जो जिहाद के नाम पर करते हैं विस्फोट
उनकी नीयत में सदा पड़े दिखाई खोट
पड़े दिखाई खोट, चोट जनता पर करते
निरअपराध, निर्दोष लोग सड़कों पर मरते
दिव्यदृष्टि वे दुश्मन हैं मजहब, समाज के
करते हैं विस्फोट नाम पर जो जिहाद के
बुधवार, 14 मई 2008
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2 टिप्पणियां:
दिव्यदृष्टि वे दुश्मन हैं मजहब, समाज के
करते हैं विस्फोट नाम पर जो जिहाद के
अच्छी रचना..
***राजीव रंजन प्रसाद
अच्छे भाव हैं.
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