सोमवार, 31 मई 2010

दिया सड़क पर मौत का नारी को उपहार

दिया सड़क पर मौत का नारी को उपहार
फिर उसके शव पर रहे लोग चलाते कार
लोग चलाते कार, कहें इसको 'मनमानी'
या हो गया समाप्त सभी नयनों का पानी
दिव्यदृष्टि हे राम जमाना कहे फड़क कर
नारी को उपहार मौत का दिया सड़क पर

शनिवार, 29 मई 2010

झुकता उनके कृत्य से मानवता का भाल

लेकर झंडा लाल जो करें धरा को लाल
झुकता उनके कृत्य से मानवता का भाल
मानवता का भाल चाल है निर्मम शातिर
निरपराध मर रहे रेल में विवश मुसाफिर
दिव्यदृष्टि अफसोसनाक उनका हथकंडा
करें धरा को लाल लाल जो लेकर झंडा
बनियागीरी छोड़ कर मनमोहन जी आप
नक्सलियों के मर्ज को समझें माई-बाप
समझें माई-बाप, योजना 'ठोस' बनायें
करके उचित विकास रोग से छुट्टी पायें
दिव्यदृष्टि इसलिए बजाएं प्रगति नफीरी
मनमोहन जी आप छोड़ कर बनियागीरी

गुरुवार, 27 मई 2010

कायम करो 'मिसाल' उतारें लोग आरती

तकलीफों का बूट से करके काम-तमाम
बेटे ने रोशन किया दलित पिता का नाम
दलित पिता का नाम लगन से करी पढ़ाई
लिए 'इरादा पक्का' वह चढ़ गया चढ़ाई
दिव्यदृष्टि की दुआ यही अभिषेक भारती
कायम करो 'मिसाल' उतारें लोग आरती

कालकोठरी में ताई अब मुझे न रहना

शीला मेरी मौत से करिये नहीं मजाक
पड़ा-पड़ा मैं जेल में होता रोज हलाक
होता रोज हलाक कष्ट पड़ता है सहना
कालकोठरी में ताई अब मुझे न रहना
दिव्यदृष्टि है नागवार यह शासन ढीला
करिये नहीं मजाक मौत से मेरी शीला

खूब चली बेशर्म पर अदालती बंदूक

सजा बढ़ी राठौर की बंद हो गई हूक
खूब चली बेशर्म पर अदालती बंदूक
अदालती बंदूक चूक प्रत्यक्ष सुधारी
पूरी किया वसूल रही जो शेष उधारी
दिव्यदृष्टि जो काम करे नामर्दी वाला
बेइज्जत हो इसी तरह वह वर्दी वाला

मंगलवार, 25 मई 2010

किसी तरह बेगम उसको हासिल हो जाए

सजायाफ्ता कसब की यही आखिरी चाह
किसी तरह करवाइए उसका आप निकाह
उसका आप निकाह, तमन्ना दिली बताए
किसी तरह बेगम उसको हासिल हो जाए
दिव्यदृष्टि फिर बचाखुचा जो काम अधूरा
करे 'कसाई' का 'वारिस' वह फौरन पूरा

सोमवार, 24 मई 2010

चल गांधी की राह बदन पर लगा लंगोटी

घटे साल के अन्त तक महंगाई की आयु
तब तक रामगरीब तू खा प्यारे जल वायु
खा प्यारे जल वायु छोड़ रोटी का टुकड़ा
बन संतोषी जीव सुना मत नाहक दुखड़ा
दिव्यदृष्टि मत मार रोज शासन को सोंटी
चल गांधी की राह बदन पर लगा लंगोटी

शुक्रवार, 21 मई 2010

मन्नू भाई जब तलक चला रहे सरकार

मन्नू भाई जब तलक चला रहे सरकार
नहीं थमेगी तब तलक महंगाई की मार
महंगाई की मार, प्राण पब्लिक के छूटें
प्रणव मुखर्जी किन्तु हाथ से दोनों लूटें
जमाखोर की दिव्यदृष्टि नित बढ़े कमाई
चला रहे सरकार जब तलक मन्नू भाई

गुरुवार, 20 मई 2010

लगा राम की मूर्ति बनें पॉलिटिकल पंडा

दूर इलेक्शन का अभी दीखे सूत-कपास
लेकिन लट्ठमलट्ठ की वरुण अदाएं खास
वरुण अदाएं खास, सियासी चादर बुनते
'राजनीति की रुई' नित्य नफरत से धुनते
दिव्यदृष्टि फिरते हैं 'भगवा' ओढ़ दुशाला
लिए 'राम को गोद' चढ़ें सिंहासन लाला
राम-लला की कृपा से हों यदि सत्तासीन
'माया ठगिनी' के सभी बेर तुरत लें छीन
बेर तुरत लें छीन 'गुठलियां' सभी हटाएं
यूपी में 'बुतबाजों' को नित धूल चटाएं
दिव्यदृष्टि संजयसुत का अब यही अजंडा
लगा राम की मूर्ति बनें पॉलिटिकल पंडा

बुधवार, 19 मई 2010

फांसी की फाइल रहीं शीला बैठी दाब

फांसी की फाइल रहीं शीला बैठी दाब
चार बरस जूं कान पर रेंगी नहीं जनाब
रेंगी नहीं जनाब, चिदम्बर ने दी दस्तक
तब ठनका मजबूरी में अंटी का मस्तक
दिव्यदृष्टि क्या खूब राजनीतिक स्टाइल
शीला बैठी रहीं दाब फांसी की फाइल

सोमवार, 17 मई 2010

भगदड़ में जाये भले मुसाफिरों की जान

भगदड़ में जाये भले मुसाफिरों की जान
ममता जी देतीं नहीं फिर भी कोई ध्यान
फिर भी कोई ध्यान न कतई नेह जतातीं
'पैसेंजर-की-ही-गलती' वे स्वयं बतातीं
दिव्यदृष्टि हर हाल उन्हें 'तृणमूल' सुहाये
मुसाफिरों की जान भले भगदड़ में जाये

केश कटाकर मंदिरा किया न चंगा काम

केश कटाकर मंदिरा किया न चंगा काम
फिर चिपकाया पीठ पर टैटू रब का नाम
टैटू रब का नाम बहुत ही हरकत 'ओछी'
कहते ज्ञानी लोग हिमाकत समझी-सोची
दिव्यदृष्टि सीने पर लिख तू इक ओंकारा
तभी 'पंथ' से मिट पाये नफरत का नारा

शुक्रवार, 14 मई 2010

ज्यादा भोजन से सदा होता है अतिसार

ज्यादा भोजन से सदा होता है अतिसार
टीम इंडिया इसलिए फौरन करे विचार
फौरन करे विचार जीभ काबू में रक्खे
मुर्गा मछली छोड़ दाल-रोटी ही भक्खे
दिव्यदृष्टि प्लेयर 'सेहत' के बनें न बैरी
वरना 'मोटू' बता करें चुगली गुरु गैरी

गुरुवार, 13 मई 2010

चूहे को यदि गडकरी बतलायेंगे स्वान

चूहे को यदि गडकरी बतलायेंगे स्वान
मुहावरा साहित्य का हो इससे अपमान
हो इससे अपमान इसलिए पहले सीखें
बेशक उसके बाद सभा-रैली में चीखें
दिव्यृ़ष्टि ज्ञानी बन बोलें मोहक बोली
वरना होगी रुष्ट सियासी ग्वाला-टोली

बुधवार, 12 मई 2010

किंतु कागजी शेर ढेर हो ताकें अंबर

आईसीसी र्वल्ड कप लगे हमारे हाथ
गए वेस्ट इंडीज वे इस दावे के साथ
इस दावे के साथ, रवाना हुए धुरंधर
किंतु कागजी शेर ढेर हो ताकें अंबर
दिव्यदृष्टि जब थके हुए थे इतने भाई
तो जाकर परदेस करी काहे रुसवाई

मंगलवार, 11 मई 2010

सोचें-समझें तभी बात अपनी वह बोलें

चलती रही रमेश की यूं ही अगर जबान
दुनिया भर में देश की रोज घटेगी शान
रोज घटेगी शान, इसलिए जब मुंह खोलें
सोचें-समझें तभी बात अपनी वह बोलें
दिव्यदृष्टि वरना मनमोहन कर लें कुट्टी
बिगड़े पर्यावरण केबिनेट से हो छुट्टी

सोचें-समझें तभी बात अपनी वह बोलें

चलती रही रमेश की यूं ही अगर जबान
दुनिया भर में देश की रोज घटेगी शान
रोज घटेगी शान, इसलिए जब मुंह खोलें
सोचें-समझें तभी बात अपनी वह बोलें
दिव्यदृष्टि वरना मनमोहन कर लें कुट्टी
बिगड़े पर्यावरण केबिनेट से हो छुट्टी

शुक्रवार, 7 मई 2010

जोड़-तोड़ से सब 'सरकारी माल' पचाओ

उचित व्यवस्था कीजिए दोनों अनिल-मुकेश
'के जी बी' से मिल गया उन्हें 'सुपर' संदेश
उन्हें 'सुपर' संदेश, व्यर्थ मत 'रार' मचाओ
जोड़-तोड़ से सब 'सरकारी माल' पचाओ
दिव्यदृष्टि उत्पन्न न हो फिर 'मल्ल' अवस्था
दोनों अनिल-मुकेश कीजिए उचित व्यवस्था

सुन कर फांसी की सजा गया कसाई कांप

सुन कर फांसी की सजा गया कसाई कांप
फंसा न्याय के जाल में दुष्ट 'लश्करी' सांप
दुष्ट 'लश्करी' सांप, बैठ कर बिल में सोचे
देख 'मृत्यु' सन्निकट विषैली केंचुल नोचे
दिव्यदृष्टि दर्जनों डस गया जालिम चुन कर
गया कसाई कांप सजा फांसी की सुन कर

गुरुवार, 6 मई 2010

ट्रेनिंग सेंटर टेरर का बना हुआ है पाक

ट्रेनिंग सेंटर टेरर का बना हुआ है पाक
उसके अड्डे को मगर करे न कोई खाक
करे न कोई खाक नाक चाहे कट जाए
किंतु न कोई उसके ऊपर ' हाथ ' उठाए
दिव्यदृष्टि नित शह देता डालरिया मेंटर
बना हुआ है पाक टेरर का ट्रेनिंग सेंटर

मंगलवार, 4 मई 2010

दुखी मुसाफिर फिर रहे बेचारे-बेचैन

दो दिन से हड़ताल पर बैठे मोटरमैन
दुखी मुसाफिर फिर रहे बेचारे-बेचैन
बेचारे-बेचैन, किस तरह दफ्तर जायें
कोई सरल उपाय नहीं चव्हाण बतायें
दिव्यदृष्टि पीटते 'मराठी-मानुष' छाती
किंतु न कोई हमदर्दी ममता जतलातीं
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