रहे 'स्वयंवर' में कभी जो दूल्हे नाकाम
राखी के मन में अभी है उनका सम्मान
है उनका सम्मान भले वह बनी न बीवी
इज्जत फिर भी खूब उन्हें दिलवाए टीवी
दिव्यदृष्टि इसलिए नया रिश्ता अपना लें
भाई बनकर राखी से 'राखी' बंधवा लें
बुधवार, 5 अगस्त 2009
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1 टिप्पणी:
और चारा भी क्या है।
रक्षाबंधन पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
विश्व-भ्रातृत्व विजयी हो!
शब्द पुष्टिकरण तो हटा लें।
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