पटना की घटना बहुत शर्मनाक है मित्र
उससे धूमिल हो रहा लोकतंत्र का चित्र
लोकतंत्र का चित्र, छेड़खानी जो करते
वह वैयक्तिक आजादी ज्वाला पर धरते
दिव्यदृष्टि युवती को कर देना निर्वसना
शर्मनाक है मित्र बहुत पटना की घटना
शुक्रवार, 24 जुलाई 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
यह मैं हूं

ब्लॉग आर्काइव
-
▼
2009
(292)
-
▼
जुलाई
(29)
- जीते कैसे जंग भला फिर फौजी दस्ता
- शीला की हट्टी गए लेने सस्ती दाल
- महबूबा के हमलों का हो गया कबाड़ा
- दाल-भात के बदले मुर्गी रोल मिलेगा
- महबूबा की मांग पर उमर न देते कान
- भेज रही कश्मीर में नित नफरत के नाग
- चाटुकारिता चर्म पर है मित्रो आसीन
- पटना की घटना बहुत शर्मनाक है मित्र
- लोग कहें बेशर्म, बड़ी हरकत बचकानी
- फौरन ही उस पर गिरे पाबंदी की गाज
- कौन करे प्रतिरोध किसी में शेष न बूता
- बसपा शासन में खुलें फौरन उसके भाग
- रोजगार की राशि किंतु हाथी खा जाये
- करे तरक्की देश निरंतर जय हो जय हो
- निन्दनीय करतूत बहुत ही उनकी भाई
- कर ले प्राणायाम मिटे मरियल मोटापा
- साफ कहें मायावती करके लंबी नाक
- बेशक उनको लोग बिहारी बाबू बोलें
- बादशाह से डाक्टर बने शाह रुख खान
- पत्र-पत्रिका भेज बोरियत दूर कीजिए
- रीते मेघ निहार कर चिंतित हुए किसान
- ज्यादातर बाजार प्रणव से दीखे आहत
- गिरमिटियों के देश में पाये ज्यों ही जीत
- हुए पराजित गेल रह गए हक्का-बक्का
- ममता दीदी ने किया ममता का इजहार
- कहते अपने आपको राहुल नेक किसान
- चल मन्नू के साथ बढ़ा परिवार नियोजन
- बढ़े तेल के दाम, मुसीबत माथे आई
- मानसून जी रखना सावन सरस सुरीला
-
▼
जुलाई
(29)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें