गुरुवार, 27 मई 2010

कालकोठरी में ताई अब मुझे न रहना

शीला मेरी मौत से करिये नहीं मजाक
पड़ा-पड़ा मैं जेल में होता रोज हलाक
होता रोज हलाक कष्ट पड़ता है सहना
कालकोठरी में ताई अब मुझे न रहना
दिव्यदृष्टि है नागवार यह शासन ढीला
करिये नहीं मजाक मौत से मेरी शीला

2 टिप्‍पणियां:

manojsah ने कहा…

nice poem

माधव( Madhav) ने कहा…

it will not make any difference,sir. they will keep playing with the feelings of nation

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