रविवार, 14 दिसंबर 2008

लगा रहा आतंक की जो भारत में आग

लगा रहा आतंक की जो भारत में आग
गाएं उसके साथ हम कैसे किरकिट राग
कैसे किरकिट राग, बताए दुनिया हमको
भरा न अब तक घाव भुलाएं कैसे गम को
दिव्यदृष्टि जिस घर में होता मातम भाई
नहीं भूल कर कभी बजाता वह शहनाई

1 टिप्पणी:

विवेक सिंह ने कहा…

सब कलई खोल देते हैं आप ! नमन !

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