मंगलवार, 23 जून 2009

मॉनसून मनहूस न लाए फिर भी सावन

मनमोहन के शीश पर आया ज्यों ही ताज
मौसम का होने लगा त्यों ही गर्म मिजाज
त्यों ही गर्म मिजाज निरंतर तपते तन-मन
मॉनसून मनहूस न लाए फिर भी सावन
दिव्यदृष्टि फिर अल नीनो की फैली माया
होगी चौपट फसल बढ़ी सूखे की छाया

2 टिप्‍पणियां:

संगीता पुरी ने कहा…

बिल्‍कुल सही ।

Asha Joglekar ने कहा…

ये अल नीनो जब तब क्यूं हमारा सावन बरबाद करता है ?

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