मंगलवार, 18 नवंबर 2008

लीडर के घर बजती शहनाई

महंगाई से हो रही पब्लिक नित बेहाल
महंगे आलू-प्याज हैं महंगे चावल-दाल
महंगे चावल-दाल, रहे बिजली का टोटा
लगा रहे आरोप विकुम* आए बिल मोटा
दिव्यदृष्टि अफसोस जताएं गहराई से
पब्लिक नित बेहाल हो रही महंगाई से
महंगाई बेशक बने जनता पर अभिशाप
नेता पर इसकी मगर नहीं दीखती छाप
नहीं दीखती छाप, पाप सारे धुल जाते
जितना बढ़ता रेट द्वार उतने खुल जाते
दिव्यदृष्टि लीडर के घर बजती शहनाई
जनता पर अभिशाप बने बेशक महंगाई

कोई टिप्पणी नहीं:

Powered By Blogger

यह मैं हूं

यह मैं हूं

ब्लॉग आर्काइव