जर्जर हालत देख कर सोच रहा है चीन
भारत के टुकड़े करे जल्द नए दो-तीन
जल्द नए दो-तीन बागियों को बहकाए
'होम लैंड' की मांग शातिरों से उठवाए
दिव्यदृष्टि सीमाओं पर जब आग जलेगी
उसकी सेना लाल तोप को दाग चलेगी
सरहद पर जब देश की बिगड़ेंगे हालात
तभी 'कबूतरबाज' सब खा जाएंगे मात
खा जाएंगे मात, पड़ोसी मिल कर सारे
जमकर हमला करें तोड़ दें 'हाथ' हमारे
दिव्यदृष्टि जब हो जाएगा खंडित मुखड़ा
'पंचशील' का रोयेंगे तब पंडित दुखड़ा
मंगलवार, 11 अगस्त 2009
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3 टिप्पणियां:
Ati Sundar.
{ Treasurer-S, T }
आप तो कटाक्षों का झोला ही पलट दिए ! कुछ शरम लिहाज बचा है कि नहीं ? ऐं?
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पिछली बार भी अनुरोध किए थे, फिर कर रहे हैं, ये ''शब्द पुष्टिकरण' हटाएँ।
Khatarnak lalbatti kawita.
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