शुक्रवार, 2 जनवरी 2009

चले चिदम्बर आप चाटने बुश का तलवा

बुश का तलवा चाटने चले चिदंबर आप
मगर बताएं देश को यह तो माई-बाप
यह तो माई-बाप, सामने क्या मजबूरी?
जिसके कारण यूएस जाना हुआ जरूरी
दिव्यदृष्टि हो गया खत्म भारत का जलवा
चले चिदम्बर आप चाटने बुश का तलवा
अमरीका सब पाक की समझ रहा करतूत
फिर भी देने चल पड़े उसको आप सबूत
उसको आप सबूत, मानकर नाहक काजी
कभी न हो मरदूद सजा देने को राजी
दिव्यदृष्टि नापाक पालतू पूत उसी का
समझ रहा करतूत पाक की सब अमरीका

3 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

यह भी खूब रही...कविता के रूप में आपने बहुत अच्छी बात कही है..

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

भैय्या हमारे देश के नेता लोगन की आदत ही तलुए चाटने की हो गई है . तलुए चाटते कहते इन लोगन के तलुए भी घिस गए है ये अपनी आदत से बाज नही आते है .

दिव्यदृष्टि ने कहा…

टिपण्णी के लिए धन्यवाद। जनमानस के विचारों को शब्द देना कवि का कर्तव्य है, जिसे पूरा करने का प्रयास मैं अपनी कुंडलियों के माध्यम से कर रहा हूँ। भविष्य में भी आपके सहयोग और सुझाओं की अपेक्षा है।

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