लेकर झंडा लाल जो करें धरा को लाल
झुकता उनके कृत्य से मानवता का भाल
मानवता का भाल चाल है निर्मम शातिर
निरपराध मर रहे रेल में विवश मुसाफिर
दिव्यदृष्टि अफसोसनाक उनका हथकंडा
करें धरा को लाल लाल जो लेकर झंडा
बनियागीरी छोड़ कर मनमोहन जी आप
नक्सलियों के मर्ज को समझें माई-बाप
समझें माई-बाप, योजना 'ठोस' बनायें
करके उचित विकास रोग से छुट्टी पायें
दिव्यदृष्टि इसलिए बजाएं प्रगति नफीरी
मनमोहन जी आप छोड़ कर बनियागीरी
शनिवार, 29 मई 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
यह मैं हूं
ब्लॉग आर्काइव
-
▼
2010
(86)
-
▼
मई
(21)
- दिया सड़क पर मौत का नारी को उपहार
- झुकता उनके कृत्य से मानवता का भाल
- कायम करो 'मिसाल' उतारें लोग आरती
- कालकोठरी में ताई अब मुझे न रहना
- खूब चली बेशर्म पर अदालती बंदूक
- किसी तरह बेगम उसको हासिल हो जाए
- चल गांधी की राह बदन पर लगा लंगोटी
- मन्नू भाई जब तलक चला रहे सरकार
- लगा राम की मूर्ति बनें पॉलिटिकल पंडा
- फांसी की फाइल रहीं शीला बैठी दाब
- भगदड़ में जाये भले मुसाफिरों की जान
- केश कटाकर मंदिरा किया न चंगा काम
- ज्यादा भोजन से सदा होता है अतिसार
- चूहे को यदि गडकरी बतलायेंगे स्वान
- किंतु कागजी शेर ढेर हो ताकें अंबर
- सोचें-समझें तभी बात अपनी वह बोलें
- सोचें-समझें तभी बात अपनी वह बोलें
- जोड़-तोड़ से सब 'सरकारी माल' पचाओ
- सुन कर फांसी की सजा गया कसाई कांप
- ट्रेनिंग सेंटर टेरर का बना हुआ है पाक
- दुखी मुसाफिर फिर रहे बेचारे-बेचैन
-
▼
मई
(21)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें