शुक्रवार, 3 अक्तूबर 2008

मजबूरन टाटा कहे बाय-बाय बंगाल

मजबूरन टाटा कहे बाय-बाय बंगाल
नैनो की खातिर रहे नई जगह खंगाल
नई जगह खंगाल, निमंत्रण काफी पाए
चुनें नहीं वह प्रांत जहां हों सनकी साए
दिव्यदृष्टि सह गए रतन अरबों का घाटा
बाय-बाय बंगाल कहे मजबूरन टाटा
ममता के उन्माद ने किया उन्हें मजबूर
इसीलिए टाटा रतन छोड़ चले सिंगूर
छोड़ चले सिंगूर, हृदय में पीड़ा भारी
करे तुषारापात नित्य नखरीली नारी
दिव्यदृष्टि जो सूबा तोड़े नन्हा सपना
उसे भला कैसे बतलाए नैनो अपना

1 टिप्पणी:

रंजना ने कहा…

waah,waah,waah....bahut sahi baat,bahut hi sundarta se kah dee aapne.

Powered By Blogger

यह मैं हूं

यह मैं हूं

ब्लॉग आर्काइव