शुक्रवार, 5 सितंबर 2008

यहां-वहां पर बेवजह नहीं भटकिए राज

यहां-वहां पर बेवजह नहीं भटकिए राज
खामोशी से बैठ कर घर में करिए काज
घर में करिए काज , नसीहत मेरी मानें
वरना धर कर पुलिस तुम्हें ले जाए थाने
दिव्यदृष्टि अब चुप्पी साधो एक महीना
दूर रहे हर बला न आए तनिक पसीना

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