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तीखी नज़र
मंगलवार, 6 अप्रैल 2010
फिर भी पायें डबल तरक्की बल्ले-बल्ले
बने विधायक मगन हो भर मन में उत्साह
लेकिन अब होने लगा उनको कष्ट अथाह
उनको कष्ट अथाह चाह 'सेवा' की भागी
जन-सेवक जी बने महज 'मेवा' अनुरागी
दिव्यदृष्टि पब्लिक की काटें जेब निठल्ले
फिर भी पायें डबल तरक्की बल्ले-बल्ले
1 टिप्पणी:
सीमा सचदेव
ने कहा…
haa balle balle hi bolna padega , balle balle
6 अप्रैल 2010 को 3:23 am बजे
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haa balle balle hi bolna padega , balle balle
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