जनमानस था अब तलक गर्मी से बेजार
इन्द्र देव ने की कृपा शीतल पड़ी फुहार
शीतल पड़ी फुहार चतुर्दिक बदली छाई
मिली धूप से मुक्ति घटा घनघोर सुहाई
दिव्यदृष्टि हरषाये तन मन उपवन गीला
मानसून जी रखना सावन सरस सुरीला
बुधवार, 1 जुलाई 2009
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- शीला की हट्टी गए लेने सस्ती दाल
- महबूबा के हमलों का हो गया कबाड़ा
- दाल-भात के बदले मुर्गी रोल मिलेगा
- महबूबा की मांग पर उमर न देते कान
- भेज रही कश्मीर में नित नफरत के नाग
- चाटुकारिता चर्म पर है मित्रो आसीन
- पटना की घटना बहुत शर्मनाक है मित्र
- लोग कहें बेशर्म, बड़ी हरकत बचकानी
- फौरन ही उस पर गिरे पाबंदी की गाज
- कौन करे प्रतिरोध किसी में शेष न बूता
- बसपा शासन में खुलें फौरन उसके भाग
- रोजगार की राशि किंतु हाथी खा जाये
- करे तरक्की देश निरंतर जय हो जय हो
- निन्दनीय करतूत बहुत ही उनकी भाई
- कर ले प्राणायाम मिटे मरियल मोटापा
- साफ कहें मायावती करके लंबी नाक
- बेशक उनको लोग बिहारी बाबू बोलें
- बादशाह से डाक्टर बने शाह रुख खान
- पत्र-पत्रिका भेज बोरियत दूर कीजिए
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- गिरमिटियों के देश में पाये ज्यों ही जीत
- हुए पराजित गेल रह गए हक्का-बक्का
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- चल मन्नू के साथ बढ़ा परिवार नियोजन
- बढ़े तेल के दाम, मुसीबत माथे आई
- मानसून जी रखना सावन सरस सुरीला
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1 टिप्पणी:
Hamari bhi yahi kaamna hai.
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