शुक्रवार, 23 मई 2008

लौट गए मायूस मगर सौरव कलकत्ता

वीरू-दादा पा गए बिना लड़े ही अंक
वर्षा के कारण बने फिर भी दोनों रंक
फिर भी दोनों रंक, राह सेमी की मुश्किल
पड़े दिखाई दूर अभी दिल्ली की मंजिल
दिव्यदृष्टि उम्मीद अभी बाकी अलबत्ता
लौट गए मायूस मगर सौरव कलकत्ता

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