सूबेदारी छोड़कर करें देश की बात
वरना होंगे कष्टमय भारत के हालात
भारत के हालात, मात मानवता खाए
नफरत का नासूर दबे फिर नहीं दबाए
दिव्यदृष्टि इसलिए मित्र सारे नर-नारी
करें देश की बात छोड़कर सूबेदारी।
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