बुधवार, 22 अक्तूबर 2008

छोड़ दिया है बाइज्जत नफरत का बंदर

नुक्ताचीनी का हुआ ढाबा ज्यों ही गर्म
निभा दिया सरकार ने राज-काज का धर्म
राज-काज का धर्म रात भर करके अंदर
छोड़ दिया है बाइज्जत नफरत का बंदर
दिव्यदृष्टि अब कितना ही उत्पात मचाए
फिर भी उसको पुलिस न कतई हाथ लगाए

2 टिप्‍पणियां:

Sanjeev ने कहा…

बंदर के साथ-साथ कुछ मदारी का भी अता पता बताइये। कहीं कुछ तुक जुड़ सके तो मदारी के बारे में भी कुछ लिख डालिये

Manuj Mehta ने कहा…

गीता-ओ-कुरान जला दो, बाइबल का करो प्रतिवाद,
आओ मिल कर लिखें हम एक महाराष्ट्रवाद.

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