मंगलवार, 16 जून 2009

रोज पड़े डाका भले आए दिन हो लूट

ले-देकर मुजरिम यहां जाएं फौरन छूट
रोज पड़े डाका भले आए दिन हो लूट
आए दिन हो लूट, जान से प्रहरी जाएं
शीला रानी किंतु जीत का जश्न मनाएं
दिव्यदृष्टि महफूज नहीं हैं दिल्ली वाले
मिलीभगत में मस्त मगर बैठे रखवाले

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