर
दिव्यदृष्टि यह राज समझ लें लोग मराठी
उनके आगे तुच्छ यहां मेरी कद-काठी
मंगलवार, 9 सितंबर 2008
हेम-आरुषि के कातिल घूमें बेखटके
सीबीआई अभी भी लगा न पाई टोह
लगा न पाई टोह , अंधेरे में नित भटके
हेम-आरुषि के कातिल घूमें बेखटके
दिव्यदृष्टि आंखों के आगे घिरा अंधेरा
और समय का राग इसलिए उसने टेरा
तीन महीने में नहीं उसको मिला सबूत
नालायक साबित हुए सारे खोजी पूत
सारे खोजी पूत , जिन्हें माने थे
कातिल छूट गए हैं सभी जमानत करके हासिल
दिव्यदृष्टि कर रहे जांच की जो अगुवाई
' खोज रत्न ' से करो उन्हें सम्मानित भाई
सोमवार, 8 सितंबर 2008
गुमसुम बैठे गांगुली दीख रहे नाराज
खस्ताहाली देखकर दुखी हुए युवराज
दुखी हुए युवराज , टीम से होकर बाहर
किए वापसी कैफ फिरें मस्ती में नाहर
दिव्यदृष्टि चाहे जो भी जीते ' ईरानी '
दादा के घर मगर रहे छाई वीरानी
शनिवार, 6 सितंबर 2008
गंजे को मिल ही गया है आखिर नाखून
फूला-फूला फिर रहा बनकर अफलातून
बनकर अफलातून, साथ 'दादा' के बैठे
पावरफुल जो लोग कौन फिर उनसे ऐंठे
दिव्यदृष्टि जो शक्ति शेखचिल्ली ने पाई
उसकी खातिर उसे दीजिए कोटि बधाई
नीयत पाकिस्तान की दीख रही नापाक
नीयत पाकिस्तान की दीख रही नापाक
दीख रही नापाक, मदद जो पाई भारी
उससे ही कर रहा जंग की फिर तैयारी
दिव्यदृष्टि इस बार अगर लेगा वह पंगा
हिन्दुस्तानी फौज सबक सिखलाए चंगा।
शुक्रवार, 5 सितंबर 2008
गुठली की तरह हो रहा है आम आदमी
पहचान अपनी खो रहा है आम आदमी
आकाश की छत सर पे ज़मीं का है बिछोना
फुटपाथ पे नित सो रहा है आम आदमी
सरकार बेहतरी का रोज़ करती है दावा
दावों का बोझ ढो रहा है आम आदमी
शासन की शिलाजीत दिव्यदृष्टि बेअसर
गुठली की तरह हो रहा है आम आदमी
ऐसे कातिल को महज़ पांच साल की जेल
ऐसे कातिल को महज़ पांच साल की जेल
पांच साल की जेल, नहीं है कतई वाजिब
सख्त करो कानून मौत का मित्र मुनासिब
दारू पीकर जो चालक लोगों को मारे
उस हत्यारे को फांसी दो फौरन प्यारे
यहां-वहां पर बेवजह नहीं भटकिए राज
खामोशी से बैठ कर घर में करिए काज
घर में करिए काज , नसीहत मेरी मानें
वरना धर कर पुलिस तुम्हें ले जाए थाने
दिव्यदृष्टि अब चुप्पी साधो एक महीना
दूर रहे हर बला न आए तनिक पसीना
बुधवार, 3 सितंबर 2008
पड़े न महंगा कहीं ऊर्जा का यह झटका
मनमोहन ने देश को किया खूब गुमराह
किया खूब गुमराह, झूठ संसद में बोले
जिसकी कलई स्वयं पत्र अमरीकी खोले
दिव्यदृष्टि यदि भारत कोई 'टेस्ट' करेगा
उसी समय समझौता अपनी मौत मरेगा
ईंधन की आपूर्ति में भारत को सहयोग
बिना शर्त कतई नहीं इसे समझ लें लोग
इसे समझ लें लोग, कहे अमरीकी शासन
मिले नहीं तकनीक न होगा शोधित राशन
दिव्यदृष्टि यदि करे इंडिया हेराफेरी
होगा रद्द करार किए बिन कोई देरी
बिजली का संकट बता मनमोहन सरकार
चली बेचने देश को कर परमाणु करार
कर परमाणु करार, कह रहे लोग सयाने
फिर भी उनकी बात न बुद्धू मुखिया माने
चले हंस की चाल जगत में जो भी कागा
कहलाए मतिमंद चतुर्दिक वही अभागा
जिसका ईंधन ही नहीं उसका चूल्हा आप
निकले भला खरीदने क्यों कर माई-बाप
क्यों कर माई-बाप, देश को साफ बताएं
किन शर्तों पर मिले जरा यह भी समझाएं
दिव्यदृष्टि दिन-रात सताए हमको खटका
पड़े न महंगा कहीं ऊर्जा का यह झटका
सिर पर दारू का नशा पांवों में थी कार
यारों की टोली हुई उस पर तभी सवार
उस पर तभी सवार बढ़ी रफ्तार अचानक
मदहोशी में हुआ हादसा सड़क भयानक
दिव्यदृष्टि है क्षम्य नहीं वह लापरवाही
तीन नागरिक सहित मर गए तीन सिपाही
घायल होकर रोड पर तड़प रहे थे लोग
हुआ न दुष्टों को जरा फिर भी कोई सोग
फिर भी कोई सोग, साथ जो यार सयाने
जालिम फौरन लगे वहां से तथ्य मिटाने
हुआ न मक्कारों को कोई भी पछतावा
मानवता मर गई मिटा ममता का दावा
केस अदालत में चला जब पूरे नौ साल
तब जाकर कानून की गल पाई है दाल
गल पाई है दाल बोलते मुंसिफ आकिल
है रईसजादा दोषी छह-छह का कातिल
दिव्यदृष्टि है नहीं रहम के काबिल बंदा
नशा हुआ काफूर बहुत पछताए नंदा
मंगलवार, 2 सितंबर 2008
त्यों ही ममता के हुए तेवर फौरन नर्म
त्यों ही ममता के हुए तेवर फौरन नर्म
तेवर फौरन नर्म, पसीना माथे आया
चली सियासी दांव देख बुद्धा की माया
दिव्यदृष्टि बिसरा कर सारी तुनुकमिजाज़ी
बातचीत के लिए हुईं टाटा से राज़ी।
रविवार, 31 अगस्त 2008
जम्मू वाले तो हुए किसी तरह संतुष्ट
महबूबा मुफ्ती मगर समझौते से रुष्ट
समझौते से रुष्ट , दिखाएं तेवर तीखे
उधर हुर्रियत के नेता घाटी में चीखे
दिव्यदृष्टि जो बोलें बंटवारे की बोली
अमन न कायम होने दे दुष्टों की टोली
हुई न धरती एक गज अमरनाथ के नाम
डेढ़ महीने तक रहा घाटी में कोहराम
घाटी में कोहराम , सैकड़ों जान गंवाए
एक इंच भी भूमि नहीं फिर भी ले पाए
दिव्यदृष्टि करते हैं जो नाहक नादानी
उन्हें न हासिल होता है चुल्लू भर पानी
शुक्रवार, 29 अगस्त 2008
बेरहमी से उनको सबक सिखाओ
सीना हिन्दुस्तान का रोज कर रहा चाक
रोज कर रहा चाक , भेज आतंकी दस्ते
करने होंगे बन्द जालिमों के सब रस्ते
दिव्यदृष्टि अब और नहीं संकोच दिखाओ
बेरहमी से मनमोहन जी सबक सिखाओ
चीफ मिनिस्टर रह गए देख हरकतें दंग
चीफ मिनिस्टर रह गए देख हरकतें दंग
देख हरकतें दंग, माजरा समझ न आए
तिरस्कार की पीड़ा मन में बहुत सताए
दिव्यदृष्टि नीतीश समझ लीजे मजबूरी
लालू को खुश रखना प्यारे बहुत ज़रूरी
गुरुवार, 28 अगस्त 2008
सिंहली शेर बने लंका में बकरी
माहेला मायूस हैं रुचे नहीं जल-अन्न
रुचे नहीं जल अन्न , नीर ढरकाते नैना
टूटे बन कर कहर खूब जोशीले रैना
दिव्यदृष्टि हरभजन घुमाए ऐसी चकरी
सभी सिंहली शेर बने लंका में बकरी
मंगलवार, 26 अगस्त 2008
झारखंड में आ गई गद्दी गुरु के हाथ
झारखंड में आ गई गद्दी गुरु के हाथ
गद्दी गुरु के हाथ , मिठाई बांटें चेले
मधु कोड़ा मायूस उठाएं बासी ढेले
कोई पाए ताज किसी को दीखे घूरा
कांग्रेस के साथ हो गया सौदा पूरा
बाहर करो निकाल समझकर उनको रद्दी
करे उसी के पिता का पुलिस यहां अपमान
पुलिस यहां अपमान , मिट गई सारी गैरत
देख निकम्मपान उसका है सबको हैरत
दिव्यदृष्टि जिन दुष्टों ने की हरकत भद्दी
बाहर करो निकाल समझकर उनको रद्दी
रविवार, 24 अगस्त 2008
नैतिकता की लाज भला फिर कौन बचाए
उसमें ज्यादातर रहा कांग्रेस का राज
कांग्रेस का राज , देश की किस्मत फूटी
जनता की सम्पत्ति निरंतर जमकर लूटी
दिव्यदृष्टि जब अगुआ ही डाकू बन जाए
नैतिकता की लाज भला फिर कौन बचाए
शनिवार, 23 अगस्त 2008
तब तक नन्हीं कार नहीं बनवाएं टाटा
लाती हैं सिंगुर में नित्य सियासी ज्वार
नित्य सियासी ज्वार, कार छोटी बह जाए
ऐसे में 'तृण-मूल' शेष कैसे रह पाए
दिव्यदृष्टि जब तलक नहीं आएगा भाटा
तब तक नन्हीं कार नहीं बनवाएं टाटा
शुक्रवार, 22 अगस्त 2008
लेने लगें वकील जब जोड़-तोड़ से काम
दम तोड़े इंसाफ , तब हों खुद भी बदनाम
हों खुद भी बदनाम अदालत चाबुक मारे
देख - परख करतूत बहुत उनको फटकारे
दिव्यदृष्टि उनकी सब ओछी हरकत भाई
साफ - साफ टीवी चैनल पर पड़ी दिखाई
हत्यारे के साथ मिल करें सतत ' आनंद '
हैं दुर्गुण की खान वे अधिवक्ता मतिमंद
अधिवक्ता मतिमंद , गवाहों को जो तोड़ें
तज कानूनी दांव न्याय की बांह मरोड़ें
दिव्यदृष्टि ऐसे गिद्धों की गुण्डागर्दी
खत्म अदालत करे उतारे फौरन वर्दी
बुधवार, 20 अगस्त 2008
पड़े खेल के खेत में सुविधाओं की खाद
तब होगी पैदा गजब फसल काबिले दाद
फसल काबिले दाद, हुकूमत इसको माने
आश्वासन की खाक न कोई प्लेयर छाने
दिव्यदृष्टि जिस दिन होगी उनकी सुनवाई
लगे हिन्द में ढेर स्वर्ण पदकों का भाई।
लालू टोली जब चढ़ जाएगी
दिल्ली से पटना तलक नई चलेगी रेल
नई चलेगी रेल, खबर सुनते ही नाइक
आशंकित हो थाम लिए बेचारे माइक
दिव्यदृष्टि लालू टोली जब चढ़ जाएगी
भिखारियों की भीड़ यहां तब बढ़ जाएगी
सोमवार, 18 अगस्त 2008
तब इस्तीफे का किया जनरल ने ऐलान
तब इस्तीफे का किया जनरल ने ऐलान
जनरल ने ऐलान , मुशर्रफ हुए रुआंसे
पड़े नहीं इस बार ठीक से उनके पासे
दिव्यदृष्टि कुछ काम नहीं आए दरबारी
मना रहे इसलिए जश्न जनता जरदारी
शुक्रवार, 15 अगस्त 2008
अखिल और जीतेंद्र पर करे इंडिया नाज
अखिल और जीतेंद्र पर करे इंडिया नाज
करे इंडिया नाज, 'ताज' में थोड़ी दूरी
थोड़ी मेहनत और पदक के लिए जरूरी
दिव्यदृष्टि दोनों दिखलाएं दमखम पक्का
हासिल हो तमगा छूटे दुश्मन का छक्का।
बुधवार, 13 अगस्त 2008
मियां मुशर्रफ के रहे गिने-चुने दिन शेष
फिर भी धारण कर रहे हमदर्दी का वेश
हमदर्दी का वेश , जली जनरल की रस्सी
गई न लेकिन ऐंठ बची कश्मीरी कस्सी
दिव्यदृदृष्टि जो बेमतलब ही टांग अड़ाए
वही दुष्ट बैठा घाटी पर आंख गड़ाए।
अमरनाथ के नाम पर मचा रहे कोहराम
अमरनाथ के नाम पर मचा रहे कोहराम
मचा रहे कोहराम , सड़क पर देते धरना
रोगी बेशक मरें मगर उनको क्या करना
दिव्यदृष्टि फिसला जिनका इंटरव्यू भाई
कौन करेगा आखिर अब उनकी भरपाई
भोले बाबा मौन , पर भड़क रहे हैं भक्त
इसीलिए नित बह रहा निदोर्षों का रक्त
निदोर्षों का रक्त , सियासी हल्ला-गुल्ला
घाटी में कर रहे खूब जमकर कठमुल्ला
दिव्यदृष्टि जो जन्नत में नफरत फैलाए
उसे जहन्नुम में फौरन शासन पहुंचाए
मंगलवार, 12 अगस्त 2008
कीमत हुई वसूल दक्षिणा शिबू पाए
चीफ मिनिस्टर की तभी चले गुरुजी चाल
चले गुरुजी चाल, सोनिया को धमकाए
कीमत हुई वसूल दक्षिणा शिबू पाए
दिव्यदृष्टि मत भर प्यारे तू आहें ठंडी
राजनीति बन गई हिन्द में घोड़ा मंडी।
सोमवार, 11 अगस्त 2008
अभिनव बिंद्रा तुम्हें देश दे रहा बधाई
बच्चा-बच्चा हिंद का करे झूम कर नृत्य
करे झूम कर नृत्य , न पड़ते पांव जमीं पर
भंगड़ा होता कहीं , बज रहा ढोल कहीं पर
' दिव्यदृष्टि ' जो स्वर्ण पदक दिलवाए भाई
उसकी खातिर तुम्हें देश दे रहा बधाई
शनिवार, 9 अगस्त 2008
बेटी हूं मैं दलित की नहीं तनिक संदेह
लेकिन भारत भूमि से मुझको पूरा नेह
मुझको पूरा नेह, सर्वजन इसको जानें
इसीलिए तो भावी पीएम मुझको मानें
दिव्यदृष्टि जब झूमेगा बसपा का हाथी
सीबीआई सहित सभी बन जाएं साथी
शुक्रवार, 8 अगस्त 2008
फिर भी लंका में नहीं छोड़ सके हैं छाप
फिर भी लंका में नहीं छोड़ सके हैं छाप
छोड़ सके हैं छाप , हो रहे लल्लू साबित
सकते में हैं सचिन प्रशंसक तेरे अगणित
दिव्यदृष्टि इस तरह नहीं उनका दिल तोड़ो
लिखकर लंका कांड जरूरी रन तो जोड़ो
गुरुवार, 7 अगस्त 2008
बेहतर है खुद सदर छोड़ दें फौरन गद्दी
दोनों पूरा करेंगे मिलकर कॉमन काज
मिलकर कॉमन काज मुशर्रफ बाहर जाएं
इसकी खातिर संसद में अभियोग चलाएं
दिव्यदृष्टि हो उनकी खूब फजीहत भद्दी
बेहतर है खुद सदर छोड़ दें फौरन गद्दी
चमके उनके नैन, मुलायम-लालू झूमें
त्यों ही मारे खुशी के चमके उनके नैन
चमके उनके नैन , मुलायम - लालू झूमें
सेकुलर वोटों की ' गड्डी ' सपने में चूमें
दिव्यदृष्टि यूपी - बिहार में पाएं सत्ता
निर्दोषों का खून बहे बेशक अलबत्ता
मंगलवार, 5 अगस्त 2008
अमरनाथ की आस्था उगल रही है आग
अमरनाथ की आस्था उगल रही है आग
उगल रही है आग, जल रहा भाईचारा
फैले नित उन्माद लगे नफरत का नारा
दिव्यदृष्टि सरकार कारगर कदम उठाए
कश्मीरी घाटी वरना फिर से बंट जाए।
सोमवार, 4 अगस्त 2008
शर्मा, वीरू, हरभजन खूब लगाए जान
शर्मा , वीरू , हरभजन खूब लगाए जान
खूब लगाए जान , तानकर सीना घूमें
पीट-पीटकर लंका को मस्ती में झूमें
चला न कोई दिव्यदृष्टि सिंहल हथकंडा
जबर गॉल मैदान जीत का गाड़ा झंडा
शनिवार, 2 अगस्त 2008
संन्यासिन ने साफ दिखाई सूरत असली
ओछी नीयत का दिया उसने खुद पैगाम
उसने खुद पैगाम बांटकर सीडी नकली
संन्यासिन ने साफ दिखाई सूरत असली
दिव्यदृष्टि बजने से पहले फटा नगाड़ा
दागदार छवि हुई खुल गया फर्जीवाड़ा
शुक्रवार, 1 अगस्त 2008
तिकड़ी फिर बेहाल, हाथ आई मायूसी
वहीं दूसरी ओर थी तिकड़ी फिर बेहाल
तिकड़ी फिर बेहाल , हाथ आई मायूसी
दर्शक हुए निराश बढ़ गई कानाफूसी
दिव्यदृष्टि लग चुका बैट पर जिनके ताला
विदा कीजिए उन्हें डाल कर सादर माला
गुरुवार, 31 जुलाई 2008
उसे ढूंढ़कर फौज मार दे फौरन गोली
उग्रवादियों की मगर हुई न पूरी खोज
हुई न पूरी खोज छिपे जो चप्पे-चप्पे
आंखमिचौनी खेलें देकर लारे-लप्पे
दिव्यदृष्टि देती पनाह उनको जो टोली
उसे ढूंढ़कर फौज मार दे फौरन गोली
बुधवार, 30 जुलाई 2008
उनकी नींद हराम करें अब जग्गू दादा
विस्मृत हुए अतीत के उनके सारे ऐब
उनके सारे ऐब लोग जमकर झुठलाएं
चापलूस सब उन्हें दूध का धुला बताएं
दिव्यदृष्टि जो समझ रहे थे उनको प्यादा
उनकी नींद हराम करें अब जग्गू दादा
मंगलवार, 29 जुलाई 2008
सुषमाजी जाकर वहीं जमा रही हैं धाक
सुषमाजी जाकर वहीं जमा रही हैं धाक
जमा रही हैं धाक, बेतुकी भाषा बोलें
अतिवादी घटनाओं को रिश्वत से तोलें
दिव्यदृष्टि नाहक पीटे तू अपना माथा
चले भाजपा में ऐसी बचकानी गाथा
सोमवार, 28 जुलाई 2008
इंसां की खातिर बने दुनिया के सब धर्म
मेल-मुहब्बत-प्यार ही मानवता का मर्म
मानवता का मर्म, शर्म आंखों में रखिए
निर्दोषों का खून नहीं बेमतलब चखिए
दिव्यदृष्टि यह बात जिहादी समझें शातिर
दुनिया के सब धर्म बने इंसां की खातिर
पढ़ना-लिखना छोड़ जो थाम रहे बंदूक
वही तालिबे इल्म सब करते भारी चूक
करते भारी चूक, इल्म से रहते गाफिल
इसीलिए गुमराही में बन जाते कातिल
दिव्यदृष्टि वे फौरन छोड़ें खून बहाना
पड़े जिंदगी भर वरना उनको पछताना
मुरली-मेंडिस ने किया ऐसा बेड़ा गर्क
जंबो को आया नजर कोलंबो में नर्क
कोलंबो में नर्क, तर्क झूठे सब निकले
राहुल दादा सचिन धुरंधर सारे फिसले
दिव्यदृष्टि सहवाग पिटे भहराए भज्जी
हारे सिंहल द्वीप लगी चेहरे पर कज्जी।
शनिवार, 26 जुलाई 2008
पाकर फॉलोआन इंडियन बने फिसड्डी
सभी सिंहली शेर फिर मारे खूब दहाड़
मारे खूब दहाड़, डरे 'जम्बो' के चीते
सारे साबित हुए खिलाड़ी गुजरे बीते
दिव्यदृष्टि मेंडिस-मुरली ने तोड़ी हड्डी
पाकर फॉलोआन इंडियन बने फिसड्डी।
शुक्रवार, 25 जुलाई 2008
पता लगाएं सोम दा किसने भेजी घूस
कैसे पहुंचे नोट के बंडल लेकर मूस
बंडल लेकर मूस सदन के अंदर आए
चौकीदारों को कैसे वह धता बताए
दिव्यदृष्टि जासूस बताएं राम कहानी
करें दूध का दूध और पानी का पानी
गुरुवार, 24 जुलाई 2008
रुष्ट माकपा ने लिया सोमनाथ को लूट
रुष्ट माकपा ने लिया सोमनाथ को लूट
सोमनाथ को लूट, हथौड़ा मारे जालिम
बुद्धि हो गई भ्रष्ट मगर कहलाते आलिम
दिव्यदृष्टि जो भद्र पुरुष को मारे हंसिया
लोग करेंगे खड़ी उसी की फौरन खटिया
बुधवार, 23 जुलाई 2008
नैतिकता के बाल कौन तब गिन पाएगा?
मित्र सुधारक अल सुबह आए मेरे पास
आए मेरे पास पड़ा था माथे पर बल
मैंने पूछा मित्र किसलिए अब हो बेकल
जीत गई सरकार झूम कर नाचो-गाओ
अमर सिंह के साथ मुलायम चारा खाओ
इतना सुनते ही हुए मित्र क्रोध से लाल
पीले चेहरे पर नजर आने लगा मलाल
आने लगा मलाल , जोर देकर वह बोले
मक्कारों के साथ मुझे क्यों नाहक तोले
नगरवधू की भांति नहीं हरगिज नाचूंगा
नमकहरामों का कच्चा चिट्ठा बांचूंगा
लख कर उनका आत्मबल हुआ मुझे संतोष
सोचा वाजिब है बहुत सचमुच उनका रोष
सचमुच उनका रोष रंग लाएगा इक दिन
लेंगे लोग हिसाब बेइमानों से गिन-गिन
दिव्यदृष्टि लेकिन जब तक वह दिन आएगा
नैतिकता के बाल कौन तब गिन पाएगा ?
मंगलवार, 22 जुलाई 2008
तभी गले में पड़ी जीत की उनके माला
दो नंबर के माल से उनका भरा निकेत
उनका भरा निकेत , सांसद बदले पाला
तभी गले में पड़ी जीत की उनके माला
दिव्यदृष्टि संसद पहुंची नोटों की गड्डी
तभी सदन में जुड़ पाई बहुमत की हड्डी
होंगे जिसके यार नाखुदा बागी-दागी
नैया उसकी बाखुदा लग जाएगी पार
लग जाएगी पार, चलाएं गुरुवर चप्पू
हो जाएं संतुष्ट 'कोयला' पाकर पप्पू
दिव्यदृष्टि दक्षिणा वही देगा अनुरागी
होंगे जिसके यार नाखुदा बागी-दागी
सोमवार, 21 जुलाई 2008
बेइमानों के लिए मुंह थैलियों के खुल रहे
होड़ तुलने की लगी जीतोड़ कर वे तुल रहे।
रह गए हैं अब तलक दुर्भाग्यवश जो अनतुले,
तोलने वालों से यारो रात-दिन मिलजुल रहे।
बात करते जो यहां पर दीन की, ईमान की,
आशियाने में दिया उनके हमेशा गुल रहे।
द्रवित मत हो दिव्यदृष्टि हौसले से काम ले,
बेइमानों के लिए मुंह थैलियों के खुल रहे।
शनिवार, 19 जुलाई 2008
जिस एमपी के वोट से बचे केंद्र सरकार
मिले उसी को बाद में झण्डी वाली कार
झण्डी वाली कार, सोनिया मैडम बोलें
सभी सांसद अपना-अपना मान टटोलें
दिव्यदृष्टि जो जितनी ज़्यादा करे भलाई
उसको उतनी अधिक मिलेगी दूध-मलाई
गुरुवार, 17 जुलाई 2008
हो जाएं बेफ्रिक इसलिए शीला मैडम
डेडवाल सीपी मगर बनें कागज़ी शेर
बने कागज़ी शेर कहें अपराध हुआ कम
हो जाएं बेफ्रिक इसलिए शीला मैडम
दिव्यदृष्ट यदि लूटें पिटें फिर भी नर नारी
पुलिस कमिश्नर की इसमें क्या जिम्मेदारी
भारत में भगवान बना पद, पावर पैसा
राजनीति से उड़ गए सदाचार के हंस
किंतु प्रतिष्ठित हो रहे कदाचार के कंस
कदाचार के कंस करें शुचिता का दोहन
दिख रहे लाचार मगर फिर भी मनमोहन
दिव्यदृष्टि मत सोच ज़माना आया कैसा
भारत में भगवान बना पद , पावर पैसा।
नहीं आज तक माया से कोई बच पाया
मनमोहन को अब वही लगा रही फटकार
लगा रही फटकार, मार बसपा की तगड़ी
दीख रही है खतरे में सत्ता की पगड़ी
दिव्यदृष्टि अनुभवीजनों ने है बतलाया
नहीं आज तक माया से कोई बच पाया।
भर जाए अगर बहुमत का गड्ढा
मनमोहन जी दे रहे होकर नि:संकोच
होकर नि:संकोच मुलायम राह बताएं
उसपर फौरन अमल सोनिया जी करवाएं
दिव्यदृष्टि भर जाए अगर बहुमत का गड्ढा
चरण सिंह के नाम करें लखनउवा अड्डा
जुटा कहीं से वोट बचें जिससे मनमोहन
मगर नहीं सरकार को इसका तनिक खयाल
इसका तनिक खयाल , हाल शासन का खस्ता
उधर विरोधी तुले बांध देने को बस्ता
दिव्यदृष्टि तू त्याग दाल-रोटी का रोदन
जुटा कहीं से वोट बचें जिससे मनमोहन
बन गए मुलायम हातिम ताई
वही सपा अब बन गई मनमोहन की खास
मनमोहन की खास भले झूठन ही खाए
मगर समर्थन की चिट्ठी फौरन दे आए
दिव्यदृष्टि बन गए मुलायम हातिमताई
संभव है कुछ रहम दिखा दे सीबीआई
सुर बदला तत्काल, मसीहा बने मुलायम
दमखम दिखलाने लगी मनमोहन सरकार
मनमोहन सरकार, कल तलक थी जो सहमी
सपा समर्थन मिला, बढ़ गई गहमागहमी
दिव्यदृष्टि जब लगा, रहेगी कुर्सी कायम
सुर बदला तत्काल, मसीहा बने मुलायम
सरकार रहेगी तब तक कायम
अगले दिन हो सदन में बहुमत उनका सिद्ध
बहुमत उनका सिद्ध भले मर्यादा टूटे
किंतु सदन में मनमोहन का साथ न छूटे
रहे सोनिया संग जब तलक अमर-मुलायम
भानुमति सरकार रहेगी तब तक कायम
बुश अमरीका से भेजे परमाणु दवाई
अमर सिंह तब आ गए करने को उपचार
करने को उपचार मुलायम मरहम लाए
मनमोहन का घाव तनिक शायद भर जाए
दिव्यदृष्टि यदि फिर भी रिसती रही विबाई
बुश अमरीका से भेजे परमाणु दवाई
कल गिरती हो तो भले आज गिरे सरकार
कतई होने दें नहीं हम परमाणु करार
हम परमाणु करार मानते इसको घातक
नहीं बने इसलिए लेफ्ट अमरीकी जातक
दिव्यदृष्टि बुश-बुश करना मनमोहन छोड़ें
कामरेड वर्ना फौरन ही नाता तोड़ें
घर में घुसकर पाक को खूब लगाई मार
घर में घुसकर पाक को खूब लगाई मार
खूब लगाई मार , बोलरों का ' पर ' कुतरा
लगी पराजय हाथ मलिक का चेहरा उतरा
' दिव्यदृष्टि ' युवराज दिखाए अदा सलोनी
रही-सही जो कसर कर दिए पूरी धोनी
'बायां बाजू' अब तलक बहुत कर चुका तंग
इसके कारण उड़ रहा मनमोहन का रंग
मनमोहन का रंग ' लाल ' पीला हो जाए
ऊपर से परमाणु डील का रोग सताए
' दिव्यदृष्टि ' इसलिए मुलायम भाई आओ
' मन ' को मिले ' करार ' देश की आन बताओ
ठगनी की बेटी हुई भले पांचवीं पास
किंतु पता बतला गई अपने घर का खास
अपने घर का खास, जिन्होंने उसको देखा
उनके माथे खिंची तसल्ली की कुछ रेखा
दिव्यदृष्टि जिस दिन रेनू पकड़ी जाएगी
कहां छिपाया माल पुलिस को बतलाएगी।
नहीं नुकलिअर डील का खत्म हुआ है चांस
इसी सोच से कर रहे मनमोहन सिंह डांस
मनमोहन सिंह डांस ऊर्जा अब भी बाकी
किंतु चलाए लेफ्ट निरंतर उल्टी चाकी
दिव्यदृष्टि घट रहा समर्थन लूला लंगड़ा
ऐसे में किस भांति जमे पावर का भंगड़ा
गुरुवार, 19 जून 2008
मनमोहन जैसी हालत जब पल में हुई हमारी
मुझे नाक में दम का मतलब आप जरा समझाना
बाल सुलभ निष्कपट भाव से नातिन जो कुछ बोली
मर्म समझ कर उसका मानो लगी हृदय में गोली
पास बुला कर उसको मैंने सिर पर हाथ फिराया
फिर पूछा उसके मन में ये प्रश्न कहां से आया
पलक झपकते ही पल में उसने उगली सच्चाई
बोली बुढ़िया नानी रटती बार-बार महंगाई
आम आदमी के जिसने कर दिया नाक में दम है
ऊपर से रोजी-रोटी का अवसर होता कम है
सुनकर उसका भाव ताव मेरे मन में भी आया
फिर भी अपनी मजबूरी को देख बहुत पछताया
मनमोहन जैसी हालत जब पल में हुई हमारी
स्वयं नाक में दम का मतलब समझ गई बेचारी
सोच समझ कर करें वही अंपायर फायर
क्रिकेट खिलाड़ी कर रहे बढ़िया इसको फील
बढ़िया इसको फील उठे यदि नाहक ऊंगली
प्लेयर करे अपील उसी दम फेंके गुगली
दिव्यदृष्टि बनते जो अब तक जनरल डायर
सोच समझ कर करें वही अंपायर फायर
रुक पाए डडवाल भला क्या चोरी डाका
तब से लेकर आज तक रोज बढ़ रही शान
रोज बढ़ रही शान जान लोगों की जाए
मगर बहादुर पुलिस नहीं कुछ भी कर पाए
दिव्यदृष्टि फहरे रिश्वत की कीर्ति पताका
रुक पाए डडवाल भला क्या चोरी डाका
भागो-भागो खूब मचा ढाका में हल्ला
फिर बंगाली देश का हाल किया गंभीर
हाल किया गंभीर बनाई सूरत रोनी
काबू में आ गई हिंद के सहज तिकोनी
दिव्यदृष्टि चमका गौतम वीरू का बल्ला
भागो-भागो खूब मचा ढाका में हल्ला
बुंदेला माटी मगर भीतर से जरखेज
बुंदेला माटी मगर भीतर से जरखेज
भीतरसेजरखेजबताते लोग सयाने
सोनभद्र में मिला प्लैटिनम दुनिया जाने
दिव्यदृष्टि निकलेगा जिस दिन काला सोना
होगा मालामाल देश का कोना-कोना
मंगलवार, 10 जून 2008
उसे जेल दिखलाएं फौरन माया रानी
बसपा का शासन बहुत दीख रहा मुस्तैद
दीख रहा मुस्तैद, कारगर कदम उठाए
मंत्री को भी हवालात की हवा खिलाए
दिव्यदृष्टि अपराधी हो कितना भी मानी
उसे जेल दिखलाएं फौरन माया रानी
सोमवार, 9 जून 2008
बोले चक दे इंडिया ॐ शांति का पाठ
बोले चक दे इंडिया ॐ शांति का पाठ
ॐ शांति का पाठ , आइफा में करवाया
किंतु शाह का माथा उनको नजर न आया
दिव्यदृष्टि इसलिए न कर पाए अभिनंदन
बैंकॉक के घाट घिसा बिग - बी ने चंदन
शेयर गिरे धड़ाम, हजारों लाखों डूबे
दलदल बना दलाल पथ शेयर गिरे धड़ाम
शेयर गिरे धड़ाम , हजारों लाखों डूबे
नहीं हो सके सफल अमीरी के मंसूबे
दिव्यदृष्टि जिनकी पानी में बही कमाई
उनके घर में गूंजे मातम की शहनाई
शनिवार, 7 जून 2008
बढ़ता कारोबार बाप-माई के डर से
शोहरत पाता रातदिन दुनिया देती दाद
दुनिया देती दाद , दरिद्दर जाता घर से
बढ़ता कारोबार बाप-माई के डर से
खूब मजे से सुनता राग-रागिनी धीमा
दौड़े आते लोग कराने जीवन बीमा
शुक्रवार, 6 जून 2008
धुआंधार रन मारे खूब पठानी बल्ला
दिया मोतियों से उन्हें रजवाड़ों ने तोल
रजवाड़ों ने तोल, करोड़ी बंगला पाए
झूम रहे इरफान बंधु को गले लगाए
दिव्यदृष्टि उम्मीद यही है इंशा-अल्ला
धुआंधार रन मारे खूब पठानी बल्ला
गुरुवार, 5 जून 2008
मनमोहन जी आप नहीं टीवी पर रोएं
नीति कारगर लाइए फौरन माई-बाप
फौरन माई-बाप, घटे खर्चा सरकारी
हो पाएगी सुलभ तभी सस्ती तरकारी
ऐय्याशी का बोझ नहीं आगे अब ढोएं
मनमोहन जी आप नहीं टीवी पर रोएं
मुमकिन हो तो मानिए मन्नू मेरी बात
कर चोरों को मारिए फौरन भारी लात
फौरन भारी लात, जेल के अंदर डालें
काला पैसा जहां वहीं से उसे निकालें
दिव्यदृष्टि का देश बटोरे दौलत खोई
चूल्हा चहके नित्य रहे खुशहाल रसोई
बुधवार, 4 जून 2008
धीरज धारण कीजिए भाई राम गरीब
आम आदमी के बहुत है सरकार करीब
है सरकार करीब, तभी तो उसे पता है
बाकी कितना माल जेब में और बचा है
करें देवड़ा दिव्यदृष्टि जब तक निस्तारण
भाई राम गरीब कीजिए धीरज धारण।
मंगलवार, 3 जून 2008
लालूजी अब नेट पर बनवाएंगे ब्लॉग
सुनें यात्री रेल के सुखद सियासी राग
सुखद सियासी राग साग राबड़ी बनाएं
कर उसको उदरस्थ मुसाफिर चैता गाएं
दिव्यदृष्टि जो भी लाइन से जरा हिलेगा
नहीं उसी की खैर दंड तत्काल मिलेगा
सोमवार, 2 जून 2008
अपना भारत देश है सचमुच बहुत महान
आए दिन जाती यहां निर्दोषों की जान
निर्दोषों की जान , शान से घूमें कातिल
भ्रष्ट , उठाईगीर करें नित इज्जत हासिल
दिव्यदृष्टि फिर तू भेजे क्यों उनको लानत
सचमुच बहुत महान देश है अपना भारत
रविवार, 1 जून 2008
धोनी को धक्का लगा जीता राजस्थान
धोनी को धक्का लगा जीता राजस्थान
जीता राजस्थान शेन की शान निराली
रचा नया इतिहास कथा नूतन लिख डाली
' दिव्यदृष्टि ' चहुंओर विजय के बजे नगाड़े
सुपर शेर को बना दिए बकरी रजवाड़े
डेढ़ महीन तक चला जमकर बल्ला-बॉल
ट्वंटी-20 में हुई कायम कई मिसाल
कायम कई मिसाल, दिखे नित नए नजारे
रुदन किए श्रीशांत, हरभजन थप्पड़ मारे
' दिव्यदृष्टि ' दीवार ढही, हकलाए दादा
सचिन हुए मायूस, पिटा पंजाबी प्यादा
सुपरकिंग को फूल लगे जिंटा को कांटे
मिला मुबारकबाद का सुपरकिंग को फूल
सुपरकिंग को फूल लगे जिंटा को कांटे
किंग इलेवन पिटे पड़े गालों पर चांटे
दिव्यदृष्टि सब जोश हो गया पल में ठंडा
नहीं खड़कता दिखा कहीं पंजाबी खंडा
शनिवार, 31 मई 2008
मगर न करिए भूलकर महंगाई का जिक्र
मगर न करिए भूल कर महंगाई का जिक्र
महंगाई का जिक्र, तनिक भी उन्हें न भाए
आसमान पर भले तेल की कीमत जाए
दिव्यदृष्टि मत पीट डियरनेस की तू डुग्गी
तज कर मोटर कार बैठ सरकारी बुग्गी
शुक्रवार, 30 मई 2008
नहीं सैकड़ा पार कर सके वीरू भाई
दुर्बल त्यों साबित हुए दिल्ली के दमदार
दिल्ली के दमदार गिरे औंधे मुंह सारे
धूल चाटते फिरे मार खाकर बेचारे
दिव्यदृष्टि रजवाड़ों ने जो रार मचाई
नहीं सैकड़ा पार कर सके वीरू भाई
चली न कोई चाल फंस गया खूनी पंजा
बता रहा औकात अब उनको ही कानून
उनको ही कानून, कसा इस कदर शिकंजा
चली न कोई चाल फंस गया खूनी पंजा
दिव्यदृष्टि नीतीश हो गया मर कर नक्की
हत्यारे लेकिन जीवनभर पीसें चक्की
कोई मरियल शेर नहीं जाएगा ढाका
नहीं तिकोनी में दिखे इन तीनों का खेल
इन तीनों का खेल, पड़ा दौरे पर डाका
कोई मरियल शेर नहीं जाएगा ढाका
दिव्यदृष्टि जब फौज खड़ी है हट्टी-कट्टी
बूढ़ों की क्यों करें भला फिर मरहम-पट्टी
गुरुवार, 29 मई 2008
आरक्षण के नाम पर करना चक्का जाम
ध्यानाकर्षण का नहीं कतई अच्छा काम
कतई अच्छा काम, हकीकत समझें गूजर
बेमतलब मत करें किसी का जीना दूभर
दिव्यदृष्टि मुमकिन होता दर्जा जनजाती
स्वयं कुंवर जी दौड़े आते लेकर पाती
बुधवार, 28 मई 2008
मार दिए नीतीश को ग्वाले बनकर गिद्ध
न्यायालय में हो गए दोषी दोनों सिद्ध
दोषी दोनों सिद्ध , बहुत थी नीयत खोटी
बूचर बना विकास काट दी बोटी-बोटी
है विशाल भी दिव्यदृष्टि दूजा हत्यारा
भगिनी के प्रेमी को उसने मिल कर मारा
मंगलवार, 27 मई 2008
ऊपर से अब तेल कर लगा रही सरकार
ऊपर से अब तेल कर लगा रही सरकार
लगा रही सरकार , खोट नीयत में भारी
नहीं घटाते खर्च चिदम्बर क्यों सरकारी
दिव्यदृष्टि मनमोहन को कोई समझाए
आम आदमी ऐसे में कैसे जी पाए ?
सोमवार, 26 मई 2008
खूब लड़े रणबांकुरे जीता राजस्थान
पिटे मुंबई इंडियन मिला न जीवनदान
मिला न जीवनदान रह गई छोटी चादर
फिर भी बढ़िया खेल दिखाए खूब बिरादर
' दिव्यदृष्टि ' यदि किस्मत थोड़ा साथ निभाती
' नन्हे मुन्ने ' की चौड़ी हो जाती छाती
बने कोटला कार्तिक सचमुच तारणहार
दिल्ली की नैया तभी लग पाई है पार
लग पाई है पार, बची सेमी का आशा
मगर सचिन को हुई हार से बहुत निराशा
'दिव्यदृष्टि' आखिरी चार में है यदि जाना
दोनों को ही पड़े खूब करतब दिखलाना
सुपर शेर बन गए सभी गीदड़ बेचारे
जो भी आया सामने घटा उसी का मान
घटा उसी का मान मिली माटी में हसरत
चली गई बेकार सभी धोनी की कसरत
'दिव्यदृष्टि' फिर रहे धुरंधर मारे-मारे
सुपर शेर बन गए सभी गीदड़ बेचारे
सेमी में युवराज ने पक्की कर ली सीट
सेमी में युवराज ने पक्की कर ली सीट
पक्की कर ली सीट 18 अंक बटोरे
गए हैदराबाद लखन ले रिक्त कटोरे
दिव्यदृष्टि अब तलक पास पंजाबी पुत्तर
रजवाड़ों को देते देखो कैसा उत्तर
शुक्रवार, 23 मई 2008
लौट गए मायूस मगर सौरव कलकत्ता
वर्षा के कारण बने फिर भी दोनों रंक
फिर भी दोनों रंक, राह सेमी की मुश्किल
पड़े दिखाई दूर अभी दिल्ली की मंजिल
दिव्यदृष्टि उम्मीद अभी बाकी अलबत्ता
लौट गए मायूस मगर सौरव कलकत्ता
गुरुवार, 22 मई 2008
गिरते-गिरते बच गई राहुल की दीवार
जाते-जाते जीत का मिला उन्हें उपहार
मिला उन्हें उपहार खुशी से चमकी आंखें
आई मुद्दत बाद हाथ में तीन सलाखें
दिव्यदृष्टि आबाद हुआ दिल का वीराना
छलका फिर से जाम दिखा रोशन मयखाना
बुधवार, 21 मई 2008
किंग्स 11 की बची किसी तरह से लाज
सफल मुम्बई में हुए जिंटा के युवराज
जिंटा के युवराज , जीत के ढोलक बाजे
गिरी सचिन पर गाज नाचते भंगड़ा राजे
दिव्यदृष्टि आखिरी गेंद तक रार मचाई
मोहाली को फतह तभी हासिल हो पाई
मंगलवार, 20 मई 2008
लगी पराजय हाथ शाह का सीना धड़के
बंगाली चीते हुए जमकर लहुलूहान
जमकर लहुलूहान राइडर मुहकी खाए
खत्म हुई उम्मीद नहीं सेमी जा पाए
दिव्यदृष्टि हो गए फेल दादा के लड़के
लगी पराजय हाथ शाह का सीना धड़के
पटरी पर सहवाग की आई दिल्ली मेल
मगर डालना पड़ेगा उनको काफी तेल
उनको काफी तेल, तभी सेमी तक जाएं
बीच राह से वरना वीरू वापस आएं
लगा रहे हैं जोर बहुत रॉयल चैलेंजर
नहीं बने तूफान मेल फिर भी पैसेंजर
सोमवार, 19 मई 2008
रहिए ड्रेसिंग रूम से दूर शाहरुख खान
रहिए ड्रेसिंग रूम से दूर शाहरुख खान
दूर शाहरुख खान, रूल का आदर करिए
एक बार उत्साह भले ही जाकर भरिए
दिव्यदृष्टि यदि हुई दुबारा हुकुम अदूली
जोरदार जुर्माने की हो जल्द वसूली।
मन मसोस कर रह गए बेचारे सहवाग
मन मसोस कर रह गए बेचारे सहवाग
बेचारे सहवाग खेल दिखलाए चोखा
मिली न फिर भी जीत दिया किस्मत ने धोखा
दिव्यदृष्टि बाधा बन आईं बरखा रानी
बुझी चिलम की आग फिरा मेहनत पर पानी
करिए छोटे ठाकरे सोच समझ कर बात
करिए छोटे ठाकरे सोच समझ कर बात
सोच समझ कर बात, मात खाएंगे वरना
भोले भाले लोग भुला दें आदर करना
दिव्यदृष्टि यह तथ्य साफ जैसे डे लाइट
शिवसेना का नहीं खेल पर कॉपी राइट
सिसकें 'जहांपनाह' बहे आखों से पानी
उनके आगे बन गए बकरी सारे बाघ
बकरी सारे बाघ, कटी सस्ते में गर्दन
दादा करते याद खूब मुंबइया मर्दन
सिसकें ' जहांपनाह ' बहे आखों से पानी
जश्न बनाएं उधर मगर नीता अंबानी
जीत गए वीरू भले दिल्ली का मैदान
मगर आखिरी वक्त तक थी सांसत में जान
थी सांसत में जान , चार्जर बोले हल्ला
तभी अमित ने तोड़ दिया दक्कन का गमला
' दिव्यदृष्टि ' मिश्रा ने मारी ऐसी तिकड़ी
गश खा गिल्ली गिरे टीम की हालत बिगड़ी
बुधवार, 14 मई 2008
सचिन किए आगाज हिली धोनी की दुनिया
करें मुंबई इंडियन जयसुरिया पर नाज
जयसुरिया पर नाज सिंहली शेर दहाड़ा
बजा वानखेड़े विजयी पुरजोर नगाड़ा
दिव्यदृष्टि हो गए पराजित सारे गुनिया
सचिन किए आगाज हिली धोनी की दुनिया
करते हैं विस्फोट नाम पर जो जिहाद के
उनकी नीयत में सदा पड़े दिखाई खोट
पड़े दिखाई खोट, चोट जनता पर करते
निरअपराध, निर्दोष लोग सड़कों पर मरते
दिव्यदृष्टि वे दुश्मन हैं मजहब, समाज के
करते हैं विस्फोट नाम पर जो जिहाद के
मनमोहन जी मिमियाना छोड़ो
नेतागण खाएं मगर फिर भी छप्पन भोग
फिर भी छप्पन भोग, तराना सेकुलर गाएं
बेगुनाह मासूम भले नित जान गंवाएं
दिव्यदृष्टि मनमोहन जी मिमियाना छोड़ो
हूजी के हत्यारों की अब हड्डी तोड़ो
सोमवार, 12 मई 2008
खत्म हुआ चैलेंज छोकरे बने फिसड्डी
दर्द द्रविड़ का बढ़ रहा तनिक न जिसकी थाह
तनिक न जिसकी थाह , निरंतर बढ़ती चिंता
वाह-वाह कर रही जीत पर जमकर जिंटा
' दिव्यदृष्टि ' दारू वाले की टूटी हड्डी
खत्म हुआ चैलेंज छोकरे बने फिसड्डी
दारू वाला आजकल दीख रहा ग़मगीन
बैगपाइपर की बजे बहुत बेसुरी बीन
बहुत बेसुरी बीन कान को रास न आए
देख टीम का हाल रोज़ वीरानी छाये
नोचे सिर के बाल पिटा ऐसा दीवाला
दीख रहा ग़मगीन आजकल दारू वाला
झूमे केकेआर बंधा लक्खन का बस्ता
दादा ने दम साधकर खूब लगाई मार
खूब लगाई मार चार्जर भूले रस्ता
झूमे केकेआर बंधा लक्खन का बस्ता
किसको दिल का दाग दिखाएं जाकर दक्कन
हुई करारी हार लगा किस्मत का ढक्कन
रविवार, 11 मई 2008
रजवाड़ों ने किया रेत में दूभर जीना
घटी टूर्नामेंट में उसी टीम की शान
उसी टीम की शान उछाली जमकर पगड़ी
हारे चौथी बार चौधरी हालत बिगड़ी
दिल्ली के दमदारों को आ रहा पसीना
रजवाड़ों ने किया रेत में दूभर जीना
लूट ले गए सुपर किंग पंजाबी ढाबा
रुचे नहीं युवराज को कतई पानी अन्न
कतई पानी अन्न सन्न जिंटा के राजे
छोले फीके पड़े रंग सांबर का साजे
दिव्यदृष्टि रह गया रिक्त कुल्चे का छाबा
लूट ले गए सुपर किंग पंजाबी ढाबा
शुक्रवार, 9 मई 2008
जयपुर में भी जीत का चला तेज तूफान
बारी-बारी उड़ गए दक्कन के दरबान
दक्कन के दरबान दुर्ग को बचा न पाए
पड़ी पठानी मार बहुत रोए पछताए
दिव्यदृष्टि बरबस आया आंखों में पानी
पहुंच गए गुंबद पर रॉयल राजस्थानी
गुरुवार, 8 मई 2008
अपने ही घर में पिटे धोनी से सहवाग
सुपरकिंग ने गजब का गाया मारू राग
गाया मारू राग बजाया जमकर तबला
नहीं चौधरी झेल सके थापों का हमला
दिव्यदृष्टि दिखलाई हिम्मत अच्छी खासी
दिल्ली का दम फुला गए फिर भी मद्रासी
तारे गिन गिन कर कटी रजवाड़ों की रात
पोलक ने दी शेन को सात विकेट मात सात
विकेट मात नहीं चल पाए रायल
इंच इंच कर दिए इंडियन उनको घायल
दिव्यदृष्टि राजस्थानी सस्ते में हारे
रजवाड़ों की रात कटी गिन गिन कर तारे
मिली दूसरी जीत घटा दक्कन का दुखड़ा
सुपर किंग की टीम के हुए हौसले पस्त
हुए हौसले पस्त , बनाई सूरत रोनी
नहीं कर सके राज-काज कुछ गोनी धोनी
दिव्यदृष्टि हो गया मलिन माही का मुखड़ा
मिली दूसरी जीत घटा दक्कन का दुखड़ा।
पलक झपकते ढह गई राहुल की दीवार
पलक झपकते ढह गई राहुल की दीवार
राहुल की दीवार , पुन : चैलेंजर हारे
सपने चकनाचूर हुए चंदन वन सारे
दिव्यदृष्टि गमगीन माल्या भरते सिसकी
खाली रहा गिलास हाथ से बोतल खिसकी।
राजस्थानी रेत पड़ी आंखों में उड़ उड़
सुपरकिंग के हो रहे सभी धुरंधर खेत
सभी धुरंधर खेत वीरगति पाए धोनी
शेन लिए शमशीर बनाए सूरत रोनी
दिव्यदृष्टि मद्रास केसरी देखें मुड़-मुड़
राजस्थानी रेत पड़ी आंखों में उड़ उड़
चकमा खाए चौधरी गए जीत से चूक
पोलक के हाथों पिटे निकली दिल से हूक
निकली दिल से हूक दिखा मुरझाया चेहरा
बनकर टूटे कहर आखरी पल में नेहरा
दिव्यदृष्टि अंबानी फूले नहीं समाए
गए जीत से चूक चौधरी चकमा खाए
जीत गए युवराज शाह की सेना हारी
उनके आगे बन गए बकरी सारे बाघ
बकरी सारे बाघ शेर पंजाबी गरजे
सुनकर तेज दहाड़ खान का सीना लरजे
दिव्यदृष्टि कर सके राइडर नहीं सवारी
जीत गए युवराज शाह की सेना हारी
घर लौटे मायूस लिए लक्खन मुंह लटका
फिर से धोखा दे गया उनको तभी नसीब
उनको तभी नसीब हाथ मलते पछताते
दीखे राहुल द्रवि़ड़ झूमकर जश्न मनाते
दिव्यदृष्टि मारे चैलेंजर ऐसा झटका घर
लौटे मायूस लिए लक्खन मुंह लटका
तल्ख बयानी छोड़कर भाव दिखाएं भद्र
एक-दूसरे की करें सभी खिलाड़ी कद्र
सभी खिलाड़ी कद्र खेल उत्तम दिखलाएं
वरना सौरभ-शेन सदृश जुर्माना पाएं
दिव्यदृष्टि इसलिए तजे हरकत बचकानी
भाव दिखाएं भद्र छोड़कर तल्ख बयानी
धोनी पर भारी पड़े दिल्ली के दमदार
दीखे उनके सामने सुपरकिंग लाचार
सुपरकिंग लाचार जीत का नशा उतारा
हाल हुआ गंभीर उन्हीं के घर में मारा
दिव्यदृष्टि सहवाग मिटाए शेखी सारी
दिल्ली के दमदार पड़े धोनी पर भारी
गुरुवार, 1 मई 2008
नहीं कर सके पार द्रविड़ 10 रन की बाधा
जीत गए इस वजह से दिल्ली के दमदार
दिल्ली के दमदार , पिटे रॉयल चैलेंजर
मार पड़ी गंभीर , चला वीरू का खंजर
दिव्यदृष्टि मैकग्रा ने खूब निशाना साधा
नहीं कर सके पार द्रविड़ 10 रन की बाधा
बुधवार, 30 अप्रैल 2008
पाकर परदेसी मदद गए इंडियन जीत
गिरते-गिरते बच गई अंबानी की भीत
अंबानी की भीत , मीत बन ब्रेवो आए
सनत सहारा बने ' राइडर ' तीन भगाए
बादशाह के बाघ गिरे औंधे मुंह जाकर
गए इंडियन जीत मदद परदेसी पाकर
मंगलवार, 29 अप्रैल 2008
बड़बोलों का आजकल हाल काबिले गौर
बड़बोलों का आजकल हाल काबिले गौर
हाल काबिले गौर, फिरें मिमियाते अख्तर
भारत में हरभजन नहीं कुछ उनसे कमतर
दिव्यदृष्टि दीखे दोनों की हालत खस्ता
लगा रहा चाबुक उनको अनुशासन दस्ता
सोमवार, 28 अप्रैल 2008
बहुत धुलाई तेज करे रांची का बबुआ
फैल गई बेंगलुरु में खबर सनसनीखेज
खबर सनसनीखेज सोप सीएसके रगड़े
मारे 'धोनी पाट' दाग मिट जाएं तगड़े
'दिव्यदृष्टि' काटे चिकनाई भर-भर झबुआ
बहुत धुलाई तेज करे रांची का बबुआ
डेक्कन चार्जर ने किया, गुस्से का इजहार
अंबानी की टीम को, खूब लगाई मार
खूब लगाई मार, धुरंधर गिल्ली बरसे
बेचारे इंडियन, विकेट की खातिर तरसे
दिव्यदृष्टि रन बरसे, बनकर चौका छक्का
सचिन हुए मायूस, लगा फिर गहरा धक्का
रेफरी ने हरभजन को किया न कतई माफ
आईपीएल से हुआ उनका पत्ता साफ
उनका पत्ता साफ , दूसरा और न चारा
इसीलिए फारूख दिखाए दिन में तारा
दिव्यदृष्टि थप्पड़ के बदले खाए लाठी
गई हेकड़ी भूल धूल फांके कद-काठी
बल्ले बल्ले हो रही जीत गए युवराज
जिंता की चिंता मिटी करें टीम पर नाज
करें टीम पर नाज बजाएं जमकर ताली
दिल्ली के दमदार पराजित हुए मोहाली
दिव्यदृष्टि सहवाग सिसकते थल्ले - थल्ले
जीत गए युवराज हो रही बल्ले बल्ले
सुपर किंग्स के शेर टाइगर मार भगाए
ट्वेंटी-20 क्रिकेट में जारी उनका राज
जारी उनका राज राइडर मुंह की खाए
सुपर किंग्स के शेर टाइगर मार भगाए
दिव्यदृष्टि हेडन दिखलाए अदा सलोनी
जीत गए फिर आज धनी किस्मत के धोनी
मुंह पर थप्पड़ जड़े उड़ी गरिमा की धज्जी
मोहाली में भी नहीं कर पाए कुछ खास
कर पाए कुछ खास पड़े उल्टे सब पासे
पिटे तीसरी बार हुए हरभजन रुआंसे
दिव्यदृष्टि रूठी किस्तम छाई वीरानी
उन्हें तनिक भी रास नहीं आई कप्तानी
पिटे मुंबई इंडियन हाल हुआ बेहाल
मार-मार युवराज ने लाल कर दिए गाल
लाल कर दिए गाल क्रोध में आए भज्जी
मुंह पर थप्पड़ जड़े उड़ी गरिमा की धज्जी
दिव्यदृष्टि कप्तान इस कदर आपा खोए
सुबक-सुबक श्रीशांत फील्ड के अंदर रोए
शुक्रवार, 25 अप्रैल 2008
देह दिखाने की मगर नहीं मिलेगी छूट
देह दिखाने की मगर नहीं मिलेगी छूट
नहीं मिलेगी छूट , सुनें मस्ती बालाएं
अपना तीरे हुस्न कहीं पे और चलाएं
दिव्यदृष्टि यदि नाचेगी उत्तेजक नारी
क्रिकेट मैच में पड़ जाएगी बाधा भारी
गुरुवार, 24 अप्रैल 2008
साइमंड रह गए फिर भी कड़के
बच पाई जाकर तभी सेनापति की शान
सेनापति की शान शेन ने करके पीछा
मार लिया मैदान दिखा दक्कन को नीचा
दिव्यदृष्टि मायूस हुए लक्खन के लड़के
शतक ठोक साइमंड रह गए फिर भी कड़के
जारी लेकिन अंत तक रही खूब तकरार
जारी लेकिन अंत तक रही खूब तकरार
रही खूब तकरार लगाए पूरा दमखम
है ये दीगर बात रहे रन थोड़े से कम
'दिव्यदृष्टि' जो हार जमाने का मन मोहे
कुछ वैसी ही जीत विजेता के सिर सोहे
बुधवार, 23 अप्रैल 2008
आप अगर सरदार तो मैं भी हूं सरदार
असरदार दोनों बहुत इसे समझ लो यार
इसे समझ लो यार मनोहर गिल का कहना
एक म्यान में दो तलवारें मुश्किल रहना
दिव्यदृष्टि हॉकी की हुई फजीहत भद्दी
कृपा कुंवर जी करो छोड़ दो अब तो गद्दी
दिल्ली के सुल्तान ने ऐसी कसी लगाम
दकन हैदराबाद का गड़बड़ हुआ निजाम
गड़बड़ हुआ निजाम लक्ष्मण का दिल धड़के
वीरू उगले आग हृदय में शोला भड़के
चकित चार्जर दिए हार का लिखकर रुक्का
चहक चौधरी पिएं जीत का जमकर हुक्का
सोमवार, 21 अप्रैल 2008
इसीलिए झुकता रहा नित हॉकी का माथ
इसीलिए झुकता रहा नित हॉकी का माथ
नित हॉकी का माथ धूल में मिली प्रतिष्ठा
दिखी साफ संदिग्ध सचिव की सारी निष्ठा
दिव्यदृष्टि जो दुष्ट कराए जग में हांसी
सरेआम दे दो भारत में उसको फांसी
जीत गया पंजाब से रॉयल राजस्थान
जीत गया पंजाब से रॉयल राजस्थान
रॉयल राजस्थान झोंक दी ताकत सारी
बची शेन की शान किंग की सेना हारी
दिव्यदृष्टि युवराज बहुत करतब दिखलाए
फिर भी दूजी बार पराजय बचा न पाए
करें लड़ाई मूंछ की शेन और युवराज
करें लड़ाई मूंछ की शेन और युवराज
दुनिया में मशहूर हैं दोनों ही जांबाज
दोनों ही जांबाज एक - दूजे पर भारी
किंग इलेवन , रॉयल में हो मारामारी
हो रन की भरमार कहीं डरपेगा बल्ला
आज गुलाबी शहर में कहर बरपेगा लल्ला
करें लड़ाई मूंछ की शेन और युवराज
दुनिया में मशहूर हैं दोनों ही जांबाज
दोनों ही जांबाज एक - दूजे पर भारी
किंग इलेवन , रॉयल में हो मारामारी
हो रन की भरमार कहीं डरपेगा बल्ला
आज गुलाबी शहर कहर बरपेगा लल्ला
रविवार, 20 अप्रैल 2008
बादशाह के हाथ नहीं लग पाती बाजी
लेकिन पूरे मैच में टीम रही भयभीत
टीम रही भयभीत, रह गई सांसें थमकर
डक्कन चार्जर बने राह में बाधा जमकर
' दिव्यदृष्टि ' यदि होती बेहतर गोलंदाजी
बादशाह के हाथ नहीं लग पाती बाजी
नाचें नाइट राइडर ले मन में अरमान
नाचें नाइट राइडर ले मन में अरमान
ले मन में अरमान , शाहरुख बोलें हल्ला
धुंआधार फिर करें मैकुलम इंशाअल्ला
दिव्यदृष्टि हो ईडन में ऐसी रनबारी
विजय पताका फहराए फिर टीम हमारी।
दुनिया के दिग्गज भरे दकन चार्जर टीम
अगुवा जिसके लक्ष्मण फितरतबाज फहीम
फितरतबाज फहीम , उड़ाएं चौका छक्का
गजब करें गिलक्रिस्ट विरोधी खाएं धक्का
दिव्यदृष्टि दीखें करतब किरकिट गुनिया के
दकन चार्जर टीम भरे दिग्गज दुनिया के।
सहमे-सहमे शेन फेन फेंके रजवाड़े
दिल्ली में भी नीर का हुआ न बंदोबस्त
हुआ न बंदोबस्त सरोवर सारे सूखे
मार पड़ी गंभीर गला गर्दन सब दुखे
दिव्यदृष्टि सहवाग बजाते फिरें नगाड़े
सहमे-सहमे शेन फेन फेंके रजवाड़े
मिला जीत का बाउचर
चैलेंजर की बच गई ढहने से दीवार
ढहने से दीवार काम परदेसी आए
किंतु सचिन की साख हरभजन बचा न पाए
दुनिया को हिलाने का जो प्लेयर देते नारा
डूब गया खुद उनकी ही किस्मत का तारा
शनिवार, 19 अप्रैल 2008
किंग्स इलेवन टीम के अगुआ हैं युवराज
उधर दूसरी ओर हैं रॉयल राजस्थान
रॉयल राजस्थान , लिए कप्तान विदेशी
दोनों की मुठभेड़ कोटला में दरपेशी
दिव्यदृष्टि सहवाग , शेन की ताकत आला
देखो जीते कौन पिटे किसका दीवाला
किंग्स इलेवन टीम के अगुआ हैं युवराज
धोनी भी पहने हुए सुपर किंग्स का ताज
सुपर किंग का ताज नाज हैडन पर भारी
पर शेरे पंजाब घूमता लिए दुधारी
दिव्यदृष्टि हर हमले का देने को उत्तर
जबरदस्त तैयार दिखे पंजाबी पुत्तर
शुक्रवार, 18 अप्रैल 2008
रॉयल चैलेंजर का बैठा जमकर भट्ठा
एक सैकड़ा भी द्रविड़ नहीं कर सके पार
नहीं कर सके पार हुई भारी रुसवाई
पहले दिन ही पिटे पराजय पल्ले आई
दिव्यदृष्टि ऐसा छाया परदेसी पट्ठा
रॉयल चैलेंजर का बैठा जमकर भट्ठा
'दादागीरी' चले याद आ जाए नानी
जज्बा जोश जुनून की दीखे पैनी धार
दीखे पैनी धार, ढहे 'दीवार' पुरानी
' दादागीरी' चले याद आ जाए नानी
दिव्यदृष्टि दिखलाओ ऐसा करतब धांसू
चैलेंजर की आंखों में आ जाए आंसू
दुनिया में मशहूर हैं राहुल द्रविड़ ' द वॉल '
उनके आगे खान की नहीं चलेगी चाल
नहीं चलेगी चाल, दाल गलने में शंका
रॉयल चैलेंजर का जग में बाजे डंका
दिव्यदृष्टि जो एक बार चंदन वन आए
राह भूल ताउम्र वही चीता मिमियाए
गुरुवार, 17 अप्रैल 2008
ले-देकर पूरी हुई टॉर्च रिले की रस्म
जोश सभी ठंडा पड़ा हुईं उमंगें भस्म
हुईं उमंगें भस्म, लगा है सदमा गहरा
डरी बिचारी देख राजपथ भारी पहरा
भले इंडिया गेट दुल्हन ओलंपिक आई
नहीं सुनाई पड़ी मगर ढोलक-शहनाई
बुधवार, 16 अप्रैल 2008
बहु एक धनवान
माल करोरों का मिले जब हो कन्यादान
जब हो कन्यादान दरिद्दर घर से जाए
फ्रिज टीवी कूलर के साथ लक्ष्मी आए
मुझको देख अमीर अचम्भा होय सृष्टि को
बहू एक धनवान चाहिए दिव्यदृष्टि को
पीएम को लेकर मगर चूका उनका तीर
पीएम को लेकर मगर चूका उनका तीर
चूका उनका तीर , पीर मनमोहन पाए
राहुल भी बेचैन बहुत फिरते खिसियाए
दिव्यदृष्टि अर्जुन की भारी हुई फजीहत
तजो चापलूसी फौरन मिल गई नसीहत
मंगलवार, 15 अप्रैल 2008
कातिल से मिलने गईं गुपचुप कारागार
कातिल से मिलने गईं गुपचुप कारागार
गुपचुप कारागार , पिता को किसने मारा
था किसका षड्यंत्र , कौन असली हत्यारा
दिव्यदृष्टि यदि नलिनी सच्ची बात बताओ
मुलाकात का मौका तुम आगे भी पाओ
सोमवार, 14 अप्रैल 2008
भज्जी के आगे दिखे गेस्ट सभी भयभीत
भज्जी के आगे दिखे गेस्ट सभी भयभीत
गेस्ट सभी भयभीत , पिट गए सारे प्यादे
दादा बने ' वजीर ' साफ कर दिए इरादे
दिव्यदृष्टि है शेष अभी भी दमखम पूरा
नहीं सेलेक्टर समझें उनको कतई घूरा
शनिवार, 12 अप्रैल 2008
पांच बरस से व्याकुल है भारत की परजा
चश्मा पहने आंख पर धीर तसल्लीबख्श
धीर तसल्लीबख्श, खड़ी थी पब्लिक घेरे
सुने सभी की बात कुटिल मुस्कान बिखेरे
तभी किसी ने कहा छोड़ दो फौरन रस्ता
चिदम्बरम आ गए बजट का लेकर बस्ता
पांच बरस के दंश से रूह रही थी कांप
नाम सुना तो वक्ष पर लगा लोटने सांप
लगा लोटने सांप, कौन-से बिल में जाऊं
भाग्य-विधाता को कैसे सूरत दिखलाऊं
आम आदमी की चिंता में जो मरता है
उसकी भी किरकिरी कहीं कोई करता है
यही सोचते खुल गई दिव्यदृष्टि की आंख
आंसू से सरसब्ज था बिस्तर, पीला पांख
बिस्तर, पीला पांख, माख था मन में भारी
रहती थोड़ी और कृपा निद्रा की जारी
काम चला लेता गुठली से उज्र न करता
आम-आदमी का रिश्ता बेमौत न मरता
बीती ताहि बिसारि के आगे की सुधि लेहु
बहुत दे चुके गुठलियां अब मीठे फल देहु
अब मीठे फल देहु विनय कर रहे दिगम्बर
यह चुनाव का वर्ष कृपा कुछ करो चिदम्बर
पांच बरस से व्याकुल है भारत की परजा
नाथ कीजिए माफ किसानों का अब करजा
वोट पटाने के बदले दे ऋण से माफी
उसकी तुलना में बढ़ा नहीं कृषक का ठाठ
नहीं कृषक का ठाठ , खेत में घंटों खटता
बदनसीब का कर्ज नहीं तब भी है पटता
दिव्यदृष्टि जब नहीं मुक्ति की दीखे धारा
करे मृत्यु का आलिंगन तब वह बेचारा
ऐसी दशा किसान की हुई न रातोंरात
लगातार छह दशक से उसे मिली है मात
उसे मिली है मात , कभी ठगते व्यापारी
कभी बढ़े आयात फसल सीजन में भारी
कहने को तो देती है सरकार समर्थन
फिर भी रामगरीब फिरे ले खाली बर्तन
एक जून रोटी नमक एक वक्त उपवास
करते - करते काटता ' गोबर ' सूखी घास
' गोबर ' सूखी घास , आस में बैठी धनिया
चिदम्बरम सा मेहरबान आएगा बनिया
वोट पटाने के बदले दे ऋण से माफी
तब जाकर गोदान सरल हो जाए काफी
वह किसान भी नाच रहा मस्ती में भंगड़ा
उत्सव के माहौल में झूमे सारा देश
झूमे सारा देश, कर्ज से था जो लंगड़ा
वह किसान भी नाच रहा मस्ती में भंगड़ा
खोल खजाना मनमोहन जी भूले चावी
चिदंबरम ने पेश कर दिया बजट चुनावी
संडे सिडनी सेंचुरी आए बारम्बार
सदा सराहे सचिन को सारा ही संसार
सारा ही संसार , लगाए मिल कर नारा
ओल्ड रहेगा गोल्ड सभी नयनों का तारा
दिव्यदृष्टि हो गए हार कंगारू ठंडे
आए बारम्बार सेंचुरी सिडनी संडे
क्वालालम्पुर में हुई हिंदी विजय विराट
परचम हिन्दुस्तान का फहरा दक्षिण घाट
फहरा दक्षिण घाट , जूनियर बाजे डंका
उम्र भले उन्नीस कोहली करतब बंका
विश्वविजेता बन आए जो लड़के भाई
दिव्यदृष्टि दे रहा कोटिश: उन्हें बधाई
बात-बात पर नहीं रेड लाइट दिखलाओ
कॉमरेड सारे उसे सुनें खोल कर कान
सुनें खोल कर कान, मान लें बात हमारी
करूं न्यूक्लियर डील रहेगी चर्चा जारी
दिव्यदृष्टि इसलिए हमारा साथ निभाओ
बात-बात पर नहीं रेड लाइट दिखलाओ
हरा फाइनल में दिया एक नहीं दो बार
पिटे पोन्टिंग देश में पड़ी करारी मार
पड़ी करारी मार , बिकी सस्ते में मिट्टी
देख इंडियन खेल गुम हुई सिट्टी - पिट्टी
दिव्यदृष्टि धोनी दिखलाए करतब धांसू
डूब गया ब्रिसबेन बहे कंगारू आंसू
जरा अतिथि सत्कार पॉन्टिंग सीखो बच्चा
किन्तु रहेगी विश्व को याद एक ही चीज
याद एक ही चीज, सभी कंगारू प्लेयर
ना करते व्यवहार गेस्ट से कतई फेयर
दिव्यदृष्टि यदि नाम कमाना जग में अच्छा
जरा अतिथि सत्कार पॉन्टिंग सीखो बच्चा
है क्रिकेट को सलाम उसी की है बंदगी
मन में नहीं मलाल नहीं कोई गंदगी
हारा है कौन , जीत गया कौन भूलिए
है क्रिकेट को सलाम उसी की है बंदगी
सम्मान , प्यार , खेल भावना सतत बढ़े
सद्भाव , स्नेह , शांति से पनपे परिन्दगी
यह सीख दिव्यदृष्टि की मन में बसाइए
टिकती नहीं है प्रेम के आगे दरिन्दगी
लेफ्ट फ्रंट ने फिर दिया है चाबुक फटकार
किया न्यूक्लियर डील तो जाएगी सरकार
जाएगी सरकार , सोनिया , मोहन सुन लें
कोई एक विकल्प फटाफट दोनों चुन लें
दिव्यदृष्टि यदि पांच बरस चलवानी सत्ता
कर दो रद्द करार , नहीं कट जाए पत्ता
जाति-धर्म के नाम पर बांटा हिन्दुस्तान
असंतुष्ट फिर भी रहे क्षुद्र सियासतदान
क्षुद्र सियासतदान , बुद्धि इनकी है मारी
कहीं मराठावाद कहीं पिट रहे बिहारी
दिव्यदृष्टि इस भेदभाव को छोड़ो भैया
वरना नफरत की आंधी ले डूबे नैया
हॉकी में हकले हमें लगा रहे फटकार
हॉकी में हकले हमें लगा रहे फटकार
लगा रहे फटकार, मार खाई है तगड़ी
दूर हुई ओलंपिक से भारत की पगड़ी
दिव्यदृष्टि सरताज पिटे निकला दीवाला
आठ दशक में आया है ऐसा दिन काला
गिल का दिल बेशर्म जरा भी नहीं पसीजे
बूढ़े नौकरशाह को पड़े नहीं कुछ फर्क
पड़े नहीं कुछ फर्क , तर्क कितने भी दीजे
गिल का दिल बेशर्म जरा भी नहीं पसीजे
दिव्यदृष्टि इसलिए खड़ा मत करो बखेड़ा
हो आए दिन गर्क भले हॉकी का बेड़ा
हिंदुस्तानी छोकरा पाए डेढ़ करोड़
वेतन सुनकर पेट में उठने लगा मरोड़
उठने लगा मरोड़ , विलायत वाले रोएं
देख इंडियन जीन , जीनियस आपा खोयें
दिव्यदृष्टि की सीख यार मत नजर लगाओ
अक्ल चाहिए असली तो भारत आ जाओ
कुर्सी तजने को नहीं गिल का दिल तैयार
बेशक हॉकी का यहां हो नित बंटाढार
हो नित बंटाढार , खेल का बिगड़े ढांचा
हारे हर पल टीम गाल पर पड़े तमाचा
दिव्यदृष्टि कविराय करो मत मातमपुर्सी
गिल का दिल तैयार नहीं तजने को कुर्सी
दोयम दर्जा शाहरुख अव्वल आमिर खान
बात-बात में कर गए अपने-आप बखान
अपने-आप बखान , मियां मिट्ठू मिमियाए
नहीं क्रिकेट की बोली-टोली उनको भाए
दिव्यदृष्टि ' गजनी ' का गुर्गा गोरी गरजा
अव्वल आमिर खान शाहरुख दोयम दर्जा
ऊंचे पद पर बैठ कर इतना नीचा काम
कर सकता बेशर्म ही कोई नमक हराम
कोई नमक हराम , प्रेमिका को मरवाए
फिर गुर्गों से नष्ट तथ्य सारे करवाए
दिव्यदृष्टि वह आज गया है पाया दोषी
जब भी होगी सजा उतर जाए मदहोशी
हमदर्दी से झुके मगर वोटों की डाली
सोच रहा शासन उन्हें जल्दी मिले निदान
जल्दी मिले निदान , तरीका खोज निकाला
पहनाएंगे बैंक उन्हें कर्जे की माला
भले खजाना दिव्यदृष्टि हो जाए खाली
हमदर्दी से झुके मगर वोटों की डाली
सरबजीत को फिर से जीवन दान दीजिए
मैं उनके कानून की करता काफी कद्र
करता काफी कद्र , भरोसा मन में भारी
माफी का अहकाम करेंगे जनरल जारी
बढ़े न्याय का मान मगर बच जाए बंदा
सजा दीजिए और छोड़ फांसी का फंदा
सरबजीत को दीजिए फिर से जीवन दान
दुनिया की तारीख में बनिए आप महान
बनिए आप महान , दखल इसको मत मानें
कवानीन का अदना खादिम मुझको जानें
दिव्यदृष्टि पर बस इतना अहसान कीजिए
सरबजीत को फिर से जीवन दान दीजिए
ऐश टनाटन टन्न, मजा लूटेंगे रजनी
पुत्रवधू दक्षिण चली ऐश टनाटन टन्न
ऐश टनाटन टन्न , मजा लूटेंगे रजनी
कैश खनाखन खन्न खूब भेजेगी सजनी
दिव्यदृष्टि अभिषेक अमित दीखें हरसाए
पूरे पांच करोड़ बहुरिया घर ले आए
पति के बदले हिन्द का होता हो अपमान
नहीं रुचे सुखप्रीत को सुन ले पाकिस्तान
सुन ले पाकिस्तान, बने मत हातिमताई
किसी उग्रवादी की होगी नहीं रिहाई
दिव्यदृष्टि कुरबान भले शौहर हो जाए
मगर देश की शान नहीं कम होने पाए
होता ओछे काम का सदा बुरा परिणाम
अनुभव से बतला गए गुनी - मुनी सरनाम
गुनी - मुनी सरनाम , मुफ्त दे गए नसीहत
नेक काम करने से होती नहीं फजीहत
दिव्यदृष्टि करते जो हाकिम गुण्डागर्दी
हों जग में बदनाम उतर जाती है वर्दी
मदहोशी में गुम हुई शर्मा जी की अक्ल
मित्रों से करवा दिया पत्रकार का कत्ल
पत्रकार का कत्ल , जान से गई शिवानी
किन्तु फोन में टेप कर गई प्रेम कहानी
दिव्यदृष्टि अब निभे बड़े घर में याराना
उम्र कैद के साथ चारों भरे जुरमाना
ज्ञानी ध्यानी कह गए बुरी बला है लोभ
सदा लालची व्यक्ति को होता आखिर क्शोक्ष
होता आखिर क्षोभ , मान मर्यादा खोए
मरे स्वान की मौत नरक नफरत का ढोए
दिव्यदृष्टि मिट जाए पल में नाम निशानी
बुरी बला है लोभ कह गए ज्ञानी ध्यानी
बची दुधमुंही वंदना सुखी हुए मां-बाप
सेना ने फिर शौर्य की छोड़ी गहरी छाप
छोड़ी गहरी छाप , मौत को मार भगाया
पुन: वीरता पर अपनी विश्वास जगाया
दिव्यदृष्टि भगवान बने भू पर सेनानी
असहनीय है किंतु प्रशासन की नादानी
ब्यूरोक्रेसी देश की सुने खोल कर कान
किसी विलासीराव पर खोले नहीं जुबान
खोले नहीं जुबान , शान में शीश झुकाए
नन्दलाल की भांति अड़ंगा नहीं लगाए
दिव्यदृष्टि हो जाए वरना ऐसी-तैसी
सुने खोल कर कान देश की ब्यूरोक्रेसी
सुपर किंग्स का नाम करेंगे रोशन माही
धोनी को हासिल वही बतलाएं श्रीकांत
बतलाएं श्रीकांत , मुखर दें ठोस गवाही
सुपर किंग्स का नाम करेंगे रोशन माही
दिव्यदृष्टि इसलिए भूत पर करें भरोसा
वर्तमान के संग उड़ाएं इडली - डोसा
शांत बौद्धों की करे हत्या जो मतिमंद
उसको कतई भूटिया करते नहीं पसंद
करते नहीं पसंद , मामला निजी बताते
ल्हासा की घटना पर भारी रोष जताते
दिव्यदृष्टि बेशक ओलंपिक चीन कराए
खूनी मगर मशाल न उनके हाथ थमाए।
सांसत में हैं चौधरी अकड़े हुए किसान
बात नहीं मानी अगर मेटें नाम-निशान
मेटें नाम-निशान , बंद हो हुक्का-पानी
उधर लिए हथकड़ी खड़ी हैं माया रानी
दिव्यदृष्टि बड़बोलापन बन गया फसाना
खड़ी हो गई खाट जाट पर हँसे जमाना
पहली पारी में बिके सस्ते में ही बेर
एक सत्र में ही हुए सारे दिग्गज ढेर
सारे दिग्गज ढेर , शेर बन बैठे चूहे
बारी-बारी बिखरे ज्यों रेतीले ढूहे
दिव्यदृष्टि गीदड़ बनने से अच्छा भाई
अगली पारी में करना पुरजोर लड़ाई
फिर चमके स्टार खिले आंगन में तुलसी
दिखी दुबारा ' एकता ' कामयाब भरपूर
कामयाब भरपूर , हिये में हुलसी-हुलसी
फिर चमके स्टार खिले आंगन में तुलसी
दिव्यदृष्टि देखे दुनिया ' ईरानी ' जलवा
सास-बहू के साथ गौतमी खाए हलवा
बनियागीरी छोड़कर सुन लें शरद पवार
जनता की आवाज हैं भारत में अखबार
भारत में अखबार , खबरिया देते जम कर
आईपीएल जान-समझ ले इसको थमकर
दिव्यदृष्टि यदि अधिकारों पर होगा हमला
बहिष्कार के साथ मीडिया तोड़े गमला
लगी त्याग की होड़ शिगूफा खूब निराला
छोटे पद का पुत्र फिर करे न क्यों बलिदान
करे न क्यों बलिदान , शान बेटे की आला
लगी त्याग की होड़ शिगूफा खूब निराला
दिव्यदृष्टि यह बात भला कैसे समझाए
मंत्री पद किस भांति महामंत्री को भाए
मस्ती में सहवाग झूम कर लिए सलामी
' वीरू-वीरू स्पेशल ' चली नजफगढ़ मेल
चली नजफगढ़ मेल कूद कर बैठे हामी
मस्ती में सहवाग झूम कर लिए सलामी
रचा नया इतिहास मचा दुनिया में हल्ला
चला चेन्नई में जम कर वीरू का बल्ला
काट रहे हैं जेब नाचते जमकर भंगड़ा
व्यापारी लेकिन उधर काट रहे हैं जेब
काट रहे हैं जेब, नाचते जमकर भंगड़ा
बैठा आंखें मूंद प्रशासन लूला-लंगड़ा
दिव्यदृष्टि क्या खूब दिखाई है हमदर्दी
महंगाई की गठरी सिर के ऊपर धर दी
जुआ बताना क्रिकेट को भाव नहीं है भद्र
जुआ बताना क्रिकेट को भाव नहीं है भद्र
भाव नहीं है भद्र , सद्र शिव सेना सुन लें
सचिन सरीखे रत्न पूर्ण भारत से चुन लें
दिव्यदृष्टि प्रतिभा पाए यदि ऊंची ' बोली '
सम्मानित हो देश ' बढ़े ' बच्चों की टोली।
पहली पत्नी का नहीं जो रख सके खयाल
सोच-समझ ले दूसरी फौरन उसकी चाल
फौरन उसकी चाल , ढाल को देखे-भाले
फिर अपनी जिन्दगी शौक से करे हवाले
दिव्यदृष्टि पायल की अब तक यही कहानी
घायल होने से पहले पढ़ उसको ' रानी '
थोड़ा मोल बढ़ाओ आका
नफरत का नश्तर कभी नजर न आए हाथ
नजर न आए हाथ , माथ पर पड़े न लाठी
गांधी की यह बात समझ लें लोग मराठी
मानवता का मर्म यही इसको अपनाएं
दिव्यदृष्टि के साथ प्यार की शमा जलाएं
हफ्ते भर को क्या हुए दिव्यदृष्टि गुमनाम
क्रिकेटरों का बढ़ गया दुनिया भर में दाम
दुनिया भर में दाम हुई कैसी अनहोनी
आज धनी हो गए कल तलक थे जो धोनी
ऐसे में फिर कलमकार क्यों मारे फाका
करो शाह रुख थोड़ा मोल बढ़ाओ आका
मेरी रग-रग में बसा है मुंबइया प्यार
यहीं मुझे इज्जत मिली पाया यहीं प्रचार
पाया यहीं प्रचार , यार मुझको पहचानो
कहो कुली या डॉन मगर मजबूर न जानो
दिव्यदृष्टि बिग-बी छोरा गंगा तट वाला
बाला साहब ने जिसको नाजों से पाला
पटरी पर डगमग चले लालू जी की रेल
पटरी पर डगमग चले लालू जी की रेल
लालू जी की रेल , बीच के बाबू आहत
क्लास फोर के हाथ न आई कोई राहत
दिव्यदृष्टि हाकिम सब हड़पे दूध मलाई
बस कुल्हड़ भर छाछ हमारे हिस्से आई
शुक्रवार, 11 अप्रैल 2008
संजू बाबा लें मजा शादी का भरपूर
संजू बाबा लें मजा शादी का भरपूर
शादी का भरपूर , झूम कर जश्न मनाएं
साथ-साथ जीने मरने की कसमें खाएं
दिव्यदृष्टि ज्यों ही कानूनी शामत आई
मुकर गए त्यों ही मैरिज से मुन्ना भाई
उजली पहन कमीज, खाद ओबीसी डालें
नेता बोएं शौक से उजली पहन कमीज
उजली पहन कमीज , खाद ओबीसी डालें
फिर वोटों की फसल फायदेमंद उगा लें
ध्यान रहे पर दिव्यदृष्टि जो क्रीमी लेयर
हड़प न ले खलिहान कीजिए इतनी केयर
महंगाई की मार, झेलती पब्लिक डेली
तनिक नहीं कम हो रही महंगाई की मार
महंगाई की मार , झेलती पब्लिक डेली
मगर मुनाफाखोर मौज से मलें हथेली
दिव्यदृष्टि ब्यूरोक्रेसी को नाहक कोसे
मनमोहन सरकार चल रही राम भरोसे
दिव्यदृष्टि
यह मैं हूं
ब्लॉग आर्काइव
-
▼
2008
(289)
-
▼
दिसंबर
(26)
- हो हम पर उपकार न्यू इयर फाइन लाना
- तुम्हें मुबारक साल नया हो आनेवाला
- मिला न अजमल को अगर कोई यहां वकील
- आया है कश्मीर में फ्रैक्चर्ड मंडेट
- दुश्मन पर अब और न कतई दया दिखाओ
- हुई पांचवीं बार अब फिर नीयत नापाक
- कौन करेगा माया जी उसकी भरपाई?
- रहे स्वान की पूंछ सदा टेढ़ी की टेढ़ी
- मंदी से हैं बेअसर हीरो आमिर खान
- हुई द्रविड़ पर बहुत जब नुक्ताचीनी थोक
- संसद में भी बोलते अब्दुल ओछे बोल
- बुश, जाते-जाते लीजिए जूते का उपहार
- बेटर टीम इंग्लैंड की किन्तु इंडिया बेस्ट
- चौथी पारी में रखे वीरू जो बुनियाद
- छूटे साफ पटेल क्लीन चिट मिली अमर को
- लगा रहा आतंक की जो भारत में आग
- किया न कतई चांद ने कोई अनुचित काम
- फिर भी ढीले पुलिसजन करें न पूरा फर्ज
- सीएम - इन - वेटिंग पिटे गजब हुई तौहीन
- अमरीका ने पाक को मारी जब फटकार
- भारत में कितना भी हो आतंकी गड़बड़झाला
- कहां खो गए हैं अमर मित्र मुलायम आप
- पाक पड़ोसी ने किया बहुत हमें हैरान
- यूं तो बनते मार्क्स के असली वारिस आप
- ताव दिखाएं धरम जी खौल रहा है खून
- पहले धकियाए गए दिल्ली में शिवराज
-
►
नवंबर
(29)
- तकिये में सब कुली छिपा बंदूकें सोये
- टेस्ट करेगी दुनिया आखिर, कब तक टीस हमारी
- सारा खुफिया तंत्र देश का फेल हो गया
- शीला जी यह है नहीं धर्म युद्ध का दौर
- मुंगेरी-सा देखते सपना चिरकुट लाल
- करिए मेरे पक्ष में एक बार मतदान
- छीने खूब सीरीज मारकर धोनी धक्का
- बुलडोजर लौटाइए मोदी जी चुपचाप
- एटीएस के साथ मिल चली केंद्र ने चाल
- हुई हार की हैट-ट्रिक पीटरसन बेजार
- सौ में नब्बे नौकरी करें मराठी लोग
- लीडर के घर बजती शहनाई
- मुद्दे का टोटा पड़ा परेशान हैं लोग
- लगे कांपने फेस देखकर प्लेयर गोरे
- पहले कंगारू पिटे फिर गोरे अंग्रेज
- और कहेंगे मस्जिद की तौहीन कर रही मधुशाला
- लीडर मंगदे वोट कर डेमोक्रेसी डांस
- गली-गली में आजकल घूम रहे 'सरवंट'
- बैन लगाकर फिल्म पर महाराष्ट्र सरकार
- बेटा वंचित टिकट से मां को भारी कोप
- रिकी पॉन्टिंग के सारे गुर्गे हकलाए
- कहां लता मंगेशकर, सचिन कहां हैं आप
- सूबेदारी छोड़कर करें देश की बात
- टेस्ट क्रिकेट में सचिन की गूंजे तेज दहाड़
- जान-बूझकर पुलिस ने मारा राहुल राज
- विजयी बरक हुसैन खूब लेते अंगड़ाई
- करवाए विस्फोट पहन कर भगवा चोला
- नहीं दिखाई पड़ेंगे जम्बो जेट के विंग
- सट्टेबाजों की बहुत चिदम्बरम को फिक्र
-
►
अक्तूबर
(27)
- जिस कंगारू ने किया गौतम को हैरान
- महाराष्ट्र के लोग समझ लें इसको भाई
- मोहन बैठे मौन देश दुख झेल रहा है
- करें न ऐसा काम कुछ रुष्ट बिहारी मित्र
- नहीं सचिन से बढ़कर कोई जग में सच्चा
- शेयर का बाजार जा रहा तल में पल-पल
- छोड़ दिया है बाइज्जत नफरत का बंदर
- हुई करारी हार बहुत रोए कंगारू
- महाराष्ट्र में कर रही नफरत का निर्माण
- कंगारू की कनपटी सौरभ ने की लाल
- हो प्रसन्न सब पायलट नाच रहे भरपूर
- नन्हे-मुन्ने ने किया टेस्ट क्रिकेट में टॉप
- निवेशकों में मच रहा भारी हाहाकार
- गए इलेक्शन मोड में सूबे पूरे पांच
- बेशर्मी से दे रहे फिर भी मधुर दलील
- दिखा नहीं पाए सचिन करतब कोई खास
- कांग्रेस में फील गुड बीजेपी में बैड
- बूढ़ा है तो क्या हुआ, है तो आखिर शेर
- किंग खान इसलिए करेंगे बिजनेस मोटा
- मान सहित मैदान करेंगे खाली दादा
- भाया 'नैनो' को बहुत मोदी का गुजरात
- शर्मा का बलिदान कहें फर्जी जजबाती
- मजबूरन टाटा कहे बाय-बाय बंगाल
- सौरभ, राहुल, सचिन रास्ता छोड़ें भाई
- 60 साल में आज़ादी की यही कमाई
- यही सोचकर मिट्टी ढोएं राहुल गांधी
- नैतिकता को त्याग तब डाकू बने जवान
-
►
सितंबर
(28)
- गली गली गुजरात में विफल हुए जासूस
- गली गली गुजरात में विफल हुए जासूस
- वफा की आप गर उम्मीद करते हैं करीना से ,
- मियां बुखारी लीजिए जरा अक्ल से काम
- हे बेटा अमिताभ कर्म करना तुम अच्छन
- टाटा ने सिंगूर से बिस्तर लिया समेट
- राहुल बाबा शौक से करिए आप विवाह
- हो परमाणु करार तो बढ़े आय की डोर
- गिनने में मशगूल थे हत्यारे उत अंक
- धन्य ज़िंदगी हुई वीरगति बेशक पाए
- निकल पड़े मनमोहन करने मरहमपट्टी
- जो दे अहम सुराग भला हो उसका अल्लाह
- सारा दिन बदले मगर गृहमंत्री पोशाक
- पाटिल के सिर पर गिरी लाठी लालू छाप
- फिर भी अब डडवाल बने फिरते हैं हीरो
- भारत दौरे पर नहीं आएगा सयमंड
- किंतु दौड़ में सचिन रह गए पीछे छूटे
- यहीं मिली पहचान, बोलते बच्चन सादर
- हेम-आरुषि के कातिल घूमें बेखटके
- गुमसुम बैठे गांगुली दीख रहे नाराज
- गंजे को मिल ही गया है आखिर नाखून
- नीयत पाकिस्तान की दीख रही नापाक
- गुठली की तरह हो रहा है आम आदमी
- ऐसे कातिल को महज़ पांच साल की जेल
- यहां-वहां पर बेवजह नहीं भटकिए राज
- पड़े न महंगा कहीं ऊर्जा का यह झटका
- सिर पर दारू का नशा पांवों में थी कार
- त्यों ही ममता के हुए तेवर फौरन नर्म
-
►
अगस्त
(25)
- जम्मू वाले तो हुए किसी तरह संतुष्ट
- बेरहमी से उनको सबक सिखाओ
- चीफ मिनिस्टर रह गए देख हरकतें दंग
- सिंहली शेर बने लंका में बकरी
- झारखंड में आ गई गद्दी गुरु के हाथ
- बाहर करो निकाल समझकर उनको रद्दी
- नैतिकता की लाज भला फिर कौन बचाए
- तब तक नन्हीं कार नहीं बनवाएं टाटा
- लेने लगें वकील जब जोड़-तोड़ से काम
- पड़े खेल के खेत में सुविधाओं की खाद
- लालू टोली जब चढ़ जाएगी
- तब इस्तीफे का किया जनरल ने ऐलान
- अखिल और जीतेंद्र पर करे इंडिया नाज
- मियां मुशर्रफ के रहे गिने-चुने दिन शेष
- अमरनाथ के नाम पर मचा रहे कोहराम
- कीमत हुई वसूल दक्षिणा शिबू पाए
- अभिनव बिंद्रा तुम्हें देश दे रहा बधाई
- बेटी हूं मैं दलित की नहीं तनिक संदेह
- फिर भी लंका में नहीं छोड़ सके हैं छाप
- बेहतर है खुद सदर छोड़ दें फौरन गद्दी
- चमके उनके नैन, मुलायम-लालू झूमें
- अमरनाथ की आस्था उगल रही है आग
- शर्मा, वीरू, हरभजन खूब लगाए जान
- संन्यासिन ने साफ दिखाई सूरत असली
- तिकड़ी फिर बेहाल, हाथ आई मायूसी
-
►
जुलाई
(27)
- उसे ढूंढ़कर फौज मार दे फौरन गोली
- उनकी नींद हराम करें अब जग्गू दादा
- सुषमाजी जाकर वहीं जमा रही हैं धाक
- इंसां की खातिर बने दुनिया के सब धर्म
- मुरली-मेंडिस ने किया ऐसा बेड़ा गर्क
- पाकर फॉलोआन इंडियन बने फिसड्डी
- पता लगाएं सोम दा किसने भेजी घूस
- रुष्ट माकपा ने लिया सोमनाथ को लूट
- नैतिकता के बाल कौन तब गिन पाएगा?
- तभी गले में पड़ी जीत की उनके माला
- होंगे जिसके यार नाखुदा बागी-दागी
- बेइमानों के लिए मुंह थैलियों के खुल रहे
- जिस एमपी के वोट से बचे केंद्र सरकार
- हो जाएं बेफ्रिक इसलिए शीला मैडम
- भारत में भगवान बना पद, पावर पैसा
- नहीं आज तक माया से कोई बच पाया
- भर जाए अगर बहुमत का गड्ढा
- जुटा कहीं से वोट बचें जिससे मनमोहन
- बन गए मुलायम हातिम ताई
- सुर बदला तत्काल, मसीहा बने मुलायम
- सरकार रहेगी तब तक कायम
- बुश अमरीका से भेजे परमाणु दवाई
- कल गिरती हो तो भले आज गिरे सरकार
- घर में घुसकर पाक को खूब लगाई मार
- 'बायां बाजू' अब तलक बहुत कर चुका तंग
- ठगनी की बेटी हुई भले पांचवीं पास
- नहीं नुकलिअर डील का खत्म हुआ है चांस
-
►
जून
(16)
- मनमोहन जैसी हालत जब पल में हुई हमारी
- सोच समझ कर करें वही अंपायर फायर
- रुक पाए डडवाल भला क्या चोरी डाका
- भागो-भागो खूब मचा ढाका में हल्ला
- बुंदेला माटी मगर भीतर से जरखेज
- उसे जेल दिखलाएं फौरन माया रानी
- बोले चक दे इंडिया ॐ शांति का पाठ
- शेयर गिरे धड़ाम, हजारों लाखों डूबे
- बढ़ता कारोबार बाप-माई के डर से
- धुआंधार रन मारे खूब पठानी बल्ला
- मनमोहन जी आप नहीं टीवी पर रोएं
- धीरज धारण कीजिए भाई राम गरीब
- लालूजी अब नेट पर बनवाएंगे ब्लॉग
- अपना भारत देश है सचमुच बहुत महान
- धोनी को धक्का लगा जीता राजस्थान
- सुपरकिंग को फूल लगे जिंटा को कांटे
-
►
मई
(41)
- मगर न करिए भूलकर महंगाई का जिक्र
- नहीं सैकड़ा पार कर सके वीरू भाई
- चली न कोई चाल फंस गया खूनी पंजा
- कोई मरियल शेर नहीं जाएगा ढाका
- आरक्षण के नाम पर करना चक्का जाम
- मार दिए नीतीश को ग्वाले बनकर गिद्ध
- ऊपर से अब तेल कर लगा रही सरकार
- खूब लड़े रणबांकुरे जीता राजस्थान
- बने कोटला कार्तिक सचमुच तारणहार
- सुपर शेर बन गए सभी गीदड़ बेचारे
- सेमी में युवराज ने पक्की कर ली सीट
- लौट गए मायूस मगर सौरव कलकत्ता
- गिरते-गिरते बच गई राहुल की दीवार
- किंग्स 11 की बची किसी तरह से लाज
- लगी पराजय हाथ शाह का सीना धड़के
- पटरी पर सहवाग की आई दिल्ली मेल
- रहिए ड्रेसिंग रूम से दूर शाहरुख खान
- मन मसोस कर रह गए बेचारे सहवाग
- करिए छोटे ठाकरे सोच समझ कर बात
- सिसकें 'जहांपनाह' बहे आखों से पानी
- जीत गए वीरू भले दिल्ली का मैदान
- सचिन किए आगाज हिली धोनी की दुनिया
- करते हैं विस्फोट नाम पर जो जिहाद के
- मनमोहन जी मिमियाना छोड़ो
- खत्म हुआ चैलेंज छोकरे बने फिसड्डी
- दारू वाला आजकल दीख रहा ग़मगीन
- झूमे केकेआर बंधा लक्खन का बस्ता
- रजवाड़ों ने किया रेत में दूभर जीना
- लूट ले गए सुपर किंग पंजाबी ढाबा
- जयपुर में भी जीत का चला तेज तूफान
- अपने ही घर में पिटे धोनी से सहवाग
- तारे गिन गिन कर कटी रजवाड़ों की रात
- मिली दूसरी जीत घटा दक्कन का दुखड़ा
- पलक झपकते ढह गई राहुल की दीवार
- राजस्थानी रेत पड़ी आंखों में उड़ उड़
- चकमा खाए चौधरी गए जीत से चूक
- जीत गए युवराज शाह की सेना हारी
- घर लौटे मायूस लिए लक्खन मुंह लटका
- तल्ख बयानी छोड़कर भाव दिखाएं भद्र
- धोनी पर भारी पड़े दिल्ली के दमदार
- नहीं कर सके पार द्रविड़ 10 रन की बाधा
-
►
अप्रैल
(70)
- पाकर परदेसी मदद गए इंडियन जीत
- बड़बोलों का आजकल हाल काबिले गौर
- बहुत धुलाई तेज करे रांची का बबुआ
- डेक्कन चार्जर ने किया, गुस्से का इजहार
- रेफरी ने हरभजन को किया न कतई माफ
- बल्ले बल्ले हो रही जीत गए युवराज
- सुपर किंग्स के शेर टाइगर मार भगाए
- मुंह पर थप्पड़ जड़े उड़ी गरिमा की धज्जी
- देह दिखाने की मगर नहीं मिलेगी छूट
- साइमंड रह गए फिर भी कड़के
- जारी लेकिन अंत तक रही खूब तकरार
- आप अगर सरदार तो मैं भी हूं सरदार
- दिल्ली के सुल्तान ने ऐसी कसी लगाम
- इसीलिए झुकता रहा नित हॉकी का माथ
- जीत गया पंजाब से रॉयल राजस्थान
- करें लड़ाई मूंछ की शेन और युवराज
- करें लड़ाई मूंछ की शेन और युवराज
- बादशाह के हाथ नहीं लग पाती बाजी
- नाचें नाइट राइडर ले मन में अरमान
- सहमे-सहमे शेन फेन फेंके रजवाड़े
- मिला जीत का बाउचर
- किंग्स इलेवन टीम के अगुआ हैं युवराज
- रॉयल चैलेंजर का बैठा जमकर भट्ठा
- 'दादागीरी' चले याद आ जाए नानी
- ले-देकर पूरी हुई टॉर्च रिले की रस्म
- बहु एक धनवान
- पीएम को लेकर मगर चूका उनका तीर
- कातिल से मिलने गईं गुपचुप कारागार
- भज्जी के आगे दिखे गेस्ट सभी भयभीत
- पांच बरस से व्याकुल है भारत की परजा
- वोट पटाने के बदले दे ऋण से माफी
- वह किसान भी नाच रहा मस्ती में भंगड़ा
- संडे सिडनी सेंचुरी आए बारम्बार
- बात-बात पर नहीं रेड लाइट दिखलाओ
- हरा फाइनल में दिया एक नहीं दो बार
- जरा अतिथि सत्कार पॉन्टिंग सीखो बच्चा
- है क्रिकेट को सलाम उसी की है बंदगी
- लेफ्ट फ्रंट ने फिर दिया है चाबुक फटकार
- जाति-धर्म के नाम पर बांटा हिन्दुस्तान
- हॉकी में हकले हमें लगा रहे फटकार
- गिल का दिल बेशर्म जरा भी नहीं पसीजे
- हिंदुस्तानी छोकरा पाए डेढ़ करोड़
- कुर्सी तजने को नहीं गिल का दिल तैयार
- दोयम दर्जा शाहरुख अव्वल आमिर खान
- ऊंचे पद पर बैठ कर इतना नीचा काम
- हमदर्दी से झुके मगर वोटों की डाली
- सरबजीत को फिर से जीवन दान दीजिए
- ऐश टनाटन टन्न, मजा लूटेंगे रजनी
- पति के बदले हिन्द का होता हो अपमान
- होता ओछे काम का सदा बुरा परिणाम
- ज्ञानी ध्यानी कह गए बुरी बला है लोभ
- बची दुधमुंही वंदना सुखी हुए मां-बाप
- ब्यूरोक्रेसी देश की सुने खोल कर कान
- सुपर किंग्स का नाम करेंगे रोशन माही
- शांत बौद्धों की करे हत्या जो मतिमंद
- सांसत में हैं चौधरी अकड़े हुए किसान
- पहली पारी में बिके सस्ते में ही बेर
- फिर चमके स्टार खिले आंगन में तुलसी
- बनियागीरी छोड़कर सुन लें शरद पवार
- लगी त्याग की होड़ शिगूफा खूब निराला
- मस्ती में सहवाग झूम कर लिए सलामी
- काट रहे हैं जेब नाचते जमकर भंगड़ा
- जुआ बताना क्रिकेट को भाव नहीं है भद्र
- पहली पत्नी का नहीं जो रख सके खयाल
- थोड़ा मोल बढ़ाओ आका
- मेरी रग-रग में बसा है मुंबइया प्यार
- पटरी पर डगमग चले लालू जी की रेल
- संजू बाबा लें मजा शादी का भरपूर
- उजली पहन कमीज, खाद ओबीसी डालें
- महंगाई की मार, झेलती पब्लिक डेली
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दिसंबर
(26)