सोमवार, 19 मई 2008

सिसकें 'जहांपनाह' बहे आखों से पानी

पोलक जयसूरिया हुए साबित फिर से घाघ
उनके आगे बन गए बकरी सारे बाघ
बकरी सारे बाघ, कटी सस्ते में गर्दन
दादा करते याद खूब मुंबइया मर्दन
सिसकें ' जहांपनाह ' बहे आखों से पानी
जश्न बनाएं उधर मगर नीता अंबानी

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