मंगलवार, 11 मई 2010

सोचें-समझें तभी बात अपनी वह बोलें

चलती रही रमेश की यूं ही अगर जबान
दुनिया भर में देश की रोज घटेगी शान
रोज घटेगी शान, इसलिए जब मुंह खोलें
सोचें-समझें तभी बात अपनी वह बोलें
दिव्यदृष्टि वरना मनमोहन कर लें कुट्टी
बिगड़े पर्यावरण केबिनेट से हो छुट्टी
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यह मैं हूं

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