बोलीं आशा भोंसले सुनो लाडले राज
गैर-मराठों से न हो तुम हरगिज नाराज
तुम हरगिज नाराज उन्हें है मदद जरूरी
महाराष्ट्र आकर करते जो नित्य मजूरी
दिव्यदृष्टि हमदर्दी का सामान जुटाओ
करके नवनिर्माण निरंतर प्रेम लुटाओ
मंगलवार, 2 मार्च 2010
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2 टिप्पणियां:
वाह! लेकिन आप अभी तक वर्ड वेरीफ़िकेशन लगाये हैं!
पहले सचिन अब आशा जी,
विचार किजिये राज जी
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