शुक्रवार, 14 नवंबर 2008

और कहेंगे मस्जिद की तौहीन कर रही मधुशाला

जिस रचना से अमर हुए हरिवंश राय बच्चन लाला
पड़ा नहीं था उसका अब तक ऐसे लोगों से पाला
जो मजहब का ठेका लेकर पब्लिक को भरमाएंगे
और कहेंगे मस्जिद की तौहीन कर रही मधुशाला
बात तजुर्बे की कहता हूं तनिक न मन मेरा काला
याद खुदा को करता है वह पी लेता जो भी हाला
दिव्यदृष्टि इसलिए मियांजी आप हमें तो माफ करें
अल्ला-ताला का सजदा करवाती मुझसे मधुशाला

1 टिप्पणी:

Varun Kumar Jaiswal ने कहा…

kya lkhte hain aap , maan gaye
aisi sundar rachna ke liye dhanyavaad

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