गुरुवार, 27 नवंबर 2008

टेस्ट करेगी दुनिया आखिर, कब तक टीस हमारी

भारत में आतंकवाद की चलती रोज दुधारी
बेमतलब ही आए दिन जनता जाती है मारी
हर हमले के बाद जरा-सी जुंबिश पड़े दिखाई,
लेकिन उसके बाद चैन से सोते हैं अधिकारी
लोकतंत्र पर हावी लोकल तंत्र बहुत है भाई,
इसीलिए नाकामयाब होता अमला सरकारी
सेकुलर चोले में फिरते हैं चारो ओर कसाई,
सुनें गोश्त के सौदागर फिर कैसे पीर हमारी
वोट नशेड़ी रक्तपात कर लेते हैं अंगड़ाई,
करें सुरक्षा उनकी चौकस सारे वर्दीधारी
पीस बनाए रखने की बातें पड़ रहीं सुनाई,
हत्यारों पर किंतु करोगे किस दिन गोलीबारी
दिव्यदृष्टि हैं सफल पड़ोसी के नापाक इरादे,
विफल हो गई मनमोहन तेरी सारी सरदारी
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यह मैं हूं

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