सोमवार, 4 अगस्त 2008

शर्मा, वीरू, हरभजन खूब लगाए जान

झंडा गाड़ा जीत का जबर गॉल मैदान
शर्मा , वीरू , हरभजन खूब लगाए जान
खूब लगाए जान , तानकर सीना घूमें
पीट-पीटकर लंका को मस्ती में झूमें
चला न कोई दिव्यदृष्टि सिंहल हथकंडा
जबर गॉल मैदान जीत का गाड़ा झंडा

1 टिप्पणी:

सुनीता शानू ने कहा…

आपकी लेखनी सशक्त है,बहुत सही लिखा है...
सादर

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