बुधवार, 19 अगस्त 2009

इसीलिए हो गए एक झटके में आउट

जिन्ना पर जसवंत के आत्मीय उद्गार
नहीं भाजपा को हुए सपने में स्वीकार
सपने में स्वीकार, न कोई इसमें डाउट
इसीलिए हो गए एक झटके में आउट
दिव्यदृष्टि जो भी छोड़ेगा भगवा रस्ता
बांध दिया जायेगा प्यारे उसका बस्ता

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