गुरुवार, 17 जुलाई 2008

जुटा कहीं से वोट बचें जिससे मनमोहन

महंगी होती जा रही प्रतिदिन रोटी-दाल
मगर नहीं सरकार को इसका तनिक खयाल
इसका तनिक खयाल , हाल शासन का खस्ता
उधर विरोधी तुले बांध देने को बस्ता
दिव्यदृष्टि तू त्याग दाल-रोटी का रोदन
जुटा कहीं से वोट बचें जिससे मनमोहन

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