ले परमाणु करार की मन में भारी चाह
मनमोहन ने देश को किया खूब गुमराह
किया खूब गुमराह, झूठ संसद में बोले
जिसकी कलई स्वयं पत्र अमरीकी खोले
दिव्यदृष्टि यदि भारत कोई 'टेस्ट' करेगा
उसी समय समझौता अपनी मौत मरेगा
ईंधन की आपूर्ति में भारत को सहयोग
बिना शर्त कतई नहीं इसे समझ लें लोग
इसे समझ लें लोग, कहे अमरीकी शासन
मिले नहीं तकनीक न होगा शोधित राशन
दिव्यदृष्टि यदि करे इंडिया हेराफेरी
होगा रद्द करार किए बिन कोई देरी
बिजली का संकट बता मनमोहन सरकार
चली बेचने देश को कर परमाणु करार
कर परमाणु करार, कह रहे लोग सयाने
फिर भी उनकी बात न बुद्धू मुखिया माने
चले हंस की चाल जगत में जो भी कागा
कहलाए मतिमंद चतुर्दिक वही अभागा
जिसका ईंधन ही नहीं उसका चूल्हा आप
निकले भला खरीदने क्यों कर माई-बाप
क्यों कर माई-बाप, देश को साफ बताएं
किन शर्तों पर मिले जरा यह भी समझाएं
दिव्यदृष्टि दिन-रात सताए हमको खटका
पड़े न महंगा कहीं ऊर्जा का यह झटका
बुधवार, 3 सितंबर 2008
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
यह मैं हूं
ब्लॉग आर्काइव
-
▼
2008
(289)
-
▼
सितंबर
(28)
- गली गली गुजरात में विफल हुए जासूस
- गली गली गुजरात में विफल हुए जासूस
- वफा की आप गर उम्मीद करते हैं करीना से ,
- मियां बुखारी लीजिए जरा अक्ल से काम
- हे बेटा अमिताभ कर्म करना तुम अच्छन
- टाटा ने सिंगूर से बिस्तर लिया समेट
- राहुल बाबा शौक से करिए आप विवाह
- हो परमाणु करार तो बढ़े आय की डोर
- गिनने में मशगूल थे हत्यारे उत अंक
- धन्य ज़िंदगी हुई वीरगति बेशक पाए
- निकल पड़े मनमोहन करने मरहमपट्टी
- जो दे अहम सुराग भला हो उसका अल्लाह
- सारा दिन बदले मगर गृहमंत्री पोशाक
- पाटिल के सिर पर गिरी लाठी लालू छाप
- फिर भी अब डडवाल बने फिरते हैं हीरो
- भारत दौरे पर नहीं आएगा सयमंड
- किंतु दौड़ में सचिन रह गए पीछे छूटे
- यहीं मिली पहचान, बोलते बच्चन सादर
- हेम-आरुषि के कातिल घूमें बेखटके
- गुमसुम बैठे गांगुली दीख रहे नाराज
- गंजे को मिल ही गया है आखिर नाखून
- नीयत पाकिस्तान की दीख रही नापाक
- गुठली की तरह हो रहा है आम आदमी
- ऐसे कातिल को महज़ पांच साल की जेल
- यहां-वहां पर बेवजह नहीं भटकिए राज
- पड़े न महंगा कहीं ऊर्जा का यह झटका
- सिर पर दारू का नशा पांवों में थी कार
- त्यों ही ममता के हुए तेवर फौरन नर्म
-
▼
सितंबर
(28)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें