शनिवार, 11 सितंबर 2010

फिर भी कॉमनवेल्थ को दिल्लीवासी झेल

भले मयस्सर हो नहीं लवण-लाकड़ी-तेल
फिर भी कॉमनवेल्थ को दिल्लीवासी झेल
दिल्लीवासी झेल, खेल का खोटा सिक्का
उदर पूर्ति में फेल मगर मस्तक पर टिक्का
दिव्यदृष्टि नित धार गुलामी-छवि उर अंतर
लवण-लाकड़ी-तेल भले हो नहीं मयस्सर

सोमवार, 9 अगस्त 2010

कब तक तुम गुमराह करोगी शीला रानी

कहीं न कॉमनवेल्थ में कोई फेयर काम
लवली भी लगती नहीं कतई सूरत आम
कतई सूरत आम सब तरफ मलबा फैला
चलना करे मुहाल सड़क पर पानी मैला
दिव्यदृष्टि नित सोच-समझ होती हैरानी
कब तक तुम गुमराह करोगी शीला रानी

मंगलवार, 22 जून 2010

तत्व प्रज्वनशील तुरत गडकरी हटाएं

अगर भाजपा चाहती 'गठबंधन' भरपूर
राखे मोदी-वरुण को वह बिहार से दूर
वह बिहार से दूर, नियम नीतीश बताएं
तत्व प्रज्वनशील तुरत गडकरी हटाएं
दिव्यदृष्टि बड़बोलों को हरहाल भगाना
नो-एन्ट्री का बोर्ड भले ही पड़े लगाना

शनिवार, 19 जून 2010

कब तक रहे कुंवारा मैया तेरा पुत्तर

दौड़-धूप करते बरस बीत गए चालीस
नजर नहीं आई मगर कन्या एक नफीस
कन्या एक नफीस, टीस मन में है भारी
तनहाई में चले किस तरह दुनियादारी?
दिव्यदृष्टि सोनिया भवानी दीजे उत्तर
कब तक रहे कुंवारा मैया तेरा पुत्तर

मोदी जी ले जाइये वापस पांच करोड़

दिव्यदृष्टि
वोट देख नीतीश के उर में उठी मरोड़
मोदी जी ले जाइये वापस पांच करोड़
वापस पांच करोड़ देखिये तेवर रूखा
नहीं चाहिए मदद बाढ़ आये या सूखा
दिव्यदृष्टि 'पार्टनर' उचारें बात विषैली
उन्हें सुहाये प्यारे केवल सेकुलर थैली

सोमवार, 14 जून 2010

माना जाता अतिथि को भारत में भगवान

माना जाता अतिथि को भारत में भगवान
एंडरसन जी का अत: पार्थ किए सम्मान
पार्थ किए सम्मान भक्ति का सूत टटोला
तब होकर मजबूर सजाया उड़न खटोला
दिव्यदृष्टि उड़ गया फुर्र शव का व्यापारी
किंतु रही महफूज 'गैसमय' नीति हमारी

शनिवार, 12 जून 2010

रोये बेबस बाप देख नयनों का फूला

शैशव में जो आंख के तारे के मानिंद
वही जवानी में बना पुत्र मोतियाबिन्द
पुत्र मोतियाबिन्द 'मान-मर्यादा' भूला
रोये बेबस बाप देख नयनों का फूला
दिव्यदृष्टि फरजंद सताए सांझ-सकारे
अत: प्रशासन उसे मौत के घाट उतारे
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यह मैं हूं

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