बुधवार, 3 सितंबर 2008

पड़े न महंगा कहीं ऊर्जा का यह झटका

ले परमाणु करार की मन में भारी चाह
मनमोहन ने देश को किया खूब गुमराह
किया खूब गुमराह, झूठ संसद में बोले
जिसकी कलई स्वयं पत्र अमरीकी खोले
दिव्यदृष्टि यदि भारत कोई 'टेस्ट' करेगा
उसी समय समझौता अपनी मौत मरेगा
ईंधन की आपूर्ति में भारत को सहयोग
बिना शर्त कतई नहीं इसे समझ लें लोग
इसे समझ लें लोग, कहे अमरीकी शासन
मिले नहीं तकनीक न होगा शोधित राशन
दिव्यदृष्टि यदि करे इंडिया हेराफेरी
होगा रद्द करार किए बिन कोई देरी
बिजली का संकट बता मनमोहन सरकार
चली बेचने देश को कर परमाणु करार
कर परमाणु करार, कह रहे लोग सयाने
फिर भी उनकी बात न बुद्धू मुखिया माने
चले हंस की चाल जगत में जो भी कागा
कहलाए मतिमंद चतुर्दिक वही अभागा
जिसका ईंधन ही नहीं उसका चूल्हा आप
निकले भला खरीदने क्यों कर माई-बाप
क्यों कर माई-बाप, देश को साफ बताएं
किन शर्तों पर मिले जरा यह भी समझाएं
दिव्यदृष्टि दिन-रात सताए हमको खटका
पड़े न महंगा कहीं ऊर्जा का यह झटका

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