बुधवार, 31 दिसंबर 2008
हो हम पर उपकार न्यू इयर फाइन लाना
नहीं सुनाई पड़े प्रभु उग्रवाद का शोर
उग्रवाद का शोर, न पब्लिक मारी जाए
रहें प्रेम से लोग मुहब्बत भारी आए
तुम्हें अलविदा आठ ठाठ से नाइन
हो हम पर उपकार न्यू इयर फाइन लाना
मंगलवार, 30 दिसंबर 2008
तुम्हें मुबारक साल नया हो आनेवाला
पढ़ पढ़ कर तीखी नज़र रहिये सदा सचेत
रहे हमेशा लबालब भरा ज्ञान का खेत
भरा ज्ञान का खेत, फसल नित बढे विवेकी
खुशियों का खलिहान बढाये मन में नेकी
दिव्यदृष्टि पा सकें लोग दो वक्त निवाला
तुम्हें मुबारक साल नया हो आनेवाला
मिला न अजमल को अगर कोई यहां वकील
कातिल को इंसाफ की तो फिर व्यर्थ दलील
तो फिर व्यर्थ दलील, नियम कमजोर पड़ेगा
अधिवक्ता भयभीत नहीं यदि केस लड़ेगा
दिव्यदृष्टि यदि नहीं चाहते बचे कसाई
फौरन एक वकील उसे दिलवाओ भाई
रविवार, 28 दिसंबर 2008
आया है कश्मीर में फ्रैक्चर्ड मंडेट
आया है कश्मीर में फ्रैक्चर्ड मंडेट
पाई कोई पार्टी वोट नहीं भर पेट
वोट नहीं भर पेट, सोचते सारे लीडर
रहे फेवरिट कैसे यहां सियासी वीदर
दिव्यदृष्टि घाटी में होता हल्ला-गुल्ला
बनें यंग सीएम अपने ओमर अब्दुल्ला
शनिवार, 27 दिसंबर 2008
दुश्मन पर अब और न कतई दया दिखाओ
बच्चों को पढ़वा रहा जो नफरत का पाठ
बढ़े नहीं उस देश का कभी स्वप्न में ठाठ
कभी स्वप्न में ठाठ, झूठ दुनिया से बोले
बने शेखचिल्ली जुल्मी जब भी मुंह खोले
दिव्यदृष्टि ऐसे शातिर को सबक सिखाओ
दुश्मन पर अब और न कतई दया दिखाओ
गुरुवार, 25 दिसंबर 2008
हुई पांचवीं बार अब फिर नीयत नापाक
चार बार भी हारकर कटी न उसकी नाक
हुई पांचवीं बार अब फिर नीयत नापाक
फिर नीयत नापाक, जंग का लिए इरादा
पहुंच गया सरहद पर पाकिस्तानी प्यादा
दिव्यदृष्टि इस बार हिन्द यदि करे चढ़ाई
दुश्मन के सब दांत तोड़ दें फौजी भाई
बुधवार, 24 दिसंबर 2008
कौन करेगा माया जी उसकी भरपाई?
बड़े शौक से जन्मदिन खूब मनाएं आप
मगर न छोड़ें राज्य में लूटमार की छाप
लूटमार की छाप, विधायक डालें डाका
जबरन चौथ वसूली का वे खींचें खाका
दिव्यदृष्टि जिस अभियन्ता ने जान गंवाई
कौन करेगा माया जी उसकी भरपाई?
रहे स्वान की पूंछ सदा टेढ़ी की टेढ़ी
बेशक बारह बरस तक आप ऐंठिए मूंछ
आप ऐंठिए मूंछ पाल कर मन में आशा
किंतु न होगी पूर्ण सिधाई की अभिलाषा
दिव्यदृष्टि यह बात समझ ले वोट नशेड़ी
रहे स्वान की पूंछ सदा टेढ़ी की टेढ़ी
सोमवार, 22 दिसंबर 2008
मंदी से हैं बेअसर हीरो आमिर खान
मंदी से हैं बेअसर हीरो आमिर खान
कहते हैं हज्जाम की खोलेंगे दूकान
खोलेंगे दूकान, तान कर सीना घूमें
सारे राजा रंक रात-दिन चौखट चूमें
दिव्यदृष्टि बेशक पिट जाए फिल्मी धंधा
हज्जामों के घर आए लेकिन हर बंदा
शनिवार, 20 दिसंबर 2008
हुई द्रविड़ पर बहुत जब नुक्ताचीनी थोक
दिए मोहाली टेस्ट में तभी सेंचुरी ठोक
तभी सेंचुरी ठोक, छुड़ाए जम कर छक्के
लोग हुए हैरान सिलेक्टर हक्के-बक्के
दिव्यदृष्टि गोरों को दीखे दिन में तारे
हुई बोलती बंद चुपे आलोचक सारे
गुरुवार, 18 दिसंबर 2008
संसद में भी बोलते अब्दुल ओछे बोल
संसद में भी बोलते अब्दुल ओछे बोल
इसीलिए रहमान का कहीं न कोई मोल
कहीं न कोई मोल, बिना तोले हकलाएं
करें सार्थक नाम अनतुले वह कहलाएं
दिव्यदृष्टि मंत्री होकर भी करते शंका
फूंके उच्च कमान जल्द ही उनकी लंका
बुधवार, 17 दिसंबर 2008
बुश, जाते-जाते लीजिए जूते का उपहार
जाते-जाते लीजिए जूते का उपहार
जूते का उपहार, समझिए इसको चुंबन
मिला न होगा तुम्हें कभी ऐसा अभिनंदन
दिव्यदृष्टि इराकी ' बूट पुलाव ' खाइए
यादगार डिश अमेरिका ले साथ जाइए
मंगलवार, 16 दिसंबर 2008
बेटर टीम इंग्लैंड की किन्तु इंडिया बेस्ट
उसकी झोली में गिरा अत: चेन्नई टेस्ट
अत: चेन्नई टेस्ट, भले ही हारे गोरे फिर
भी उत्तम खेल दिखाए टूरिंग छोरे
दिव्यदृष्टि इसलिए करें हिम्मत अफजाई
करें नहीं अंग्रेज पिटरसन की रुसवाई
सोमवार, 15 दिसंबर 2008
चौथी पारी में रखे वीरू जो बुनियाद
भवन जीत का उसी पर सचिन किए आबाद
सचिन किए आबाद, लगाए गारा गौतम
धुआंधार युवराज हाथ दिखलाए उत्तम
दिव्यदृष्टि हो रही प्रशंसा नर-नारी में
वीरू जो बुनियाद रखे चौथी पारी में
छूटे साफ पटेल क्लीन चिट मिली अमर को
मिली अमर को क्लीन चिट छूटे साफ पटेल
' अपनों' को डाले भला आखिर कौन नकेल
आखिर कौन नकेल, समय पर हाथ दिखाए
तभी सदन में मनमोहन जी बहुमत पाए
लखें डिटेक्टिव दिव्यदृष्टि 'गैरों' के घर को
छूटे साफ पटेल क्लीन चिट मिली अमर को
रविवार, 14 दिसंबर 2008
लगा रहा आतंक की जो भारत में आग
गाएं उसके साथ हम कैसे किरकिट राग
कैसे किरकिट राग, बताए दुनिया हमको
भरा न अब तक घाव भुलाएं कैसे गम को
दिव्यदृष्टि जिस घर में होता मातम भाई
नहीं भूल कर कभी बजाता वह शहनाई
गुरुवार, 11 दिसंबर 2008
किया न कतई चांद ने कोई अनुचित काम
क्यों नाहक हूडा, भजन मचा रहे कोहराम
मचा रहे कोहराम, कर रहे मातमपुर्सी
एक बेदखल करे छीन ले दूजा कुर्सी
दिव्यदृष्टि फिर भी उल्फत की लाज निभाई
इस साहस के लिए कोटिश: उन्हें बधाई
मंगलवार, 9 दिसंबर 2008
फिर भी ढीले पुलिसजन करें न पूरा फर्ज
फिर भी ढीले पुलिसजन करें न पूरा फर्ज
करें न पूरा फर्ज, मर्ज बढ़ता है दिन-दिन
बेशक आतंकी लोगों को मारें गिन-गिन
दिव्यदृष्टि काहिल वर्दी का मान गिराएं
रपट समय पर दर्ज नागरिक भले कराएं
सीएम - इन - वेटिंग पिटे गजब हुई तौहीन
सीएम - इन - वेटिंग पिटे गजब हुई तौहीन
गजब हुई तौहीन , बीन बेसुरी बजाई
इसीलिए वोटर ने खिल्ली खूब उड़ाई
' दिव्यदृष्टि ' कर रहे खुराना मातमपुर्सी
नहीं सके हैं छीन विजय शीला की कुर्सी
शनिवार, 6 दिसंबर 2008
अमरीका ने पाक को मारी जब फटकार
तब जाकर उसने किया मजबूरन स्वीकार
मजबूरन स्वीकार, हमारे ही कुछ गुर्गे
चले गए थे ताज उड़ाने मछली मुर्गे
दिव्यदृष्टि कर बैठे थोड़ी आतिशबाजी
जांच करेंगे उसकी पाकिस्तानी काजी।
शुक्रवार, 5 दिसंबर 2008
भारत में कितना भी हो आतंकी गड़बड़झाला
किंतु जवाबी कदम यहां पर एक न उठनेवाला।
बेगुनाह पब्लिक आए दिन बेशक मारी जाए,
मगर चैन से पांव पसारे सोता है रखवाला।
लोकतंत्र की शवशय्या पर डाल वोट की चादर,
तुच्छ सियासतदान खड़े हैं मुंह पर डाले ताला।
खोजबीन में पता चली है पाकिस्तानी साजिश,
फिर भी उसके ऊपर कोई अस्त्र न चलने वाला।
लश्कर पर पाबंदी की बातें पड़ रहीं सुनाई,
आप इसलिए संयम बरतें और कुछ दिनों लाला।
अगले हमले से पहले तक हिन्द रखे खामोशी,
मनमोहन से साफ कह गईं जरदारी की खाला।
दिव्यदृष्टि अफसोस न कर तू लाचारों के ऊपर,
जनमानस का रोष जल्द ही इन्हें जलाने वाला।
गुरुवार, 4 दिसंबर 2008
कहां खो गए हैं अमर मित्र मुलायम आप
पब्लिक को बतलाइए कुछ तो माई-बाप
कुछ तो माई-बाप , सैकड़ों जान गंवाए
होटल बने मसान मगर तुम नजर न आए
दिव्यदृष्टि है पूछ रहा हर पीड़ित प्राणी
कहां हो गई लुप्त आपकी सेकुलर वाणी
बुधवार, 3 दिसंबर 2008
पाक पड़ोसी ने किया बहुत हमें हैरान
पाक पड़ोसी ने किया बहुत हमें हैरान।
आतंकी का इसलिए मेटें नाम-निशान।।
मनमोहन मिमियाना छोड़ो। उग्रवाद की हड्डी तोड़ो।
पसली एक रहे ना बाकी। ऐसी चले दुष्ट पर चाकी।
जब भी शातिर सेंध लगाए। तभी तमाचा भारी खाए।
अगर नहीं छोड़े हठधर्मी। सबक सिखाएं रक्षाकर्मी।
दुनिया भर में धाक जमेगी। करतूतें नापाक थमेंगीं।
भारतवासी बच्चा-बच्चा। उसे चबा जाएगा कच्चा।
आस्तीन में सांप न पालो। फौरन सारा जहर निकालो।
पड़ें दिखाई जहां जिहादी। वहीं जंग की करो मुनादी।
अकर्मण्यता से बढ़े जनमानस में भ्रान्ति।
अत: जरूरी देश में राष्ट्रवाद की क्रान्ति।।
मंगलवार, 2 दिसंबर 2008
यूं तो बनते मार्क्स के असली वारिस आप
यूं तो बनते मार्क्स के असली वारिस आप
तुच्छ सियासतदान की किन्तु छोड़ते छाप
किन्तु छोड़ते छाप, अच्युतानंदन ओछी
करें अनर्गल बात बिना ही समझी-सोची
दिव्यदृष्टि बलिदानी को कह कुत्ता तनते
असली वारिस आप मार्क्स के यूं तो बनते।
सोमवार, 1 दिसंबर 2008
ताव दिखाएं धरम जी खौल रहा है खून
मिलें जंगजू यदि उन्हें डालें उनको भून
डालें उनको भून , हृदय में भड़कें शोले
मगर साठ घंटे तक वीरू जुबां न खोले
दिव्यदृष्टि अब राका उनको सबक सिखाएं
खौल रहा है खून धरम जी ताव दिखाएं
पहले धकियाए गए दिल्ली में शिवराज
पाटिल फिर मुम्बई में किए गए बेताज
किए गए बेताज , छिनी दोनों की कुर्सी
करें देशमुख वेट मिले कब मातमपुर्सी
दिव्यदृष्टि अतिवादी लीले दो सौ जानें
डिप्टी सीएम मगर उसे मामूली मानें
यह मैं हूं

ब्लॉग आर्काइव
-
▼
2008
(289)
-
▼
दिसंबर
(26)
- हो हम पर उपकार न्यू इयर फाइन लाना
- तुम्हें मुबारक साल नया हो आनेवाला
- मिला न अजमल को अगर कोई यहां वकील
- आया है कश्मीर में फ्रैक्चर्ड मंडेट
- दुश्मन पर अब और न कतई दया दिखाओ
- हुई पांचवीं बार अब फिर नीयत नापाक
- कौन करेगा माया जी उसकी भरपाई?
- रहे स्वान की पूंछ सदा टेढ़ी की टेढ़ी
- मंदी से हैं बेअसर हीरो आमिर खान
- हुई द्रविड़ पर बहुत जब नुक्ताचीनी थोक
- संसद में भी बोलते अब्दुल ओछे बोल
- बुश, जाते-जाते लीजिए जूते का उपहार
- बेटर टीम इंग्लैंड की किन्तु इंडिया बेस्ट
- चौथी पारी में रखे वीरू जो बुनियाद
- छूटे साफ पटेल क्लीन चिट मिली अमर को
- लगा रहा आतंक की जो भारत में आग
- किया न कतई चांद ने कोई अनुचित काम
- फिर भी ढीले पुलिसजन करें न पूरा फर्ज
- सीएम - इन - वेटिंग पिटे गजब हुई तौहीन
- अमरीका ने पाक को मारी जब फटकार
- भारत में कितना भी हो आतंकी गड़बड़झाला
- कहां खो गए हैं अमर मित्र मुलायम आप
- पाक पड़ोसी ने किया बहुत हमें हैरान
- यूं तो बनते मार्क्स के असली वारिस आप
- ताव दिखाएं धरम जी खौल रहा है खून
- पहले धकियाए गए दिल्ली में शिवराज
-
▼
दिसंबर
(26)