बुधवार, 14 मई 2008

मनमोहन जी मिमियाना छोड़ो

प्रतिदिन बढ़ता जा रहा उग्रवाद का रोग
नेतागण खाएं मगर फिर भी छप्पन भोग
फिर भी छप्पन भोग, तराना सेकुलर गाएं
बेगुनाह मासूम भले नित जान गंवाएं
दिव्यदृष्टि मनमोहन जी मिमियाना छोड़ो
हूजी के हत्यारों की अब हड्डी तोड़ो

2 टिप्‍पणियां:

Prabhakar Pandey ने कहा…

गागर में सागर। सही और सच्ची बात कह दी है आपने। साधुवाद।

Jitendra Dave ने कहा…

BAHUT TEEKHAA SACH LIKHAA HAI AAPNE. LEKIN AAJKAL AISE SACHAAI LIKHNE VAALE HAIN KITNE?? BADHAAII AAPKO.

Powered By Blogger

यह मैं हूं

यह मैं हूं

ब्लॉग आर्काइव