पाक पड़ोसी ने किया बहुत हमें हैरान।
आतंकी का इसलिए मेटें नाम-निशान।।
मनमोहन मिमियाना छोड़ो। उग्रवाद की हड्डी तोड़ो।
पसली एक रहे ना बाकी। ऐसी चले दुष्ट पर चाकी।
जब भी शातिर सेंध लगाए। तभी तमाचा भारी खाए।
अगर नहीं छोड़े हठधर्मी। सबक सिखाएं रक्षाकर्मी।
दुनिया भर में धाक जमेगी। करतूतें नापाक थमेंगीं।
भारतवासी बच्चा-बच्चा। उसे चबा जाएगा कच्चा।
आस्तीन में सांप न पालो। फौरन सारा जहर निकालो।
पड़ें दिखाई जहां जिहादी। वहीं जंग की करो मुनादी।
अकर्मण्यता से बढ़े जनमानस में भ्रान्ति।
अत: जरूरी देश में राष्ट्रवाद की क्रान्ति।।
बुधवार, 3 दिसंबर 2008
पाक पड़ोसी ने किया बहुत हमें हैरान
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1 टिप्पणी:
मनमोहन मिमियाना छोड़ो। उग्रवाद की हड्डी तोड़ो।
पसली एक रहे ना बाकी। ऐसी चले दुष्ट पर चाकी
sahi likhtey hain aap..ab sirf aar ya paar ki ladayee chaheeye--roz roz marne se behtar hai ek baar faisla ho jaye..aaj shayad har naagrik yahi chahta hai.
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