शनिवार, 12 अप्रैल 2008

कुर्सी तजने को नहीं गिल का दिल तैयार

कुर्सी तजने को नहीं गिल का दिल तैयार

बेशक हॉकी का यहां हो नित बंटाढार

हो नित बंटाढार , खेल का बिगड़े ढांचा

हारे हर पल टीम गाल पर पड़े तमाचा

दिव्यदृष्टि कविराय करो मत मातमपुर्सी

गिल का दिल तैयार नहीं तजने को कुर्सी

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