बच्चों को पढ़वा रहा जो नफरत का पाठ
बढ़े नहीं उस देश का कभी स्वप्न में ठाठ
कभी स्वप्न में ठाठ, झूठ दुनिया से बोले
बने शेखचिल्ली जुल्मी जब भी मुंह खोले
दिव्यदृष्टि ऐसे शातिर को सबक सिखाओ
दुश्मन पर अब और न कतई दया दिखाओ
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1 टिप्पणी:
Kamal ki lekhni hai aapki. all the best.
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