बेबाकी से श्रीधरन व्यक्त किए उद्गार
कार्य संस्कृति में तभी आ पायेगा ज्वार
आ पायेगा ज्वार, खत्म हो दखलंदाजी
बनें न नौकरशाह, सियासी नेता काजी
दिव्यदृष्टि जब काम करेंगे हम निर्भय हो
करे तरक्की देश निरंतर जय हो जय हो
गुरुवार, 16 जुलाई 2009
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