किये शर्म अल शेख में मनमोहन जो कर्म
भारत में उसको अधिक लोग कहें बेशर्म
लोग कहें बेशर्म, बड़ी हरकत बचकानी
काफी महंगी पड़े हिन्द को वह नादानी
कोतवाल को दिव्यदृष्टि ज्यों डाकू डांटे
मार रहे गीलानी त्यों ही मुंह पर चांटे
बुधवार, 22 जुलाई 2009
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- महबूबा के हमलों का हो गया कबाड़ा
- दाल-भात के बदले मुर्गी रोल मिलेगा
- महबूबा की मांग पर उमर न देते कान
- भेज रही कश्मीर में नित नफरत के नाग
- चाटुकारिता चर्म पर है मित्रो आसीन
- पटना की घटना बहुत शर्मनाक है मित्र
- लोग कहें बेशर्म, बड़ी हरकत बचकानी
- फौरन ही उस पर गिरे पाबंदी की गाज
- कौन करे प्रतिरोध किसी में शेष न बूता
- बसपा शासन में खुलें फौरन उसके भाग
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2 टिप्पणियां:
हो सकता महंगी पडे़
पर दौर कुछ बदल रहा है
कठमुल्लावाद अब
अंतिम दिन गिन रहा है
बहुत खूब ....अच्छी उतारी...यदि शब्द पुष्टिकरण हटा दिया जाये तो अच्छा होगा
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