मराठियों के बन रहे 'बाला' ठेकेदार
'पुत्रवधू' के सामने मगर हुए लाचार
मगर हुए लाचार स्मिता करे बगावत
कांग्रेस की भाये उसे सियासी दावत
दिव्यदृष्टि प्यारे पहले परिवार बचाएं
बेशक तत्पश्चात ठाकरे नाच नचाएं
शनिवार, 28 नवंबर 2009
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2 टिप्पणियां:
सटीक वार!!
[http://mansooralihashmi.blogspot.com]
ठेकेदार !
बिन बुलाया कोई मेहमान न चलने दूँगा,
पाक-ओ-कंगारू है बयमान न चलने दूँगा.
मैं किसी और की दूकान न चलने दूँगा,
नाम में जिसके जुड़े खान न चलने दूँगा.
याँ जो रहना है वडा-पाँव ही खाना होगा!
इडली-डोसा, पूरबी-पकवान; न चलने दूँगा.
घाटी लोगों की जमाअत का भी सरदार हूँ मैं,
पाटी वालो का हो अपमान! न चलने दूँगा.
सिंह सी हुंकार भरू; शेर ही आसन है मैरा,
कोई 'ललूआ' बने यजमान, न चलने दूँगा.
इकड़े-तिकड़े जो न सीखोगे; तो ऐसी-तैसी!
बोले 'मानुस' को जो इंसान* न चलने दूँगा.
मैरे अपने को मिले 'राज'; चला लूंगा मगर,
'रोमी' पाए कोई सम्मान! न चलने दूँगा.
valentine पे करो प्यार तो पूछो मुझसे,
love में किस करने का अरमान न चलने दूँगा.
'प्यार के दिन'* पे पिटाई की परिपाटी है!,
'तितलियाँ फूल पे क़ुर्बान' न चलने दूँगा.
यह जो 'ठेका' है मैरे नाम का हिस्सा ही तो है,
मै किसी और का फरमान! न चलने दूँगा.
'सामना' कर नहीं पाओ तो दिखाना 'झंडे',
घर मैरा! ग़ैर हो सुलतान, न चलने दूँगा.
बिन-ब्याहों* को सियासत में न लाना लोगों,
'मन विकारों से परेशान'*, न चलने दूँगा.
रोक दो! शायरी; बकवास नहीं सुनता मैं,
'कोंडके'* सा न हो गुण-गान, न चलने दूँगा.
इंसान=अमराठी भाषी शब्द,
प्यार का दिन=valentine day,
बिन-ब्याहे=अटल,मोदी,माया,उमा,राहुल....
मन विकारों से परेशान= frustrated.
-मंसूर अली हाशमी
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Posted By Mansoor Ali to aatm-manthan on 2/10/2010 09:44:00 AM
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