दिल्ली में दहशत बढ़ी महाराष्ट्र मायूस
गली गली गुजरात में विफल हुए जासूस
विफल हुए जासूस ठनकता माथा ठाणे
मरघट माले गांव लगे निर्दोष ठिकाने
दिव्यदृष्टि जो उग्रवाद की लिखें कहानी
धीरज धरकर उन्हें याद करवा दें नानी
मंगलवार, 30 सितंबर 2008
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
यह मैं हूं
ब्लॉग आर्काइव
-
▼
2008
(289)
-
▼
सितंबर
(28)
- गली गली गुजरात में विफल हुए जासूस
- गली गली गुजरात में विफल हुए जासूस
- वफा की आप गर उम्मीद करते हैं करीना से ,
- मियां बुखारी लीजिए जरा अक्ल से काम
- हे बेटा अमिताभ कर्म करना तुम अच्छन
- टाटा ने सिंगूर से बिस्तर लिया समेट
- राहुल बाबा शौक से करिए आप विवाह
- हो परमाणु करार तो बढ़े आय की डोर
- गिनने में मशगूल थे हत्यारे उत अंक
- धन्य ज़िंदगी हुई वीरगति बेशक पाए
- निकल पड़े मनमोहन करने मरहमपट्टी
- जो दे अहम सुराग भला हो उसका अल्लाह
- सारा दिन बदले मगर गृहमंत्री पोशाक
- पाटिल के सिर पर गिरी लाठी लालू छाप
- फिर भी अब डडवाल बने फिरते हैं हीरो
- भारत दौरे पर नहीं आएगा सयमंड
- किंतु दौड़ में सचिन रह गए पीछे छूटे
- यहीं मिली पहचान, बोलते बच्चन सादर
- हेम-आरुषि के कातिल घूमें बेखटके
- गुमसुम बैठे गांगुली दीख रहे नाराज
- गंजे को मिल ही गया है आखिर नाखून
- नीयत पाकिस्तान की दीख रही नापाक
- गुठली की तरह हो रहा है आम आदमी
- ऐसे कातिल को महज़ पांच साल की जेल
- यहां-वहां पर बेवजह नहीं भटकिए राज
- पड़े न महंगा कहीं ऊर्जा का यह झटका
- सिर पर दारू का नशा पांवों में थी कार
- त्यों ही ममता के हुए तेवर फौरन नर्म
-
▼
सितंबर
(28)
2 टिप्पणियां:
kuchh nahi hoga yahan
karam kiye ja phal ki ichchha mat rakh ae insaan/ye hai Gita ka gyan
एक टिप्पणी भेजें