ज्यों ही प्रेमी चांद का गिरा सियासी भाव
आया मन में फिजां के त्यों ही भारी ताव
त्यों ही भारी ताव , देख कर घटती शोहरत
चलीं गाजियाबाद लिए लड़ने की हसरत
दिव्यदृष्टि नर , किन्नर या परित्यक्ता नारी
राजनाथ से करें युद्ध की सब तैयारी
रविवार, 1 मार्च 2009
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2 टिप्पणियां:
ज्यों ही प्रेमी चांद का गिरा सियासी भाव
आया मन में फिजां के त्यों ही भारी ताव
त्यों ही भारी ताव , देख कर घटती शोहरत
चलीं गाजियाबाद लिए लड़ने की हसरत
दिव्यदृष्टि नर , किन्नर या परित्यक्ता नारी
राजनाथ से करें युद्ध की सब तैयारी ...
Waah ...Bhot khoob...!!
सही है-युद्ध की तैयारी है.
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