सोमवार, 19 अप्रैल 2010

महबूबा पर कर दिया मंत्री-पद कुरबान

हुए शान से मुस्तफी रखा इश्क का मान
महबूबा पर कर दिया मंत्री-पद कुरबान
मंत्री-पद कुरबान, मार कुसीर् को ठोकर
फेथ जताये पुष्कर में खुद रुसवा होकर
दिव्यदृष्टि 'यारी' प्यारी उनको जहान से
रखा इश्क का मान मुस्तफी हुए शान से

शनिवार, 17 अप्रैल 2010

व्यापारी होता नहीं कभी किसी का मित्र

व्यापारी होता नहीं कभी किसी का मित्र
सिर्फ लाभ का ही उसे रुचे हमेशा चित्र
रुचे हमेशा चित्र जहाँ भी देखे घाटा
अपनेपन को त्याग दूर से बोले ' टा - टा '
दिव्यदृष्टि अनुभव - प्रसूत है ' राय ' हमारी
कभी किसी का मित्र नहीं होता व्यापारी
प्रतिदिन बैरी पाक की दुष्ट ठोकता पीठ
अमरीका - सा है नहीं कोई ' ताज़र ' ढीठ
कोई ' ताज़र ' ढीठ , हिन्द से प्यार जताये
लेकिन ' घाटी ' में जालिम गोले दगवाये
दिव्यदृष्टि बारूद बेचता डालर गिनगिन
दुष्ट ठोकता पीठ पाक बैरी की प्रतिदिन

बुधवार, 7 अप्रैल 2010

सिद्दीकी की शर्त को आखिर किए कबूल

गए बैक फुट पर मलिक मानी अपनी भूल
सिद्दीकी की शर्त को आखिर किए कबूल
आखिर किए कबूल लोग काफी समझाए
तब वे कहीं तलाक आयशा को भिजवाए
दिव्यदृष्टि सानिया किन्तु फिरतीं खिसियाई
'बीवी नम्बर टू' को मिलती गजब बधाई।

मंगलवार, 6 अप्रैल 2010

फिर भी पायें डबल तरक्की बल्ले-बल्ले

बने विधायक मगन हो भर मन में उत्साह
लेकिन अब होने लगा उनको कष्ट अथाह
उनको कष्ट अथाह चाह 'सेवा' की भागी
जन-सेवक जी बने महज 'मेवा' अनुरागी
दिव्यदृष्टि पब्लिक की काटें जेब निठल्ले
फिर भी पायें डबल तरक्की बल्ले-बल्ले
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यह मैं हूं

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