चलती रही रमेश की यूं ही अगर जबान
दुनिया भर में देश की रोज घटेगी शान
रोज घटेगी शान, इसलिए जब मुंह खोलें
सोचें-समझें तभी बात अपनी वह बोलें
दिव्यदृष्टि वरना मनमोहन कर लें कुट्टी
बिगड़े पर्यावरण केबिनेट से हो छुट्टी
मंगलवार, 11 मई 2010
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- मन्नू भाई जब तलक चला रहे सरकार
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- फांसी की फाइल रहीं शीला बैठी दाब
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- केश कटाकर मंदिरा किया न चंगा काम
- ज्यादा भोजन से सदा होता है अतिसार
- चूहे को यदि गडकरी बतलायेंगे स्वान
- किंतु कागजी शेर ढेर हो ताकें अंबर
- सोचें-समझें तभी बात अपनी वह बोलें
- सोचें-समझें तभी बात अपनी वह बोलें
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