शनिवार, 11 सितंबर 2010

फिर भी कॉमनवेल्थ को दिल्लीवासी झेल

भले मयस्सर हो नहीं लवण-लाकड़ी-तेल
फिर भी कॉमनवेल्थ को दिल्लीवासी झेल
दिल्लीवासी झेल, खेल का खोटा सिक्का
उदर पूर्ति में फेल मगर मस्तक पर टिक्का
दिव्यदृष्टि नित धार गुलामी-छवि उर अंतर
लवण-लाकड़ी-तेल भले हो नहीं मयस्सर

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