रविवार, 9 नवंबर 2008

सूबेदारी छोड़कर करें देश की बात

सूबेदारी छोड़कर करें देश की बात

वरना होंगे कष्टमय भारत के हालात

भारत के हालात, मात मानवता खाए

नफरत का नासूर दबे फिर नहीं दबाए

दिव्यदृष्टि इसलिए मित्र सारे नर-नारी

करें देश की बात छोड़कर सूबेदारी।

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