रविवार, 20 अप्रैल 2008

सहमे-सहमे शेन फेन फेंके रजवाड़े

रेगिस्तानी रेत से थे पहले ही त्रस्त

दिल्ली में भी नीर का हुआ न बंदोबस्त

हुआ न बंदोबस्त सरोवर सारे सूखे

मार पड़ी गंभीर गला गर्दन सब दुखे

दिव्यदृष्टि सहवाग बजाते फिरें नगाड़े

सहमे-सहमे शेन फेन फेंके रजवाड़े

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