टीवी पर रोएं नहीं मनमोहन जी आप
नीति कारगर लाइए फौरन माई-बाप
फौरन माई-बाप, घटे खर्चा सरकारी
हो पाएगी सुलभ तभी सस्ती तरकारी
ऐय्याशी का बोझ नहीं आगे अब ढोएं
मनमोहन जी आप नहीं टीवी पर रोएं
मुमकिन हो तो मानिए मन्नू मेरी बात
कर चोरों को मारिए फौरन भारी लात
फौरन भारी लात, जेल के अंदर डालें
काला पैसा जहां वहीं से उसे निकालें
दिव्यदृष्टि का देश बटोरे दौलत खोई
चूल्हा चहके नित्य रहे खुशहाल रसोई
गुरुवार, 5 जून 2008
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1 टिप्पणी:
बहुत बढ़िया। आशा है प्रधानम्त्री सुन रहे होंगे।
घुघूती बासूती
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