जिस रुखसाना ने किया आतंकी को ढेर
उसे बीनने पड़ रहे भटक-भटक कर बेर
भटक-भटक कर बेर टेर दिनरात सुनाये
किंतु सुरक्षित जॉब नहीं उसको मिल पाये
दिव्यदृष्टि पीठस्थ जहां पर काहिल काजी
वहां लगाये कौन मित्र प्राणों की बाजी?
मंगलवार, 3 नवंबर 2009
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