भगवा चोला पहन कर करवाए विस्फोट
निर्दोषों की जान पर करे साध्वी चोट
करे साध्वी चोट , खोट नीयत में भारी
कभी न देखी सुनी आज तक ऐसी नारी
दिव्यदृष्टि जो पब्लिक में रखवाए गोला
करवाए विस्फोट पहन कर भगवा चोला
सोमवार, 3 नवंबर 2008
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6 टिप्पणियां:
प्रिय महोदय. मुझे किसी पर व्यक्तिगत टीका-टिप्पणियाँ करने में कोई रुच नहीं है. हाँ मैं आपकी काव्य-क्षमता की प्रशंसा अवश्य करूँगा. काश इसका उपयोग किसी स्वस्थ दिशा में होता.
बहुत ही शर्मनाक है...एक ऐसी साध्वी जो इंसानों की बलि मांगती है...
बाकई आपकी नजर बहुत तीखी है. बैसे जांच पूरी होने का इन्तजार कर लेते तो आपकी कविता और सार्थक हो जाती.
फ़िरदौस नामधारी लेखिका (या लेखक? पता नहीं) अपने ब्लॉग पर किसी विरोधी टिप्पणी को नहीं लेती हैं, हिन्दुओं के खिलाफ़ कांग्रेसी जहर उगलना इनका शगल है, ब्लॉगरों से अपील है कि इनकी भी टिप्पणी किसी अन्य ब्लॉग पर न ली जाये…
आपका मत सत्य का एक पक्ष है। दूसरा पक्ष यह है कि भारत के लोग पिछले 1000 साल से मज़हबी आतंकवाद के शिकार हैं। सनातन धर्म, जैन धर्म तथा बौद्ध धर्म इस आतंक की मार से अफगानिस्तान, पश्चिमी पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान, पेशावर और काश्मीर के साथ-साथ पूर्व में आधे बंगाल से मिटा दिये गये हैं। क्या तस्वीर का यह पहलू आपके पक्ष से मेल खाता है?
आपकी तीखी नजर कभी कश्मीरी पंडितों पर भी चले तो ...शायद आप भूल रहें हैं पूरी की पूरी पीढी ही मिटा दी गई जहां..शर्म आती है आप जैसे लोगों पर कि जिनकी नजर एक आधी अधूरी जांच के बाद फैसाई गई साध्वी पर तो जाती है...पर कश्मीर मैं और अब आसाम मैं देशद्रोहियों द्वारा किये गये कारनामों पर नहीं जाती...शायद आपको पता हो जहां सैंकङों हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिया गया और पाकिस्तानी झंडा रोज फहराया जाता हैं....चिंता मत करो जब कश्मीर से भगाये गये तो दिल्ली आये पर यहां से भगाये जाओगे को हिंद महासागर मैं जगह मिलने वाली है ....क्यों कि तुम भी हिंदु ही हो ....
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