पांच दशक तक मंच पर छाये रहे हबीब
पंच तत्व में ले गया आखिर उन्हें नसीब
आखिर उन्हें नसीब, हो गया पूरा नाटक
अंतिम पर्दा गिरा बंद जीवन का फाटक
दिव्यदृष्टि की दुआ यही जन्नत वह पायें
तन-मन से तनवीर थियेटर नया सजायें।
रविवार, 7 जून 2009
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3 टिप्पणियां:
bahut khoob shraddhanjali !
हबीब तनवीर जी को जबलपुर ब्लागर्स की और से श्रद्धांजलि . न जाने कौन सी घडी है कि आज कई कवियो और साहित्यकारों का निधन हो गया है जिससे साहित्यजगत को अपूरणीय क्षति हुई है .
हबीब जी को हम भी अपने श्रृद्धा सुमन समर्पित करते हैं। हम भी उनके शहर के हैं और कुछ मौकों पर उनसे रूबरू होने का मौका मिला है। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे यही कामना करते हैं।
एक नजर यहां पर देखें
नहीं रहे वे वीर- जिनको कहते थे सब हबीब तनवीर
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