बुद्धिमान पाठक न हों पढ़ इसको नाराज
भारत में कानून का छह दशकों से राज
छह दशकों से राज, भले आरोपी कातिल
कानूनी इमदाद उसे हो फिर भी हासिल
दिव्यदृष्टि अधिवक्ता बिन प्रक्रिया अधूरी
संविधान का आदर करना अत: जरूरी
करें कसाई के लिए जो फांसी की मांग
उन्हें खींचनी चाहिए नहीं नियम की टांग
नहीं नियम की टांग, करेंगे जब तक निंदा
तब तक उपजे क्रोध रहेगा कातिल जिंदा
दिव्यदृष्टि इसलिए न खुद बाधा बन जाएं
देकर उसे वकील दुष्ट को सजा दिलाएं।
मंगलवार, 31 मार्च 2009
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